Himachal Weather Update : हिमाचल में कमजोर पड़ा पश्चिमी विक्षोभ; अभी खुलकर बारिश-बर्फबारी के आसार नहीं, बढ़ेगी ठंड
बाबूरशाही ब्यूरो, 21 नवंबर 2024
शिमला। हिमाचल प्रदेश में सूखे जैसे हालात हो गए हैं। मौसम विज्ञान केंद्र ने आगामी 23 से 25 नवंबर तक बारिश और बर्फबारी की भविष्यवाणी की थी, लेकिन पश्चिमी विक्षोभ के कमजोर पड़ने से लोगों की उम्मीदों पर भी पानी फिर सकता है।
हालंकि 22 से 24 नवंबर तक हिमाचल में हल्की बारिश और बर्फबारी हो सकती है। खुलकर बारिश के लिए अभी इंतजार करना पड़ सकता है। वीरवार सुबह मैदानों में कोहरा पड़ने का सिलसिला जारी रहा। इससे यातायात प्रभावित हो रहा है। पहाड़ों में ठंड बढ़ने से ग्लेशियर जमने लगे हैं। बारिश-बर्फबारी न होने से कई इलाकों में सूखे के हालात हैं। नदी-नालों में जलस्तर घटने से जोगिंद्रनगर में हिमाचल की 66 मेगावाट पन विद्युत बस्सी परियोजना और पंजाब राज्य विद्युत बोर्ड की 110 मेगावाट की शानन विद्युत परियोजना में विद्युत उत्पादन प्रभावित हुआ है।
उधर, ताबो, कुकुमसेरी, समदो में न्यूनतम तापमान माइनस में पहुंचने से ऊंचाई वाले क्षेत्रों में प्राकृतिक झील और झरने जम रहे हैं। सालाना 250 करोड़ की आमदनी जुटाने वाली शानन परियोजना में विद्युत उत्पादन 60 प्रतिशत की गिरावट आई है। यहां 15 मेगावाट की चार और 50 मेगावाट की एक मशीन से कुल 110 मेगावाट विद्युत उत्पादन होता था, जो इन दिनों 0.55 मिलियन मेगावाट ही हो रहा है। पावर हाउस में स्थापित 50 मेगावाट की एक और 15 मेगावाट की दो मशीनरियों को पानी की किल्लत के चलते बंद करना पड़ा है। बस्सी में भी पहले 66 मेगावाट विद्युत उत्पादन होता था, जो इन दिनों 16 मेगावाट तक सिमट चुका है।
बस्सी में सालाना 100 करोड़ की आमदनी होती थी, जो इन दिनों पानी की कमी के चलते लाखों में सिमट गई है। पानी की आपूर्ति कम हो जाने से 16.4 मेगावाट की तीन टरबाइनों को बंद करना पड़ा है।
शानन परियोजना के एसई अजीत कुमार ने बताया कि बरोट स्थित परियोजना की रेजरवायर में पानी की गिरावट के चलते विद्युत उत्पादन में गिरावट आई है, लेकिन तय लक्ष्य पूरा किया जा रहा है। वहीं, आरई बस्सी परियोजना के आरई मनोज सेन का कहना है कि ग्लेशियर जमने से बरोट स्थित रेजर वायर में पानी में गिरावट आई है। जिस कारण विद्युत उत्पादन कम हो रहा है।
बुधवार को राजधानी शिमला सहित प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में धूप खिलने के बावजूद अधिकतम तापमान 27 डिग्री तक ही पहुंचा।
प्रदेश के उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में न्यूनतम पारा गिरने से शीतलहर बढ़ गई है। लाहाैल की सिस्सू झील पर बर्फ की परत जम गई है। 13,124 फीट की ऊंचाई पर स्थित नीलकंठ झील के साथ रोहतांग दर्रे के साथ सटी भृगु झील का पानी भी ठोस बर्फ में तबदील होना शुरू हो गया है। 13,800 फीट की ऊंचाई पर स्थित चंद्रताल झील के साथ मनाली-लेह सड़क से सटे सूरजताल, दीपकताल व अल्यास झील का पानी बीते कुछ दिनों से ही जमना शुरू हो चुका है। जनजातीय क्षेत्र पांगी के तहत साच जोत की सड़क में फिसलन बढ़ गई है। (SBP)
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