पेरिस ओलंपिक में डबल मेडल जीतने वाली मनु भाकर के नाम पर खेल रत्न नॉमिनेशन पर विवाद, पिता ने जताई नाराज़गी
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 24 दिसम्बर। पेरिस ओलंपिक में डबल मेडल जीतकर देश का नाम रोशन करने वाली निशानेबाज़ मनु भाकर के नाम को खेल रत्न पुरस्कार के लिए नॉमिनेट नहीं किए जाने पर उनके पिता रामकिशन भाकर ने अपनी कड़ी नाराज़गी जताई है। उन्होंने खेल प्रशासन और ब्यूरोक्रेसी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यह निर्णय खिलाड़ियों के मनोबल को तोड़ने वाला है।
रामकिशन भाकर ने कहा, “पिछले पांच सालों में जिन खिलाड़ियों को खेल रत्न मिला, उन्होंने इसके लिए अप्लाई नहीं किया था। चाहे नीरज चोपड़ा हों, लवलीना, विनेश फोगाट, या बजरंग पूनिया, किसी ने भी खुद आवेदन नहीं किया। फिर अब मनु से क्यों अप्लाई करवाया जा रहा है? वह पिछले चार साल से अप्लाई कर रही थी, लेकिन उसकी एप्लिकेशन को क्यों अनदेखा किया गया?”
खेल प्रशासन पर उठाए सवाल
रामकिशन भाकर ने देश में खेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा, “ब्यूरोक्रेसी जैसा चाहती है, वैसा ही होता है। आज कह रहे हैं कि 2036 में ओलंपिक कराएंगे। लेकिन खिलाड़ी कहां से लाएंगे? खिलाड़ियों को इस तरह डिस्करेज किया जाएगा तो देश के लिए मेडल कौन जीतेगा?”
देश के अभिभावकों से अपील
अपनी नाराज़गी जाहिर करते हुए रामकिशन भाकर ने अन्य अभिभावकों से बच्चों को ओलंपिक खेलों में न भेजने की अपील की। उन्होंने कहा, “मैं सभी पैरेंट्स से कहना चाहता हूं कि अपने बच्चों को ओलंपिक गेम्स में न भेजें। अगर उन्हें भविष्य में सुरक्षित और सशक्त बनाना है तो उन्हें आईएएस या आईपीएस बनाएं। ओलंपिक खेलों में मेहनत करने का कोई फायदा नहीं, क्योंकि यहां खिलाड़ियों की कद्र नहीं होती। मेरी भी गलती थी कि मैंने मनु को इस राह पर डाला।”
“क्रिकेट में पैसा, प्रशासन में पावर”
रामकिशन भाकर ने कहा, “अगर पैसा चाहिए तो अपने बच्चों को क्रिकेट खिलाएं। और अगर पावर चाहिए तो उन्हें यूपीएससी की तैयारी करवाएं। ओलंपिक में खेलना और देश के लिए मेडल जीतना एक बड़ी भूल है।"
यह बयान न केवल खेल प्रशासन के कामकाज पर सवाल उठाता है बल्कि देश में खिलाड़ियों के प्रति रवैये पर एक बड़ी बहस छेड़ सकता है।
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here →
Click to Follow हिन्दी बाबूशाही फेसबुक पेज →