तोशाम चुनावी महासंग्रामः बंसीलाल की तीसरी पीढ़ी पहली बार आमने सामने
अनिरूद्ध की उम्मीदवारी से श्रुति के सामने किला बचाने का संकट
चंडीगढ़, 18 सितम्बर 2024--- तोशाम हल्के में बंसीलाल की तीसरी पीढ़ी पहली बार आमने सामने है। अनिरूद्ध की उम्मीदवारी से श्रुति के सामने किला बचाने का संकट है। इस विधानसभा सीट से एक बार को छोड़ कर हरबार उनके परिवार का उम्मीदवार जीतता रहा है। मगर इस बार जो जीतेगा वही बंसी लाल की राजनीति विरासत का सिकंदर होगा। क्योकि राजनेतिक विरासत को लेकर छिड़ी जंग में इस बार लड़ाई आमने सामने की है। तोशाम विधानसभा क्षेत्र में इस बार का चुनावी महासंग्राम हरियाणा की राजनीति के इतिहास में दर्ज होने वाला
है। बंसीलाल परिवार जिसने दशकों तक प्रदेश की राजनीतिको दिशा दी है, की तीसरी पीढ़ी पहली बार आमने सामने है। कांग्रेस से युवा और जोशीले अनिरुद्ध चौधरी, जो पूर्व बीसीसीआई के प्रेसिडेंट व कांग्रेस से विधायक रहे चौधरी रणबीर सिंह महेंद्रा के बेटे हैं. वे अपनी चचेरी बहन भाजपा प्रत्याशी श्रुति चौधरी के खिलाफ चुनावी अखाड़े में ताल ठोंक रहे हैं। श्रुति चौधरी भी एक बार सांसद बन चुकी हैं और हरियाणा की राजनीति में अपने पिता चौधरी सुरेंद्र सिंह व अपनी माता किरण चौधरी के बड़े कद के कारण एक बेहद प्रभावशाली उम्मीदवार हैं। लोगों का मानना है कि यह मुकाबला सिर्फ राजनीतिक नहीं है, बल्कि बंसीलाल की राज राजनीतिक विरासत को लेकर एक नई दिशा तय करेगा। तोशाम के लोग इस ऐतिहासिक लड़ाई में एक नई और उम्मीद की किरण देख रहे है, जहां परिवार की विरासत और युवा नेतृत्व के बीच टकराव साफ नजर आ रहा है।
अनिरूद्ध ने पहली बार चुनावी मैदान में कदम रखा है, अपनी नई सोच और जोश के साथ तोशाम की जनता को लुभाने में जुटे हैं। उनका कहना है कि उनका मुकाबला व्यक्तिगत नहीं, बल्कि विचारधारा और विकास की राजनीति से है। अनिरुद्ध का साफ आदेश है कि वे अपनी बहन श्रुति, चाची किरण पर कोई व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं करेंगे।
श्रुति चौधरी अपने पिता सुरेंद्र सिंह व माता किरण की राजनीतिक विरासत का ध्वज थामे चुनावी मैदान में उतरी हैं। श्रुति पहले भी सांसद रह चुकी हैं और राजनीति में उनका अनुभव उन्हें इस चुनाव में एक मजबूत उम्मीदवार बनाता है। उनके लिए यह चुनाव केवल राजनीतिक नहीं है। वे चुनावों में अपने दादा बंसीलाल, पिता सुरेंद्र सिंह और माता किरण चौधरी के नाम पर वोट मांग रही हैं। उनके द्वारा किए गए कामों को भी गिनवा रही है
मगर सबसे बड़ी समस्या उनके सामने भाजपा के प्रति दस साल की सता का है।
अनिरूद्ध का कहना है कि विकास और प्रगति उनका ध्येय है। उनका दावा है कि बसी लाल के समय के बाद से तोशाम क्षेत्र में विकास की गति रुक गई है. और यह क्षेत्र बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है। शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे की जरूरतों को लेकर अनिरुद्ध ने जनता से वाद किया है कि यदि उन्हें मौका मिला, ती वे क्षेत्र को विकास की मुख्यधारा में लाएंगे। ल
तोशाम के मतदाता इस बार दोहरे धर्मसंकट में हैं। एक तरफ के अनिरुद्ध चौधरी में युवा नेतृत्व और नई सोच की झलक देख रहे है. जो क्षेत्र को भविष्य की दिशा में ले जाने का वादा कर रहे हैं। दूसरी तरफ, श्रुति चौधरी का अनुभव और सुरेंद्र सिंह व किरण चोधरी के परिवार की राजनीतिक विरुसत उन्हें आपने पाले में खीच रही है। तौशाम की जनता लंबे समय से बुनियादी सुविधाओं की कमी से जुझ रही है। इस बार के चुनच में विकास की उम्मीदें सबसे प्रमुख है। जनता के एक बड़े हिस्सों का मानना है कि अनिरुद्ध जैसे युवा नेता से उन्हें नई उम्मीदें हैं, जो शिक्षा, स्वास्था और रोजगार के क्षेत्रों में बदलाव ला सकते हैं। अनुरुद्ध के पक्ष में सकारात्मक माहौल चुनाव के माहौल में कांग्रेस के प्रति एक सकारात्मक लहर भी दिखाई दे रही है। तोशाम की जनता का मानना है कि कांग्रेस के पास इस बार युवा और अनुभवी दोनों नेताओं का मजबूत संयोजन है। अनिरुद्ध चौधरी के पास जहां युवा जोश और नई दृष्टि है। युवाओं को अनिरूद्ध की बातें और वादे आकर्षित कर रहे हैं। यही कारण है कि उनके साथ चुनावी अभियान में इलाके के युवाओं की फोज दिखाई देती है। तोशाम के इस ऐतिहारिक चुनावी महासंग्राम में किसकी जीत होगी, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन एक बात साफ है, यह मुकाबला राजनीतिक विरासत और युवा ऊर्जा के बीच है। जनता को तय करना है कि वे अनिरुद्ध के युवा जोश और नई सोच के साथ आएं, या फिर श्रुति चौधरी की पिता व माता की पारिवारिक विरासत को मौका दें। यह चुनाव न केवल तोशाम के भविष्य को तय करेगा, बल्कि बंसीलाल परिवार की तीसरी पीढ़ी को तय करेगा।
Rg
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