बिजली कर्मियों ने भरी हुंकार
निजी कंपनी जिस दिन टेक ओवर करेगी,उसी दिन कर्मचारी कार्य बहिष्कार करके सड़कों पर उतरेंगे: सुभाष लांबा
निजीकरण के खिलाफ देशभर में बिजली कर्मचारी 6 दिसंबर को करेंगे विरोध प्रदर्शन: देवेन्द्र दुबे
निजीकरण का फैसला जन विरोधी, लोकसभा में उठाउंगा : मनीष तिवारी
रमेश गोयत
चंडीगढ़,22 नवंबर। कर्मचारियों एवं उपभोक्ताओं के तीखे विरोध के बावजूद चंडीगढ़ पावर डिपार्टमेंट को निजी हाथों में सौंपने के खिलाफ शुक्रवार को सेक्टर 17 में इंजि. पदमजीत सिंह की अध्यक्षता में आक्रोश जन सभा का आयोजन किया गया। जनसभा में सर्व सम्मति से पारित प्रस्ताव में प्रशासन को कड़ी चेतावनी दी गई कि कर्मचारियों एवं उपभोक्ताओं के विरोध के बावजूद निजी कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए किसी जल्दबाजी में लेटर आफ इन्टेंट (एलओआई) कर पावर डिपार्टमेंट को निजी हाथों में सौंपने का प्रयास किया तो बिजली व अन्य विभागों के कर्मचारी कार्य बहिष्कार कर उपभोक्ताओं को साथ लेकर सड़कों पर उतरने पर मजबूर होंगे। जिसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। जनसभा में ऐलान किया गया की किसी भी कीमत पर मुनाफे में चल रहे विभाग को निजी हाथों में सौंपने नहीं दिया जाएगा। जन सभा में सांसद मनीष तिवारी भी पहुंचे और उन्होंने जनता एवं कर्मचारियों के विरोध के बावजूद निजीकरण के फैसले को जनविरोधी बताया और आगामी शीतकालीन सत्र में मामले को संसद में जोरदार तरीके से उठाया जाएगा। बिजली कर्मचारियों एवं इंजीनियर की सर्वोच्च कमेटी नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी आफ इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाइज एंड इंजीनियर के बेनर तले आयोजित इस जनसभा में बिजली कर्मचारियों एवं इंजीनियर के अलावा चंडीगढ़ के विभिन्न विभागों में कार्यरत कर्मचारियों, दर्जनों निगम पार्षदों, आरडब्ल्यूए व पिंड संधर्ष कमेटी के प्रतिनिधियों, विभिन्न ट्रेड यूनियनों, किसान संगठनों आदि के हजारों प्रतिनिधियों ने भाग लिया। जनसभा में पंजाब ,हरियाणा, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, यूपी व राजस्थान के बिजली कर्मचारियों एवं इंजीनियर भी शामिल हुए और चंडीगढ़ के बिजली कर्मचारियों के आंदोलन के साथ एकजुटता प्रकट की। नेशनल कमेटी के वरिष्ठ नेता शेलेन्द्र दुबे, सुभाष लांबा, मोहन शर्मा,शमिउल्लाह ,सरेश राठी, हरपाल सिंह, अब्दुल नजार,इंकबाल, सुरिंदर पाल, एटक, कामेश्वर,कार्तिकेय दुबे, फासवैक के चेयरमैन बलजिन्दर सिंह बिट्टू,आर डबल्यू ए के प्रदीप चोपड़ा,कुलदीप सिंह गिल,अमरदीप सिंह यूटी पावरमेन यूनियन चंडीगढ़ के प्रधान ध्यान सिंह व महासचिव गोपाल दत्त जोशी, यूटी चंडीगढ़ एम्पलाइज एंड वर्कर के प्रधान रघबीर चंद,राजेन्द्र कटोच, व पंजाब सबोर्डिनेट सर्विसेज फेडरेशन के प्रधान गगनदीप सिंह ने भाग लिया और ऐलान किया की जिस दिन एलओआई के बाद निजी कंपनी टेक ओवर करेगी ,उसी दिन चंडीगढ़ के कर्मचारियों के साथ सभी राज्यों में बिजली कर्मचारी एवं इंजीनियर भी कार्य बहिष्कार कर सड़कों पर डटकर संधर्ष करेंगे। जन सभा में बिजली के हितधारकों कर्मचारियों एवं उपभोक्ताओं के तीखे विरोध के बावजूद और साल दर साल सैंकड़ों करोड़ रुपए मुनाफा देने वाले तथा उपभोक्ताओं को 24 धंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति करने वाले ओर देश में सबसे सस्ती बिजली देने वाले चंडीगढ़ पावर डिपार्टमेंट को कौड़ियों के भाव में कोलकाता की एक निजी कंपनी को हैंड ओवर करने के निर्णय को घोर निन्दा की गई। जन सभा में निजीकरण करने, यूनियन के प्रतिनिधियों से बातचीत न करने और चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा दिए गए आश्वासन के अनुसार बिना ट्रांसफर पालिसी नोटिफाई कर आनन फानन में एलओआई करने के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन भी किया गया। उल्लेखनीय है कि बिजली कर्मचारियों ने 22-23 फरवरी को 2022 को दो दिवसीय ऐतिहासिक हड़ताल की थी।
नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी आफ इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाइज एंड इंजीनियर के वरिष्ठ नेता शेलेन्द्र दुबे, सुभाष लांबा व मोहन शर्मा ने जन सभा को संबोधित करते हुए कहा कि चंडीगढ़ बिजली विभाग में 1780 पद स्वीकृत हैं। जिनके विरूद्ध 540 रेगुलर कर्मचारी काम कर रहे हैं और 1240 पद खाली पड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद वित्त वर्ष 2023-24 में करीब 158 करोड़ रुपए विभाग ने सरकार को मुनाफा और उपभोक्ताओं को देश से सबसे सस्ती एवं निर्बाध बिजली आपूर्ति की है। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ पावर डिपार्टमेंट के पास लगभग 25 हजार करोड़ से ज्यादा की परिस्थितियां हैं और निजी कंपनी को लगभग 871 करोड़ में सौंपी जा रही है। उन्होंने कहा कि जिस कोलकाता की जिस निजी कंपनी को चंडीगढ़ पावर डिपार्टमेंट सौंपा जा रहा है,उस कंपनी ने भाजपा को 100 करोड़ रुपए इलेक्ट्रोल बांड द्वारा चंदा दिया गया था। यहां एक बार पुनः चंदा दो, धंधा लो वाली बात प्रमाणित हो गई है। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ पावर डिपार्टमेंट का टेरिफ करीब 4 रुपए प्रति यूनिट है और निजी कंपनी का कोलकाता में टेरिफ करीब 8 रुपए है। निजी हाथों में सौंपे जाने के बाद दो गुणा बिजली के बिल आएंगे। जिससे उपभोक्ताओं को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। इसलिए सभी जन प्रतिनिधियों को बिजली निजीकरण के खिलाफ आवाज बुलंद करनी चाहिए और इसके खिलाफ होने वाले आंदोलन में शामिल होना चाहिए।
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