चंडीगढ़ बिजली विभाग के निजीकरण के खिलाफ देशभर में जोरदार प्रदर्शन
सरकार के दमनकारी रवैये पर कर्मचारियों और जन संगठनों का रोष
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 31 जनवरी: चंडीगढ़ बिजली विभाग के निजीकरण के खिलाफ देशभर में बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर सहित विभिन्न राज्यों में गेट मीटिंग, रोष मार्च और विरोध सभाओं का आयोजन किया गया।
प्रदर्शनों का आह्वान नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लॉइज एंड इंजीनियर्स (NCCOEEE) ने किया था। प्रदर्शनकारियों ने चंडीगढ़ बिजली विभाग के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम तथा राजस्थान के बिजली उत्पादन और वितरण कंपनियों के निजीकरण के फैसले की निंदा की और इसे अविलंब रद्द करने की मांग की।
प्रशासन पर ट्रेड यूनियन अधिकारों के हनन का आरोप
NCCOEEE के वरिष्ठ सदस्य सुभाष लांबा, प्रशांत नंदी चौधरी, शैलेंद्र दुबे, मोहन शर्मा, अभिमन्यु धनखड़ और आर.के. शर्मा ने कहा कि यूटी प्रशासन ने संवैधानिक और ट्रेड यूनियन अधिकारों का उल्लंघन किया है।
ईईएफआई (Electricity Employees Federation of India) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाष लांबा और अन्य नेताओं ने आरोप लगाया कि:
- कर्मचारियों और जन संगठनों पर एफआईआर दर्ज कर उन्हें डराने की कोशिश की जा रही है।
- चंडीगढ़ शहर में विरोध प्रदर्शन, गेट मीटिंग, रोष मार्च और निजीकरण के खिलाफ प्रचार पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है।
- हड़ताल रोकने के लिए एस्मा (ESMA) लागू कर दिया गया है।
- कर्मचारियों को जबरन VRS (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना) लेने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
"लाभ में चल रहे विभाग को बेचना अन्याय" - कर्मचारी नेता
नेताओं ने आरोप लगाया कि चंडीगढ़ बिजली विभाग हर महीने 200 करोड़ रुपये से अधिक का मुनाफा कमा रहा है और देश में सबसे सस्ती बिजली आपूर्ति कर रहा है, फिर भी इसे "कौड़ियों के भाव" निजी कंपनी को सौंपा जा रहा है।
उन्होंने सभी विपक्षी दलों से इस फैसले के खिलाफ एकजुट होकर विरोध करने की अपील की।
यह आंदोलन प्रशासन के दमनकारी रवैये और जनता के हक की अनदेखी के खिलाफ जारी रहेगा।
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