घर में नही दाने, अम्मा चली भुनाने-------
नगर निगम के पास देने को वेतन के पैसे नही
निगम बिल्डिंगों पर 16 करोड से सोलर पैनल लगाने की तैयारी
14 लाख रूपए से सैक्टर 20 में डेकोरेशन लाईट का निकाला ट्रैंडर
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 10 नवम्बर। घर में नही दाने, अम्मा चली भुनाने---यह कहावत नगर निगम पर सही सटीक बैठती है। इस कहावत का मतलव यह कि भले ही आपके पास अपने घर के लिए पर्याप्त अन्न न हो, फिर भी आप फिजूलखर्ची कर रहे है। नगर निगम के पास अपने कर्मचारियो को समय पर देने के लिए वेतन के पैसे नही है। मगर उसके बावजूद भी सैक्टर 20 सीडी में डेकोरेशन लाईट लगाने की तैयारी कर रहा है। यही नही इसके लिए एसडीओ इलेक्टिकल नम्बर 2 सब डिविजन नगर निगम ने 14 लाख 17 हजार रूपए का ट्रैंडर भी निकाल दिया है। सैक्टर 20 सीडी में डेकोरेशन लाईट लगाने की किसने मांग की, और इसके लगने से निगम को क्या फायदा होगा। इस बात का ज्ञान कमीश्नर, मेयर व एक्सन इलेक्टिकल को ही पता होगा। वही नही नगर निगम ने अपनी वित्तिय हालात खराब के बावजूद भी 16 करोड़ रूपए से अपनी सरकारी बिल्डिगों पर सोलर पैनल लाईट लगाने का भी फैसला लिया है। इसके लिए भी कार्यकारी अभियंता रोड़ डिविजन नम्बर 1 नगर निगम ने टेंडर लगाया है। नगर निगम की वित्तिय हालात खराब के बाद भी इस तरह की फिजूल खर्ची के ट्रैंडर लगाए जा रहे है। इससे पता चलता है कि अधिकारियों को काम चाहिए, चाहे कर्जा लेकर काम करना हो।
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निगम के अधिकारी कर रहे फिजूलखर्ची
शहर के प्रबुद्ध नागरिक आरके गर्ग व राज चडढा ने कहा कि सैक्टर 20 सीडी में 14 लाख से डेकोरेशन लाईट लगाने व 16 करोड़ रूपए से निगम की बिल्डिगों पर सोलर पैनल लाईट लगाने का भी फैसला गलत है। प्रशासक ने इस पर रोक लगानी चाहिए। नगर निगम एक और तो और तो वित्तिय सकंट से गुजरा रहा है, वही अधिकारी फिजूल खर्ची करके जनता का पैसा खराब कर रहे है। यह कार्य जेब में या खजानें में पैसे होने पर किए जाते है। कर्जा लेकर नही। नगर निगम में कर्मचारियों को वेतन देनें के लिए लाले पड़े हुए है। नगर निगम मेयर पैसो के लिए चंडीगढ़ प्रशासन व प्रशासक के चक्कर काट रहे है। मगर अधिकारियों का इस तरफ कोई ध्यान नही। नगर निगम कमीश्नर को फिजूलखर्ची पर रोक लगानी चाहिए। सैक्टर 20 सीडी में डेकोरेशन लाईट लगाने से निगम को क्या कोई आमदनी होगी।
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नगर निगम की हालत खराब, वेतन देने के पड़े लाले
चंडीगढ़ नगर निगम पिछले कुछ दिनों से वित्तीय संकट से जूझ रहा है। जिसके कारण शहर में विकास कार्य धीमी गति से चल रहा है। नगर निगम में इस साल 1110 करोड़ रुपए की जरूरत थी, जबकि नगर निगम की खुद की कमाई 910 करोड़ रुपए हैं। ऐसे में कर्मचारियों की तनख्वाह के लिए 70 करोड़ भी बचा पाना नगर निगम के लिए मुश्किल हो रहा है। वित्तीय संकट को देखते हुए मेयर कुलदीप कुमार ने आपातकालीन बैठक भी बुलाई थी। चंडीगढ़ के मेयर कुलदीप कुमार ने कुछ दिनों पहले चंडीगढ़ प्रशासक गुलाबचंद कटारिया को नगर निगम में चल रहे वित्तीय संकट के बारे पत्र लिखकर अवगत करवाया था। मेयर ने इस वित्तीय संकट से बाहर निकलने के लिए सभी 36 विभागों की संयुक्त बैठक भी बुलाई थी।
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नगर निगम में कोई भी फिजूलखर्ची नही होने दी जाएगी: मेयर
मेयर कुलदीप कुमार ने बताया कि निगम में कोई भी फिजूलखर्ची नही होने दी जाएगी। सभी फिजूलखर्ची पर रोक लगा दी है। 16 करोड़ रूपए से निगम की बिल्डिगों पर सोलर पैनल लाईट लगाने का कार्य रोक दिया गया है। सैक्टर 20 सीडी में 14 लाख से डेकोरेशन लाईट लगाने का मामला मेरे संझान में नही है। वित्तीय वर्ष 2024-2025 के लिए नगर निगम का कुल खर्च करीब 1110 करोड़ रुपए तक का है, लेकिन खुद की कमाई और प्रशासन से मिली ग्रांट से करीब 910 करोड़ रुपए ही जुटा पाए। वहीं, मौजूदा हालात को देखते हुए नगर निगम को 200 करोड़ की सख्त जरूरत है, जिससे वो अपने कर्मचारियों को वेतन देने में समर्थ होंगे। प्रशासन ने फिलहाल बची हुई अतिरिक्त ग्रांट को देने से मना कर दिया है। निगम ने खुद ही राजस्व बढ़ाने की बात कही थी। प्रशासन की ओर से नगर निगम को 2024-2025 वित्तीय बजट के तौर पर कल 560 करोड़ रुपए देने का प्रावधान किया गया था। इसमें से 337 करोड़ रुपए ही जारी हो पाए है।
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