चंडीगढ़: प्राची भनोट ने मिसेज इंडिया पीपल्स चॉइस 2024" का खिताब जीता
प्राची भनोट की प्रेरणादायक यात्रा – कला, पेशे और मातृत्व का अनूठा संगम
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 11 जनवरी। चंडीगढ़, एक ऐसा शहर जो अपनी संस्कृति और आधुनिकता के संतुलन के लिए प्रसिद्ध है, ने कई प्रतिभाशाली व्यक्तित्वों को जन्म दिया है। ऐसी ही एक कहानी है प्राची भनोट की, जिन्होंने न केवल अपनी बहुमुखी प्रतिभा का लोहा मनवाया बल्कि अपने जुनून और धैर्य से नई मिसाल कायम की।
सादगी से आत्मविश्वास तक का सफर
चंडीगढ़ के एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मीं प्राची भनोट ने सरकारी आवास में रहते हुए कॉन्वेंट स्कूल में शिक्षा प्राप्त की। यह साधारण शुरुआत ही उनकी सबसे बड़ी ताकत बनी। उच्च शिक्षा और कला में उनके झुकाव ने उन्हें न केवल एक आत्मनिर्भर महिला बनाया, बल्कि दुनिया के सामने अपनी छाप छोड़ने का साहस भी दिया।
शिक्षा और कला में संतुलन
कंप्यूटर इंजीनियरिंग और वित्त में एमबीए की पढ़ाई करने वाली प्राची का झुकाव हमेशा कला की ओर रहा। कथक, भरतनाट्यम, मणिपुरी जैसे भारतीय शास्त्रीय नृत्यों के साथ गिद्दा और भांगड़ा उनकी पहचान बने। उन्होंने साल्सा और हिप-हॉप जैसे आधुनिक नृत्यों में भी महारत हासिल की। देशभर के मंचों पर अपनी कला का प्रदर्शन करते हुए, उन्होंने साबित किया कि जुनून को करियर के साथ जोड़ा जा सकता है।
पेशेवर उपलब्धियां
अपनी शिक्षा के बाद प्राची ने इंफोसिस और सिंटेल जैसी प्रमुख आईटी कंपनियों में काम किया। लेकिन देश की सेवा करने की उनकी चाहत ने उन्हें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक में एक प्रतिष्ठित पद दिलाया। अमेरिका में अपने जीवन साथी के साथ बसने के बाद भी, उन्होंने अपने बैंकिंग करियर को जारी रखते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी योग्यता साबित की।
मंच पर वापसी और मिसेज इंडिया का खिताब
2024 में प्राची ने एक नया सफर शुरू किया, जब उन्होंने अपने पहले पेजेंट, "मिसेज इंडिया बाय यूएमबी" में भाग लिया। अपनी पहली ही कोशिश में उन्होंने "मिसेज इंडिया पीपल्स चॉइस 2024" का खिताब जीता। यह उनकी मंच के प्रति अटूट लगन और आत्मविश्वास का प्रमाण था।
मातृत्व और परिवार से जुड़ाव
माँ बनने के बाद, प्राची ने अपने बच्चों की परवरिश को प्राथमिकता दी। उन्होंने न केवल अपने बच्चों को भारतीय परंपराओं से जोड़ा, बल्कि उनमें रामायण और हनुमान चालीसा का पाठ जैसी परंपराओं को भी जीवित रखा।
प्रेरणा का स्रोत
प्राची भनोट की कहानी त्याग, संतुलन और सपनों को पुनर्जीवित करने की प्रेरणा देती है। आज, वह महिलाओं, विशेष रूप से माताओं के लिए एक मिसाल हैं। उनका मानना है कि त्याग यात्रा का हिस्सा हो सकता है, लेकिन अपने सपनों को साकार करना हर किसी का अधिकार है।
भविष्य की ओर दृष्टि
ग्लैमर और कला की दुनिया में वापसी की तैयारी कर रही प्राची भनोट, इस बात का प्रतीक हैं कि कैसे एक महिला अपने सभी आयामों में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकती है। उनका जीवन संदेश देता है कि मातृत्व, करियर और जुनून एक-दूसरे के पूरक हो सकते हैं।
प्राची की यात्रा बताती है कि सच्चा साहस और लगन इंसान को किसी भी चुनौती से आगे ले जा सकता है। उनके शब्दों में, "अपने सपनों को जीने का साहस करें, क्योंकि यही आत्मविश्वास की असली कुंजी है।"
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