गुड़िया रेप-मर्डर केस: आरोपी की पुलिस कस्टडी में हत्या पर IG समेत 8 पुलिसकर्मियों को उम्रकैद
बाबूशाही ब्यूरो
चंडीगढ़, 27 जनवरी: हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित गुड़िया रेप-मर्डर केस में एक बड़ा फैसला आया है। चंडीगढ़ की सीबीआई कोर्ट ने पुलिस कस्टडी में आरोपी की हत्या के मामले में IG समेत 8 पुलिसकर्मियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इससे पहले, 18 जनवरी 2025 को इन्हें दोषी करार दिया गया था।
क्या है मामला?
2017 में हिमाचल प्रदेश के कोटखाई क्षेत्र में 16 वर्षीय छात्रा के साथ गैंगरेप और मर्डर की घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था। इस केस में पुलिस ने आरोपी सूरज को गिरफ्तार किया था। हालांकि, कस्टडी के दौरान उसकी संदिग्ध परिस्थितियों में हत्या कर दी गई। बाद में, सीबीआई ने जांच में पाया कि पुलिस ने मामले को दबाने और वास्तविक आरोपियों को बचाने के लिए सूरज की हत्या की साजिश रची थी।
फैसले के मुख्य बिंदु:
- चंडीगढ़ की सीबीआई कोर्ट ने IG समेत 8 पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा दी।
- आरोपियों में पुलिस महानिरीक्षक (IG) के अलावा अन्य वरिष्ठ अधिकारी और जवान शामिल हैं।
- सीबीआई ने इस मामले की गहन जांच की थी, जिसमें पुलिसकर्मियों की भूमिका को स्पष्ट रूप से साबित किया गया।
जनता में रोष और न्याय की मांग
गुड़िया रेप-मर्डर केस और आरोपी की हत्या ने हिमाचल प्रदेश और देशभर में गुस्से की लहर पैदा की थी। जनता ने इस मामले में निष्पक्ष जांच और दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग की थी।
सीबीआई की जांच और कोर्ट का फैसला:
सीबीआई ने इस मामले में तेजी से जांच करते हुए पाया कि पुलिसकर्मियों ने न केवल मामले की जांच में लापरवाही बरती, बल्कि आरोपी सूरज की हत्या की साजिश भी रची। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जिन लोगों पर कानून और न्याय की रक्षा का जिम्मा था, उन्होंने खुद कानून का दुरुपयोग किया।
परिवार और जनता का बयान:
गुड़िया के परिवार ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया और इसे न्याय की जीत बताया। उन्होंने कहा कि यह सजा एक उदाहरण बनेगी और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने में मदद करेगी।
समाज में संदेश:
यह फैसला उन सभी के लिए एक चेतावनी है जो कानून का दुरुपयोग कर न्याय के रास्ते में रुकावट डालने की कोशिश करते हैं। कोर्ट ने कहा कि कानून से ऊपर कोई नहीं है, चाहे वह किसी भी पद पर हो।
यह निर्णय न केवल पीड़िता और उसके परिवार के लिए न्याय लेकर आया है, बल्कि न्यायपालिका की निष्पक्षता पर विश्वास को भी मजबूत किया है।
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