Kullu News: एक दिवसीय संगोष्ठी 'देव परम्परा : इतिहास, परम्परा एवं लोक मान्यताएं' सम्पन्न
दिनेश सेन ने की कार्यक्रम की अध्यक्षता, विद्वानों ने प्रस्तुत किए महत्वपूर्ण वक्तव्य
बाबूशाही ब्यूरो
कुल्लू , 21 दिसंबर। एक दिवसीय संगोष्ठी 'देव परम्परा : इतिहास परम्परा एवं मान्यताएं' विषय पर आधारित संगोष्ठी का आयोजन जिला मुख्यालय स्थित जिला परिषद हॉल में किया गया, जिसकी अध्यक्षता सूत्रधार कला मंच के अध्यक्ष दिनेश सेन ने की। इस संगोष्ठी का आयोजन हिमतरु प्रकाशन समिति तथा आशियां कला मंडल के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। संगोष्ठी में कुल्लू, लाहुल तथा मण्डी की देव-परम्पराओं से सम्बद्ध विद्वानों ने अपने वक्तव्य प्रस्तुत कर महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ दीं। संगोष्ठी में समाज सेवक महिमन चंद्र बतौर विशेष अतिथि सम्मिलित हुए।
हिमतरु प्रकाशन समिति तथा आशियाँ कला मण्डल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 'देव परम्परा : इतिहास परम्परा एवं लोक मान्यताएं' विषय पर आधारित एक दिवसीय संगोष्ठी में देव परम्पराओं के ज्ञाता जय ठाकुर ने जमलू देवता
के इतिहास पर जानकारी दी। शोधार्थी, टांकरी के विद्वान एवं इतिहासकार यतिन पंडित ने घाटी में देव मान्यताएं एवं मूल नाम व स्थान को लेकर वक्तव्य प्रस्तुत किया। लाहुल के विद्वान वांगचुक शास्त्री ने राजा घेपङ की मूल गाथा पर जानकारी दी।
मंडी से संबद्ध पौमिला ठाकुर ने शिवा बदार की देवियों की गाथाएं एवं लोक-मान्यताएं तथा हिमतरु की प्रधान संपादक इंदु पटियाल ने सकीर्ण, गाड़ा दुर्गा तथा जोगनियों व बूढ़ी नागिन को लेकर लोक-मान्यताओं पर प्रकाश डाला। लोक-कलाकार चंद्रमणी तोषी ने लोक-गीत के माध्यम से देव-संस्कृति के संरक्षण का संदेश दिया।
प्रसिद्ध कवि अजेय ने लाहुल स्पीति की लोक मान्यताओं पर प्रकाश डालने के साथ साथ यहां के अधिष्ठाता देव गुरु घंटाल के इतिहास की जानकारी दी।
संगोष्ठी में वरिष्ठ साहित्यकार सतीश लोपा, राजेश्वर कयरप्पा, रणवीर शाशनी, हीरा लाल ठाकुर-एक, अरुण ठाकुर, छोटा लाल ठाकुर - दो, सुरेन्द्र मिन्हास, सहभागिता के सदस्य तथा हरिपुर कॉलेज के विद्यार्थियों ने भाग लिया।
मंच संचालन की भूमिका वरिष्ठ पत्रकार शशिभूषण पुरोहित ने निभाई। इस अवसर पर दिनेश सेन ने बताया कि हालांकि आज की संगोष्ठी के अंतर्गत तीन विषय आते हैं, लेकिन विद्वानों ने इन सभी विषयों पर सारगर्भित जानकारी देकर सामन्जस्य स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि कुल्लू की देव परम्परा स्मृद्ध है, जिसका प्रचार विश्वभर में हैं, लेकिन आज के दौर में आए दिन देवी-देवताओं के नाम पर झगड़े हो रहे हैं तथा कई परम्परा का दुरुपयोग करते हैं, इससे हमारी संस्कृति पर आघात पहुंच रहा है, इसलिए हम सबको इसके संरक्षण को लेकर सामूहिक प्रयास करने चाहिए। (SBP)
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here →
Click to Follow हिन्दी बाबूशाही फेसबुक पेज →