बिजली निजीकरण के मुद्दे पर प्रशासन व कर्मचारी आमने-सामने
जनता की संपत्ति को किसी भी कीमत पर निजी कंपनी को हैंडओवर नहीं होने देंगे: सुभाष लांबा
31 जनवरी को चंडीगढ़ में रोष मार्च, देशभर में एकजुटता प्रदर्शन : सुदीप दत्ता
बीस हजार उपभोक्ताओं के हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन प्रशासन को सौंपा, फैसला वापस लेने की मांग : गोपाल दत्त जोशी
रमेश गोयत
चंडीगढ़,27 जनवरी। बिजली निजीकरण के मुद्दे पर बिजली कर्मचारी और प्रशासन आमने-सामने आ गए हैं। एक तरफ जहां यूटी प्रशासन 31 जनवरी को चंडीगढ़ विधुत विभाग को निजी कंपनी को हैंडओवर करने की तैयारी में जुटा है तो वहीं दूसरी ओर बिजली कर्मचारियों ने 31 जनवरी को आम नागरिकों के साथ मिलकर चंडीगढ़ में रोष मार्च निकलने का ऐलान कर दिया हैं। देश के बिजली कर्मचारियों एवं इंजीनियर की सर्वोच्च कमेटी नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी आफ इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाइज एंड इंजीनियर (एनसीसीओईईई) ने भी चंडीगढ़ बिजली कर्मचारियों के आंदोलन के साथ एकजुटता प्रकट करने और निजीकरण के खिलाफ 31 जनवरी को देशभर में विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान कर दिया है। बिजली निजीकरण के खिलाफ रविवार को सेक्टर 28 बी बिजली कालौनी में प्रधान अमरीक सिंह की अध्यक्षता में एक जनसभा का आयोजन किया गया। यूटी पावर मैन यूनियन चंडीगढ़ के महासचिव गोपाल दत्त जोशी द्वारा संचालित इस जनसभा में हजारों की संख्या में बिजली व अन्य विभागों के कर्मचारी एवं उनके परिजनों के अलावा किसान, मजदूर, महिला, आरडब्ल्यूए, पिंड संधर्ष कमेटी से जुड़े नागरिकों ने भाग लिया। ऑल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट एम्पलाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया (ईईएफआई) के उपाध्यक्ष सुभाष लांबा, ईईएफआई के राष्ट्रीय सचिव सुदीप दत्ता, फेडरेशन ऑफ यूटी एम्पलाइज एंड वर्कर के प्रधान रघबीर चंद व वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजेंद्र कटोच भी जनसभा में मौजूद थे।
ईईएफआई के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाष लांबा व सचिव सुदीप दत्ता ने जनसभा को संबोधित करते हुए दो टूक कहा कि जनता की परिस्थितियों को किसी भी कीमत पर निजी कंपनी को हैंडओवर नही करने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर जनता और कर्मचारियों के जनवादी एवं शांतिपूर्ण तरीके से किए जा रहे विरोध के बावजूद यूटी प्रशासन ने 31 जनवरी को बिजली विभाग को निजी कंपनी को हैंडओवर किया तो चंडीगढ़ के बिजली कर्मचारी निजी कंपनी के अधीन काम नहीं करेंगे। इससे उपभोक्ताओं को कोई किसी भी प्रकार की परेशानी होगी तो उसके लिए पूरी तरह यूटी प्रशासन जिम्मेदार होगा। उन्होंने कहा कि अगर प्रशासन ने बिजली कर्मचारियों के साथ जोर-जबरदस्ती की या उनका उत्पीड़न एवं दमन किया तो हरियाणा, पंजाब, हिमाचल,उप्र व जम्मू-कश्मीर सहित देश भर के 27 लाख बिजली कर्मचारी एवं इंजीनियर देशभर में सड़कों पर आकर माकूल जवाब देंगे और केंद्र सरकार व यूटी प्रशासन ने मजबूर किया तो हड़ताल करने पर भी मजबूर होंगे।
बीस हजार उपभोक्ताओं के हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन प्रशासन को सौंपा, निजीकरण का फैसला वापस लेने की मांग
जनसभा के बाद बिजली कर्मचारियों एवं नागरिकों ने बीस हजार उपभोक्ताओं के हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन महामहिम राज्यपाल को सौंपने के खिलाफ राजभवन मार्च शुरू किया। पुलिस ने पुलिस स्टेशन के पास बेरीकेट्स लगाकर जुलूस मार्च को रोक दिया। कर्मचारियों एवं नागरिकों के आक्रमण तेवरों को देखते हुए महामहिम राज्यपाल की ओर से एसडीएम मौके पर पहुंचे और यूनियन के अध्यक्ष अमरीक सिंह, जरनल सेकेट्री गोपाल दत्त जोशी, ईईएफआई के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाष लांबा, सचिव सुदीप दत्ता व फेडरेशन के प्रधान रघबीर चंद आदि ने बीस हजार उपभोक्ताओं के हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन एसडीएम को सौंपा। वक्ताओं ने एसडीएम को बताया कि पिछले करीब 50 दिनों से कर्मचारी एवं नागरिक सड़कों पर निजीकरण का विरोध कर रहे हैं। लेकिन महामहिम राज्यपाल और यूटी प्रशासन ने किसी से भी बातचीत करना जरूरी नहीं समझा। प्रशासन के रवैए से ऐसा लगता है कि प्रशासन अनावश्यक टकराव करवाने पर आमादा है। गोपाल दत्त जोशी ने कहा कि प्रशासन माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले और एलेक्ट्रीसिटी एक्ट 2003 के प्रावधान को मानते हुए विभाग को निजी कंपनी को हैंडओवर करने से पहले कर्मचारियों की ट्रांसफर नीति भी बनाना जरूरी नहीं समझा और जबरन सरकारी कर्मचारियों को निजी कंपनी के अधीन काम करने के लिए बाध्य कर रहा है।
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