CHD बिजली विभाग के निजीकरण के खिलाफ कर्मचारियों का प्रदर्शन जारी, 31 जनवरी को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 28 जनवरी 2025: चंडीगढ़ बिजली विभाग के निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मचारी और यूनियन नेता लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। यूनियन ने एलओआई (लेटर ऑफ इंटेंट) को रद्द करने और कर्मचारियों की सेवा शर्तें तय करने की मांग को लेकर चेतावनी दी है कि यदि विभाग को निजी कंपनी को सौंपा गया, तो उसी दिन से कर्मचारी कार्य बहिष्कार शुरू कर देंगे।
कर्मचारियों का आरोप
कर्मचारी नेताओं का कहना है कि विभाग के निजीकरण के फैसले में पारदर्शिता की कमी है और प्रशासन द्वारा नियमों और बिडिंग प्रक्रिया की अनदेखी की जा रही है। यूनियन के नेताओं ने आरोप लगाया कि निजी कंपनी के पक्ष में काम कर रहे अधिकारी बार-बार नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
यूनियन के प्रधान अमरीक सिंह, महासचिव गोपाल दत्त जोशी और अन्य वक्ताओं ने प्रदर्शन के दौरान कहा:
मुनाफे में चल रहे बिजली विभाग को कोड़ियों के भाव बेचना गलत है।
कर्मचारियों की सेवा शर्तों को स्पष्ट किए बिना और उनकी सहमति लिए बिना विभाग को निजी कंपनी को सौंपना संवैधानिक अधिकारों का हनन है।
ट्रांसफर पॉलिसी अब तक नहीं बनाई गई है, और कर्मचारियों को निजीकरण के लिए बाध्य किया जा रहा है।
एससी, ओबीसी, एसटी, और ईडब्ल्यूएस आरक्षण नीति निजी कंपनी लागू नहीं करेगी, जो सामाजिक न्याय के खिलाफ है।
कर्मचारी नेताओं की मांगें
निजीकरण रद्द हो: एलओआई को रद्द किया जाए और विभाग का निजीकरण पूरी तरह से समाप्त किया जाए।
सेवा शर्तें तय हो: कर्मचारियों की सेवा शर्तों और अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
विकलांग कर्मियों की तरह अन्य कर्मचारियों को भी एडजस्ट किया जाए।
एसएलडीसी और एसटीयू में पारदर्शिता हो: 220 केवी, 66 केवी और 33 केवी पोस्ट के लिए कर्मचारियों की नियुक्ति में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।
चेतावनी और आगे की योजना
यूनियन ने चेतावनी दी है कि यदि:
कर्मचारियों की सहमति के बिना विभाग को निजी कंपनी को सौंपा गया,
और उनके सरकारी स्टेटस को बदला गया,
तो कर्मचारियों द्वारा पूर्ण कार्य बहिष्कार किया जाएगा।
यूनियन ने प्रशासन को नोटिस जारी कर दिया है और स्पष्ट कर दिया है कि यदि 31 जनवरी तक उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो देशव्यापी प्रदर्शन तेज किया जाएगा।
प्रभाव
प्रदर्शन के कारण बिजली सेवाएं बाधित होने का खतरा है, जिससे आम जनता को परेशानी हो सकती है। यूनियन ने प्रशासन के अड़ियल रवैये को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है।
प्रदर्शन के दौरान उठाए गए मुद्दे
सरकारी कर्मचारी से निजी कंपनी के कर्मचारी बनने के लिए विकल्प (ऑप्शन) नहीं लिया जा रहा।
ट्रांसफर पॉलिसी अब तक अधूरी है।
प्रशासन कर्मचारियों और जनता के हितों की अनदेखी कर रहा है।
यूनियन नेताओं ने प्रदर्शन को जारी रखते हुए जनता से भी इस संघर्ष में समर्थन की अपील की है।
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here →
Click to Follow हिन्दी बाबूशाही फेसबुक पेज →