पंचकूला: हाईकोर्ट में करवा चौथ को महिलाओं के लिए अनिवार्य बनाने की अजीब याचिका दाखिल
बाबूशाही ब्यूरो
पंचकूला, 25 जनवरी: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में हाल ही में एक व्यक्ति ने अनोखी याचिका दाखिल कर करवा चौथ को सभी महिलाओं के लिए अनिवार्य बनाने की मांग की है। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि इस त्योहार में विधवा, तलाकशुदा, अलग रह रही महिलाओं और लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिलाओं को भी शामिल किया जाए।
अच्छे भाग्य का त्योहार घोषित करने की अपील
याचिकाकर्ता ने करवा चौथ को "महिलाओं के अच्छे भाग्य का प्रतीक" बताते हुए इसे "मां गौरा उत्सव" या "मां पार्वती उत्सव" के रूप में मान्यता देने की मांग की। साथ ही भारत और हरियाणा सरकार से कानून में संशोधन कर इसे सभी महिलाओं के लिए अनिवार्य बनाने और भागीदारी सुनिश्चित करने की अपील की। याचिका में यह भी कहा गया कि अगर कोई इस अनुष्ठान में किसी महिला को शामिल होने से रोकता है, तो उसे दंडित किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने क्या कहा?
मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति सुमीत गोयल की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए इसे "अद्वितीय और असामान्य" करार दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता की इस दलील पर विचार किया कि कुछ वर्गों की महिलाओं, विशेष रूप से विधवाओं को करवा चौथ मनाने से रोका जाता है। याचिकाकर्ता ने इस भेदभाव को समाप्त करने के लिए सख्त कानून बनाने की मांग की, ताकि हर महिला को करवा चौथ मनाने का अधिकार मिले।
याचिका पर अगली सुनवाई
हालांकि, कोर्ट ने इस याचिका पर कोई अंतिम फैसला नहीं सुनाया और इसे अध्ययन के लिए सूचीबद्ध कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामले में व्यापक सामाजिक और कानूनी परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखना आवश्यक है।
सामाजिक प्रतिक्रियाएं
यह याचिका सोशल मीडिया और समाज में चर्चा का विषय बन गई है। कई लोग इसे महिलाओं की स्वतंत्रता के खिलाफ बता रहे हैं, जबकि कुछ इसे पारंपरिक अनुष्ठानों को समानता के साथ लागू करने की पहल मान रहे हैं।
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