हरियाणवी भाषा में तैयार व्याकरण पुस्तक को किया विमोचन
रमेश गोयत
पंचकूला, 22 नवम्बर - डा. जयभगवान शर्मा द्वारा हरियाणवी भाषा में तैयार हरियाणवी व्याकरण पुस्तक का विमोचन किया। जो पहले संस्कृत तथा हिंदी के कई व्याकरण लिख चुके लिख चुके हैं और अब हस्तलिखित व्याकरण नवाचारी प्रारूप में दिया है। विमोमन में हरियाणा साहित्य अकादमी के कार्यकारी उपाध्यक्ष डा. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री, एडवोकेट रमन शर्मा, नरेश कुमार, डा. धर्मदेव विद्यार्थी, डा. बिजेन्द्र शामिल रहे।
डा. जयभगवान शर्मा ने बताया कि हरियाणवी बोली प्राचीन काल से ही बेहद समृद्ध रही है। इसमें सभी विधाओं में विपुल साहित्य रचा गया है। इसका क्षेत्र भी बेहद विस्तृत रहा है। हरियाणवी व्याकरण पर अनेक विद्वानों ने काम किया है। उन्होंने बताया कि इस ग्रंथ की सबसे बड़ी खूबी इसका हस्तलिखित होना है, जिसमें सभी अध्यायों में विषयों तथा उप-विषयों के बहुआयामी पक्षों को अपने सुलेख की त्रुटि रहित वर्तनी से लिखकर इस व्याकरण को जीवंत दस्तावेज बनाया है।
उन्होंने बताया कि इस ग्रंथ के सभी बीस अध्यायों का वर्गीकरण तथा विश्लेषण वैज्ञानिक आधार पर नवाचारी प्रारूप से ठेठ हरियाणवी शब्दावली के प्रासंगिक उदाहरणों के साथ किया गया है। 20 अध्यायों में व्याकरण के सभी प्रमुख घटकों की बहुआयामी विस्तृत चर्चा के साथ शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि 20 अध्यायों के अलावा इस ग्रंथ में रखे गए दोनों परिशिष्ट बेहद महत्वपूर्ण बन पड़े हैं, जिनमें प्रथम परिशिष्ट में जहां हिंदी के 60 वाक्यों को हरियाणवी, अहीरी, बागड़ी, मेवाती, कौरवी, ब्रज में संबंधित क्षेत्र की विशेषज्ञों द्वारा अनुवादित करवाया गया है। दूसरे परिशिष्ट में गणपाठ को शामिल किया गया है।
उन्होंने बताया कि व्याकरण की भाषा बेहद सरल, सहज व बोधगम्य है। व्याकरण की दृष्टि से हर विषय, उपविषय में हरियाणवी उदाहरणों की प्रासंगिकता बेहतर बन पड़ी है। कुल मिलकर यह हरियाणवी व्याकरण हरियाणवी बोली को भाषा बनाने की यात्रा में शामिल है।
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