हरियाणा से पूर्व भाजपा सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री रहे नेता के पुत्र अपने गृह जिले में एसडीएम तैनात
18 दिसंबर को दिवंगत रतनलाल कटारिया और भाजपा नेत्री बंतो कटारिया के पुत्र 2020 बैच के एचसीएस चंद्रकांत कटारिया की पंचकूला में उपमंडलाधीश पद पर तैनाती के आदेश
डीसी.,एडीसी., एसडीएम., एसपी., डीएसपी., जैसे अहम प्रशासनिक पदों पर अधिकारियों को उनके गृह जिले में नहीं मिलती पोस्टिंग
बाबू शाही ब्यूरो
चंडीगढ़, 22 दिसम्बर। क्या किसी एचसीएस. - ई.बी.(हरियाणा सिविल सेवा- कार्यकारी शाखा) कैडर अधिकारी को उसी के ही गृह जिले में अहम प्रशासनिक और प्रतिष्ठित पद अर्थात सब-डिविजनल ऑफिसर (सिविल)-- एसडीओ.(सी) अर्थात उप-मंडल अधिकारी (नागरिक) जिसे आम तौर पर एसडीएम कहा जाता है के पद पर तैनात किया जा सकता है ? आम तौर पर नियमित सरकारी सेवा में कार्यरत गजेटेड ऑफिसर ( राजपत्रित अधिकारी) अर्थात ग्रुप ए और ग्रुप बी ( क्लास वन और क्लास टू) अधिकारियों और विशेष तौर पर डीसी (उपायुक्त), एडीसी (अतिरिक्त उपायुक्त), एसपी. (पुलिस अधीक्षक), एसडीएम. और डीएसपी. जैसे पदों पर अधिकारियों को उनके गृह जिले में तैनात नहीं किया जाता है.
गत सप्ताह 18 दिसंबर 2024 हरियाणा सरकार के कार्मिक विभाग द्वारा 47 एससीएस अधिकारियों के सम्बन्ध में जारी ताज़ा तैनाती एवं तबादल आदेश में 2020 बैच के एचसीएस. अधिकारी चंद्रकांत कटारिया, जिन्होंने प्रदेश सरकार के आधिकारिक रिकॉर्ड में उनका गृह जिला ( अर्थात परिवार का घर) पंचकूला घोषित किया है, को पंचकूला जिले में ही एसडीओ (सिविल) अर्थात एसडीएम. तैनात किया गया.कटारिया इससे पूर्व हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं बुनियादी ढांचा विकास निगम ( एचएसआई.आईडीसी.) में बतौर ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर के पद पर तैनात थे।
सनद रहे कि चंद्रकांत कटारिया अम्बाला (एससी आरक्षित) लोकसभा सीट से कुल तीन बार भाजपा सांसद रहे रतन लाल कटारियाइ एवं जो मई,2019 से जुलाई,2021 तक नरेंद्र मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्रिपरिषद में राज्य मंत्री भी रहे थे एवं जिनका गत वर्ष मई,2023 में निधन हो गया था, के पुत्र हैं. चंद्रकांत की माता और भाजपा की वरिष्ठ नेत्री बंतो कटारिया ने इसी वर्ष अम्बाला लो.स. सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था हालांकि वह उसमें पराजित हो गई थी. चंद्रकांत आज से पांच वर्ष पूर्व दिसंबर, 2019 में हरियाणा सिविल सेवा (एचसीएस ) में चयनित होकर राज्य सरकार में क्लास वन अधिकारी बने थे और उन्हें 2020 बैच का एचसीएस. कैडर प्रदान किया गया था.
बहरहाल, इस विषय पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट एडवोकेट एवं प्रशासनिक मामलों के जानकार हेमंत कुमार ने बताया कि हरियाणा सरकार द्वारा वर्ष 1989 और 1991 और तदोपरांत भी संबंधित गृह जिले में प्रदेश के गजेटेड अधिकारियों की तैनाती नहीं करने के विषय पर हिदायतें जारी की जाती रही हैं जो आज तक लागू हैं एवं राज्य सरकार द्वारा समय समय पर सभी विभागों के प्रशासनिक सचिवों एवं विभागाध्यक्ष आदि को सर्कुलर पत्र जारी कर दोहराया भी जाता है एवं उक्त सरकारी हिदायतों की सख्ती से अनुपालना सुनिश्चित करने बारे निर्देश दिया जाता है.
हेमंत ने आगे बताया कि उपरोक्त सरकारी हिदायतों के अनुसार सामान्यत: गज़ेटेड अधिकारियों के विभाग द्वारा उनका तबादला कर सीधे उनके गृह ज़िले में तैनात नहीं किया जा सकता एवं सम्बंधित विभाग द्वारा प्रदेश के सामान्य प्रशासन (जनरल एडमिनिस्ट्रेशन ) विभाग की पूर्व सहमति के पश्चात ही ऐसा हो सकता है हालांकि प्रदेश के सचिवालय में तैनात गज़ेटेड अधिकारी, प्रदेश के विभागाध्यक्ष , मंडलायुक्त, एक से अधिक ज़िलों के अधिकार-क्षेत्र में पड़ने वाले विभागों के कार्यालयों में कार्यरत अधीक्षक अभियंता (सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर- एस.ई ) एवं उक्त कार्यालयों में तैनात अन्य अधिकारी, शिक्षा विभाग में कार्यरत प्रोफेसर और सीनियर लेक्चरर एवं प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में कार्यरत डॉक्टर इसका अपवाद हैं अर्थात इन सभी पर उक्त नीति लागू नहीं होती।
नवंबर, 2020 में प्रदेश सरकार द्वारा जारी एक पत्र में पुन: उल्लेख कर निर्देश दिया गया था कि विशेष तौर पर उल्लेखित उक्त वर्गों के अतिरिक्त शेष गज़ेटेड अधिकारियों को उनके गृह ज़िले में तबादला कर तैनात करने से पहले सामान्य प्रशासन विभाग से पूर्व स्वीकृति प्राप्त करनी आवश्यक है जबकि वास्तव में होता यह है कि ऐसे गज़ेटेड अधिकारियों को उनके सम्बंधित विभाग द्वारा उनके गृह ज़िले में तैनाती-तबादला करने के बाद स्वीकृति प्रदान करने के लिए मामला सामान्य प्रशासन विभाग को भेजा जाता है जिसका सरकार द्वारा गंभीर संज्ञान लिया गया है. जहाँ तक आईएएस और एचसीएस अधिकारियों का विषय है, तो उनकी फील्ड पोस्टिंग (ज़िलों/उपमंडलों आदि में तैनाती) पर भी उक्त नीति लागू होती है।
हेमंत ने बताया कि प्रदेश के कार्मिक और सामान्य प्रशासन दोनों विभागों के प्रशासनिक सचिव राज्य के मुख्य सचिव होते हैं जबकि राजनीतिक तौर पर यह दोनों विभाग मुख्यमंत्री के अधीन आते है। प्रदेश में आईएएस और एचसीएस अधिकारियों की तैनाती और तबादले के आदेश मुख्यमंत्री द्वारा कार्मिक विभाग के मंत्री के तौर पर दिए निर्देशों की अनुपालना में मुख्य सचिव के हस्ताक्षर से जारी किये जाते हैं. अब जब किसी एचसीएस/आईएएस अधिकारी को कार्मिक विभाग द्वारा ही उसके गृह ज़िले में तैनात कर किया जाता है, तो क्या इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग की स्वीकृति की आवश्यकता होगी अथवा नहीं, यह देखने लायक है ?
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