चंडीगढ़ नगर निगम में फायर एनओसी का गोरख धंधा
विजिलेंस व सीबीआई की राडार पर फायर विंग
फायर विंग में आॅफिसरो व अधिकारियों में मचा हडकप,
एडिशनल सब फायर आफिसर का 2014 से पद खाली
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 10 नवम्बर। नगर निगम में फायर एनओसी देने के गौरख धंधे का मामला आलाकमान के पास पहुंच गया है। जल्दी ही फायर विंग में आॅफिसरो व अधिकारियों में गाच गिर सकती है। इसको लेकर फायर विंग में आॅफिसरो व अधिकारियों में हडकप मचा हुआ है। कोई भी अधिकारी इस मामलें पर बात करने को भी तैयार नही है। फायर एनओसी देने के गौरख धंधे को लेकर विजिलेंस व सीबीआई की राडार पर फायर विंग है। प्राप्त जानकारी के अनुसार मामलें में अन्दरूनी जांच चल रही है। बताया जा रहा है कि पिछल्लें 10 साल से चीफ फायर आफिसर का पद भी खाली पड़ा है। अधिकारी जानबुझकर एडिशन चार्ज लिए हुए है। चंडीगढ़ में 7 फायर स्टेशन है। इन फायर स्टेशनो में 85 लिडिंग फायर मैन व 275 फायरमैन कार्यरत है। एडिशनल सब फायर अफिसर का 2014 से पद खाली है। चंडीगढ़ फायर विंग में 4 फायर आफिसर के पद मंजूर है। 3 फायर आफिसर के पद पंजाब व हरियाणा से डेपूटेशन के लिए है। मगर आज तक कोई भी अधिकारी डेपूटेशन पर नही बुलाकर जूनियर को चार्ज दिया हुआ है। 7 फायर स्टेशनो पर रैगूलर 4 फायर आफिसर है। 3 पदो पर एडिसनल चार्ज दिया हुआ है। नियमानुसार रैगूलर फायर आफिसर से कम रैक का अधिकारी कोई भी फायर एनओसी जारी नही कर सकता है। निगम की बिना डीपीसी के ही गैर कानूनी तौर पर पावर दी हुई है। जो की नियमानुसार गलत है। चंडीगढ़ नगर निगम के 2 दर्जन से भी अधिक फायरमैन निगम कार्यालय में बाबू गिरी कर रहे है। मगर फायर विभाग ने उन्हे आग बुझाने के लिए लाखों रूपए खर्च कर ट्रैनिंग दिलवाई थी। मगर अधिकारियों की मेहरबानी से अपना प्रोफेशन छोड़कर बाबू बन गए।
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मोटे पैसे लेकर फर्जी कागजों में ही एनओसी जारी की जा रही है। आरोप है कि इस मामले में निगम के चीफ फायर आफिसर से लेकर सभी अधिकारी मिले हुए हैं। चंडीगढ़ में फायर एनओसी का सालाना करोड़ों रुपए का रिश्वत का धंधा बताया जा रहा है। नगर निगम चाहे बेशक वित्तीय संकट से गुजर रहा हो, मगर फायर विंग मालामाल है। सभी फायर अधिकारियों ने अपने नीचे एक चेला रखा हुआ है, जो फायर एनओसी के लिए काम कर पैसे इकट्ठा करता है। इन आरोपों का खुलासा गुरूवार को सीबीआई द्वारा रिश्वत लेते पकड़े गए 2 फायर अधिकारियों से हुआ। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मनीमाजरा कार्यालय से फायर आॅफिसर, लीडिंग फायरमैन को 80 हजार की रिश्वत लेते दोनों को दबोचा था। पिछल्ले साल सैक्टर 26 में शौ रूम में आग लगने पर पूर्व मेयर ने एनओसी जारी करने की जांच के आदेश दिए थे, मगर अधिकारियों ने जांच की फाइल ही दबा ली। सैक्टर 26 में भी शौ रूमों के बैक कोरिडोर में टीन शैड में बने होटल व बीयर बार की फायर एनओसी भी जांच का विषय है। निगम को हादसे का इंजतार है, क्योकी सभी प्लास्टिक व टीन शैड में बने है।
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