सेक्टर 1 महाविद्यालय के विद्यार्थी हुए दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय साहित्य महोत्सव 'लिटराटी' में शामिल
रमेश गोयत
पंचकूला, नवंबर 24,2024: सेक्टर 1 स्थित राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय की इंग्लिश लिट्रेरी सोसाइटी के बीए इंग्लिश ऑनर्स के छात्रों ने लेक क्लब, चंडीगढ़ में आयोजित प्रतिष्ठित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय साहित्य महोत्सव 'लिटराटी' में भाग लिया। यह महोत्सव 23 और 24 नवंबर को चंडीगढ़ लिटरेरी सोसाइटी द्वारा आयोजित किया गया। कुल 11 छात्रों ने इस कार्यक्रम में एसोसिएट प्रोफेसर और कार्यक्रम प्रभारी श्रीमती हरप्रीत कौर बवेजा के मार्गदर्शन में भाग लिया।
महोत्सव में भावना मुदई (बीए इंग्लिश ऑनर्स, तृतीय वर्ष), मनु, खुशी मलिक, अभि अग्रवाल, माधव जी, शिवानी, प्रियांशु, नीरज, विशाल दुबे, शिवाली कश्यप और हर्ष मुंशी (बीए इंग्लिश ऑनर्स, प्रथम वर्ष) ने भाग लिया।
कार्यक्रम के आरंभ में प्रसिद्ध संगीतकार श्री सुभाष घोष के सरस्वीणा वादन ने उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उद्घाटन सत्र में, चंडीगढ़ लिटरेरी सोसाइटी की अध्यक्ष डॉ. सुमिता मिश्रा ने ‘रचनात्मकता का उत्सव’ मनाने के उद्देश्य पर जोर दिया। उन्होंने अपनी कविता के माध्यम से संवाद के महत्व की ओर ध्यान दिलाया :
“लत लग गई है विवाद की,
हम भूल गए संस्कृति संवाद की।”
सत्र में राष्ट्रीय साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ. माधव कौशिक ने भाषाई विविधता को सशक्त करने पर जोर दिया। उन्होंने क्षेत्रीय भाषाओं के साहित्य को प्रोत्साहित करने के लिए सीएलएस की सराहना की। उन्होंने कहा कि साहित्य में करुणा या संवेदना का होना आवश्यक है, जो महान साहित्य की नींव बनती है।
छात्रों को लेखक और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी डॉ. थॉमस मैथ्यू की पुस्तक "रतन टाटा - ए लाइफ" से प्रेरणा मिली। तृतीय वर्ष की छात्रा भावना ने डॉ. मैथ्यू से रतन टाटा की प्रेरणा के स्रोत के बारे में पूछा, जिस पर उन्होंने जवाब दिया कि रतन टाटा को उनकी दादी ने सबसे अधिक प्रेरित किया।
एक अन्य सत्र में जलियांवाला बाग हत्याकांड पर आधारित ऐतिहासिक कथाओं और फिल्मों के बीच अंतर को लेखक और पूर्व राजदूत नवतेज सरना ने स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि कई ऐतिहासिक फिल्मों में तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया है, जैसे उधम सिंह को जलियांवाला बाग में दिखाना।
इन चर्चाओं ने छात्रों को साहित्यिक दृष्टिकोण से समृद्ध किया और उनके रचनात्मक लेखन कौशल को बढ़ावा दिया। 'लिटराटी' में विचारशील सत्रों ने छात्रों के मन में गहरी छाप छोड़ी और साहित्य के प्रति उनकी संवेदनशीलता को बेहतरी के साथ निखारा।
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