चंडीगढ़ प्रशासन के बजट में असंतुलन: राजस्व में भारी कमी और व्यय में अधिकता
प्रशासन में राजस्व घाटे का प्रमुख कारण जीएसटी में भारी नुकसान
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 25 जनवरी। जहां एक और नगर निगम चंडीगढ़ वित्तीय संकट से गुजर रहा है, वही चंडीगढ़ प्रशासन का बजट भी इन बैलेंस होता नजर आ रहा है। जिसका मुख्य कारण जीएसटी में 700 करोड रुपए की गिरावट बताई जा रही है। यह चंडीगढ़ प्रशासन के दिसम्बर की अकाउंट रिपोर्ट में आय और व्यय के खर्चे बता रहे हैं।
चंडीगढ़ प्रशासन जहां एक ओर महत्वाकांक्षी योजनाओं के साथ वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए अपने लक्ष्यों को निर्धारित कर रहा था, वहीं वर्तमान स्थिति में वह इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में नाकाम साबित हो रहा है। प्रशासन के लिए यह वित्तीय असंतुलन गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है, जिससे आगामी विकास योजनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है। प्रशासन ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए अपने राजस्व और व्यय लक्ष्यों को लेकर महत्वाकांक्षी योजनाएं बनाई थीं, लेकिन मौजूदा स्थिति में वह इन दोनों मोर्चों पर काफी पिछड़ते हुए नजर आ रहे हैं। इन लक्ष्यों में असफलता प्रशासन के लिए गंभीर वित्तीय असंतुलन और आगामी विकास योजनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालने की संभावना उत्पन्न कर रही है।
राजस्व में 700 करोड़ रुपये की कमी
चंडीगढ़ प्रशासन का लक्ष्य था कि वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान वह 3,350 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित करेगा, लेकिन दिसंबर 2024 तक सिर्फ 2,456 करोड़ रुपये ही एकत्रित किए जा सके हैं, जो कि निर्धारित लक्ष्य से 700 करोड़ रुपये कम है। प्रशासन की इस भारी राजस्व घाटे का प्रमुख कारण जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) में आया भारी नुकसान है, जो कि अकेले 700 करोड़ रुपये के बराबर है।
इसके अलावा, उत्पाद शुल्क (एक्साइज) में भी 105 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। हालांकि, बिक्री कर (सेल्स टैक्स) में कुछ सुधार देखा गया है, लेकिन फिर भी कुल मिलाकर यह स्थिति चंडीगढ़ प्रशासन के वित्तीय प्रक्षेपणों के अनुरूप नहीं है।
व्यय में लक्ष्यों से अधिक खर्च
राजस्व में कमी के बावजूद, चंडीगढ़ प्रशासन ने अपने व्यय लक्ष्यों को लेकर भी अपनी सीमाएं पार कर दी हैं। जहां प्रशासन ने 4,400 करोड़ रुपये के व्यय का लक्ष्य तय किया था, वहीं अब तक 5,514 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, जो कि निर्धारित लक्ष्य से अधिक है। इससे स्पष्ट होता है कि प्रशासन ने योजनाओं और परियोजनाओं को लागू करने में अपेक्षाकृत ज्यादा खर्च किया है, जो वित्तीय योजना में असंतुलन का कारण बन सकता है।
वहीं, पूंजीगत व्यय (कैपिटल एक्सपेंडिचर) के मोर्चे पर प्रशासन ने तय लक्ष्य को पूरा नहीं किया है और इसमें 130 करोड़ रुपये की कमी आ रही है। यह कमी प्रशासन के लिए एक चिंता का विषय है क्योंकि पूंजीगत व्यय से ही बुनियादी ढांचे और दीर्घकालिक विकास कार्यों को गति मिलती है।
वित्तीय असंतुलन और विकास कार्यों पर प्रभाव
चंडीगढ़ प्रशासन के इस वित्तीय असंतुलन ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं, जिनका जवाब प्रशासन को देना होगा। राजस्व में भारी कमी और व्यय में बढ़ोतरी से यह संभावना जताई जा रही है कि आगामी योजनाओं और विकास कार्यों पर गंभीर असर पड़ेगा। यदि यह वित्तीय असंतुलन जारी रहता है, तो प्रशासन को अपनी योजनाओं को पुनः समायोजित करने की आवश्यकता होगी, ताकि दीर्घकालिक विकास और सेवा सुधार को सुनिश्चित किया जा सके।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि प्रशासन ने समय रहते राजस्व सुधार के उपाय नहीं किए और व्यय को नियंत्रित नहीं किया, तो यह चंडीगढ़ के विकास कार्यों में रुकावट और सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता में गिरावट का कारण बन सकता है।
राजस्व सुधार और वित्तीय रणनीतियों की आवश्यकता
इस स्थिति में चंडीगढ़ प्रशासन को अपनी वित्तीय रणनीतियों और योजनाओं का पुनः मूल्यांकन करने की आवश्यकता है। जीएसटी, उत्पाद शुल्क और अन्य स्रोतों से राजस्व संग्रहण में सुधार के उपायों को प्राथमिकता देने के साथ ही, व्यय पर नियंत्रण रखना जरूरी होगा। प्रशासन को भविष्य में ऐसी परिस्थितियों से बचने के लिए अपनी वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए रणनीतिक बदलाव करने होंगे।
अंततः, चंडीगढ़ प्रशासन के लिए यह एक गंभीर संकेत है कि वह अपनी वित्तीय योजनाओं में सुधार करें, ताकि भविष्य में होने वाले विकास कार्यों में कोई विघ्न न आए और जनता को बेहतर सेवाएं प्रदान की जा सकें।
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