लखनऊ, 15 सितंबर 2024 :
साल 2015 में अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंड डायग्नोस्टिक रिसर्च में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ था. जिसमें भारत के लगभग 6.5 करोड़ लोगों को हृदय रोगों के बारे में जानकारी दी गई। इनमें से 2.5 करोड़ लोग 40 या उससे कम उम्र के थे। WHO की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 10 सालों में भारत में हृदय रोग से होने वाली मौतों की संख्या में 75 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
लखनऊ के मोंटफोर्ट स्कूल से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. जहां स्कूल में खेलते समय तीसरी कक्षा के एक छात्र की मौत हो गई. लड़की की मौत का कारण हार्ट अटैक बताया जा रहा है. इससे पहले भी इसी स्कूल में ऐसा ही मामला सामने आया था जहां 9 साल के छात्र की मौत हो गई थी. ऐसे मामले सामने आने के बाद बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं.
बच्चों में हार्ट अटैक क्यों?
बच्चों को खेल सबसे ज्यादा पसंद होते हैं। ऐसे में अगर उसे दिल का दौरा पड़ जाए तो माता-पिता की चिंता बढ़ सकती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों में दौरे पड़ने के कई कारण होते हैं। हार्ट अटैक का सबसे बड़ा कारण मोटापा माना जाता है। शहरी संस्कृति ने बच्चों का बाहर खेलना कम कर दिया है, जिससे रक्तचाप की समस्याएँ बढ़ सकती हैं और दिल के दौरे का खतरा बढ़ सकता है।
इसके अलावा बच्चों को जन्म से ही कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिसके कारण बाद में हृदय गति बंद हो जाती है। कुछ जन्मजात बीमारियों के इतिहास वाले बच्चों को कोरोनरी धमनी में रुकावट के कारण दिल का दौरा पड़ने का खतरा दूसरों की तुलना में अधिक होता है।
अभी तक युवाओं में हार्ट अटैक के मामले सामने आ रहे थे। लेकिन बच्चों में दिल का दौरा पड़ने के मामले चिंता का विषय हैं। इस पर डॉक्टरों का मानना है कि कुछ बच्चों को दिल की बीमारियां जन्म से ही होती हैं। कई मामलों में बच्चे मां के गर्भ में ही जन्मजात हृदय रोग का शिकार हो जाते हैं। जिसके कारण दिल में छेद या दिल से जुड़ी कोई समस्या उत्पन्न हो जाती है। कई बार बच्चों के बारे में जानकारी न होने के कारण उनकी जान जोखिम में पड़ जाती है।