रेलवे और गतिशक्ति : एक अजेय साझेदारी
-ए के खंडेलवाल पूर्व सदस्य इंफ्रा रेलवे बोर्ड
चंडीगढ़। एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली ने संयुक्त रूप से 26 शतक लगाकर एक शानदार जोड़ी बनाई थी। जिस तरह क्रिकेट के मैदान पर इन दोनों खिलाड़ियों का दबदबा था, उसी तरह भारतीय रेलवे और पीएम गतिशक्ति-नेशनल मास्टर प्लान (पीएमजीएस-एनएमपी) के बीच की साझेदारी भारत के बुनियादी ढांचे के विकास में मांग के अनुरूप एक परिवर्तनकारी (गेम-चेंजर) भूमिका निभा रही है।
यह परिवर्तनकारी दृष्टिकोण विभिन्न विभागों, मंत्रालयों, राज्यों और केन्द्र-शासित प्रदेशों के बीच मौजूद अवरोधों को तोड़ने की सुविधा प्रदान करता है। गतिशक्ति अब बुनियादी ढांचे की योजना बनाने और निर्णय लेने की आधारशिला है। इसका कार्यान्वयन इस राष्ट्रीय परिवाहक (ट्रांसपोर्टर) के मंडल-स्तरीय निर्माण संगठनों तक फैला हुआ है। इसके माध्यम से, रेलवे ने पीएमजीएस के संचालन के दो प्रमुख तत्वों - संस्थागत ढांचे और भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) के डेटा-आधारित डिजिटल प्लेटफॉर्म को पूरी तरह से आत्मसात कर लिया है।
जहां गतिशक्ति गांगुली की कलात्मकता एवं दृढ़ नेतृत्व को प्रदर्शित करती है, वहीं रेलवे, तेंदुलकर की अनुकूलनशीलता की तरह, विविध चुनौतियों का कुशलता से सामना करता है।
इस एकीकृत दृष्टिकोण ने बुनियादी ढांचा से जुड़े मंत्रालयों और रेलवे ज़ोन के बीच समन्वय को उल्लेखनीय तरीके से बेहतर बनाया है, जिससे परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान करने में तेजी आई है। इस पहल ने परियोजनाओं के सर्वेक्षण को मंजूरी देने में आम तौर पर लगने वाले 4-5 महीनों के समय को घटाकर केवल सात दिन कर दिया है। इससे पूरे रेलवे नेटवर्क की दक्षता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वर्ष 2022-23 के दौरान कुल 458 परियोजनाओं के सर्वेक्षणों को मंजूरी दी गई, जबकि पहले यह संख्या लगभग 50 ही थी।
जहां रेलवे ने ऐतिहासिक रूप से अन्य सरकारी एजेंसियों के साथ समन्वय किया है, वहीं पीएमजीएस के माध्यम से उन्नत डिजिटल प्लेटफार्मों एवं वास्तविक समय में निगरानी का लाभ उठाते हुए परिवहन के विभिन्न साधनों के एकीकरण ने भारत के बुनियादी ढांचे के इकोसिस्टम में क्रांति ला दी है। विभिन्न रेलवे जोन, विभागों और क्षेत्रों के बीच बेहतर समन्वय के माध्यम से, पीएमजीएस अब बुनियादी ढांचे से संबंधित समग्र योजना निर्माण एवं कार्यान्वयन का एक आदर्श मॉडल बन गया है।
पीएमजीएस का सबसे व्यापक प्रभाव विभागीय अवरोधों को तोड़ना है। परंपरागत रूप से, सात अलग-अलग विभाग रेलवे के बुनियादी ढांचे के विकास से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर स्वतंत्र रूप से काम करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अनावश्यक देरी और अक्षमताएं पैदा होती हैं। अंतर-विभागीय संवाद को बढ़ावा देने और डिजिटल प्लेटफार्मों का लाभ उठाने से, परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान करने में तेजी आई है और नौकरशाही से जुड़ी अनावश्यक बाधाएं समाप्त हो गई हैं।
पीएमजीएस के कार्यान्वयन से योजना निर्माण में काफी सुधार आया है। गतिशक्ति के आने से पहले जहां प्रत्येक वर्ष मात्र 6-7 परियोजनाएं ही स्वीकृत होती थीं, वहीं वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान जहां 73 परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं। यह एक वित्तीय वर्ष में अब तक का सर्वाधिक रिकॉर्ड है! कुल 5,309 किलोमीटर की नई लाइन, दोहरीकरण और गेज परिवर्तन की परियोजनाओं के पूरा होने के साथ, परियोजनाओं के अंतिम रूप से कार्यान्वित होने का रिकॉर्ड भी काफी ऊपर पर पहुंच गया। रेल विद्युतीकरण 7,188 रूट किलोमीटर (आरकेएम) के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है और ट्रैक कमीशनिंग की गति 4 किलोमीटर प्रति दिन से बढ़कर 15 किलोमीटर प्रति दिन हो गई है।
प्रभावी रूप से, पीएमजीएस-एनएमपी कहां, क्या और कब की विस्तृत मैपिंग के माध्यम से बुनियादी ढांचे की भविष्योन्मुखी योजनाएं बना रहा है। इसमें सामाजिक एवं आर्थिक बुनियादी ढांचे, ट्रंक एवं उपयोगिता नेटवर्क, मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी, पर्यटन स्थल, भूमि राजस्व मानचित्र और वन सीमाओं से जुड़े सटीक एवं व्यापक आंकड़ों का समावेश है। ये जानकारियां परियोजनाओं के योजना निर्माण और कार्यान्वयन की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण हैं।
सभी परियोजनाओं की जांच (एनपीजी) नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप द्वारा की जाती है, जिसमें अतिरेक और निर्माण के बाद केबल/पाइप बिछाने के लिए नई बनी सड़कों को तोड़ने जैसी स्थितियों से बचते हुए समन्वित योजना निर्माण हेतु बुनियादी ढांचा से संबंधित सभी मंत्रालय शामिल हैं।
उदाहरण के लिए, हाउसिंग सोसाएटियां अब निवासियों के आने से पहले सीवेज, बिजली तथा अन्य सुविधाओं से लैस होंगी और कार्रवाई के लिए पहले शिकायतों के आने का इंतजार नहीं किया जाएगा। मांगों के बढ़ने से पहले ही विस्तारित हो रहे उपनगरों के पास स्थित गोदामों (वेयरहाउसिंग) को समय पर सड़क कनेक्टिविटी मिलेगी और विस्तार के दौर से गुजर रहे बंदरगाहों को पर्याप्त रेलवे निकासी और मल्टीमॉडल लिंक का लाभ मिलेगा।
योजना निर्माण की इस कुशल क्षमता को भास्कराचार्य नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस एप्लिकेशन एंड जियो-इंफॉर्मेटिक्स (बीआईएसएजी-एन) द्वारा समर्थित किया गया है, जिसने पीएमजीएस-एनएमपी को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
गतिशक्ति की सफलता का एक महत्वपूर्ण पहलू बुनियादी ढांचे की उन प्रमुख परियोजनाओं को प्राथमिकता देने में निहित है, जिनका कनेक्टिविटी, दक्षता और लॉजिस्टिक्स को बेहतर बनाने पर अधिकतम प्रभाव पड़ेगा। रेलवे अब शुरुआती और अंतिम छोर तक की कनेक्टिविटी के लिए आर्थिक केन्द्र, खदानें, बिजली संयंत्र और लॉजिस्टिक्स हब जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों की पहचान कर सकता है और मांग से पहले माल ढुलाई गलियारे एवं बंदरगाह कनेक्टिविटी परियोजनाओं की योजना बना सकता है। भारत में आर्थिक विकास को गति देने तथा व्यापार करना और अधिक आसान बनाने की क्षमता के आधार पर इस बुनियादी ढांचे को प्राथमिकता दी गई है।
कुल 16 रेलवे ज़ोन के सभी 68 मंडलों के बीच बेहतर सहयोग के माध्यम से होने वाला सुधार स्पष्ट दिखाई देता है। गतिशक्ति के आने से पहले, प्रत्येक रेलवे जोन व विभाग एक हद तक अलग-थलग रूप से संचालित होते थे। इससे देरी, अक्षमताएं और समन्वय की कमी की समस्याएं पैदा होती थीं। पीएमजीएस-एनएमपी के माध्यम से डिजिटल इंटरफेस की शुरूआत ने क्रॉस-जोन सहयोग का एक एकीकृत मंच प्रदान किया, जिससे समस्याओं का त्वरित समाधान और परियोजनाओं का सुचारू कार्यान्वन का संभव हुआ।
हालांकि मैं पीएमजीएस और भारतीय रेलवे, दोनों को सचेत करना चाहूंगा। जहां सचिन और सौरव ने क्रिकेट के मैदान पर उत्कृष्ट प्रदर्शन किया, वहीं राजनीतिक क्षेत्र में उन्हें चुनौतियों का सामना करना पड़ा। वैसे ही, पीएमजीएस की शक्ति और रेलवे के दृढ़ संकल्प को वैसी राजनीतिक परियोजनाओं से कमजोर नहीं पड़ने दिया जाना चाहिए जिनमें दीर्घकालिक लाभ का अभाव हो, क्योंकि भारत जल्द ही अपनी आजादी के सौ वर्ष पूरा करने वाला है।
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