त्रिवेणी कला उत्सव के पहले दिन मां बेटी मरामी व मेघरंजनी की बेजोड़ जोड़ी ने अपनी नृत्य कला से सबको मंत्रमुग्ध किया
चण्डीगढ़: चण्डीगढ़ संगीत नाटक अकादमी द्वारा आयोजित तीन दिवसीय त्रिवेणी कला उत्सव के प्रथम दिन आज स्थानीय रानी लक्ष्मी बाई भवन, सेक्टर 38 सी के सभागार में शास्त्रीय नृत्य का आयोजन किया गया जिसमें त्रिवेणी संगीत सभा के सौजन्य से प्रसिद्ध नर्तकी मरामी मेधी एवं मेघरंजनी मेधी ने कत्थक नृत्य पेश किया | इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में प्राचीन कला केंद्र, चण्डीगढ़ की संस्थापक एवं संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली से पुरस्कृत, प्रसिद्ध नृत्यांगना एवं गुरु डॉक्टर शोभा कोसर उपस्थित थी तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में चंडीगढ़ प्रशासक के सलाहकार राजीव वर्मा, आईएएस, की धर्मपत्नी रचना वर्मा, गुरप्रीत कौर सपरा, वरिष्ठ आईएएस, सचिव, कार्मिक, सामान्य प्रशासन विभाग एवं सतर्कता, पंजाब सरकार उपस्थित थीं। इसके अतिरिक्त चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष सुदेश शर्मा, उपाध्यक्ष विक्रांत सेठ, प्रसिद्ध सारंगी वादक पंडित विनोद पवार, कत्थक गुरु डॉक्टर अमित गंगानी, प्रो. अरुण ग्रोवर, प्रो. नीरा ग्रोवर, डॉ. समीरा कौसर तथा शहर के अनेक कला प्रेमी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादमी के सचिव राजेश आत्रेय ने किया। मरामी मेधी एवं मेघरंजनी मेधी परस्पर माता एवं पुत्री हैं तथा उनकी प्रस्तुति में वोकल और हारमोनियम पर नामी वोकलिस्ट और मरामी मेधी के पति एवं मेघरंजनी के पिता जॉयप्रकाश मेधी, तबले पर अमान अली, सारंगी पर नासिर खान और सितार पर फ़तेह अली खान ने संगति की। इस अवसर पर टीम प्रबंधन एवं प्रकाश व्यवस्था मेघरंजनी के पति और असम के प्रसिद्ध अभिनेता निलभ दास ने की।माता एवं पुत्री की इस बेजोड़ जोड़ी ने अपनी नृत्य कला से सबका मन मोह लिया। कार्यक्रम के अंत में अपने अध्यक्षीय संबोधन में डॉक्टर शोभा कोसर ने दोनों नर्तकियों की कला की भूरिभूरि प्रशंसा की तथा चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादमी एवं त्रिवेणी संगीत सभा के इस आयोजन की सराहना करते हुए इस कार्यक्रम को चण्डीगढ़ शहर में शास्त्रीय संगीत के मार्ग में एक मील का पत्थर बताया। उन्होंने समस्त कला प्रेमियों से आग्रह किया कि इस प्रकार के आयोजनों में अपनी उपस्थिति अवश्य दर्ज कराएं तथा भारतीय कला एवं संस्कृति के संवर्धन में योगदान दें। चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष सुदेश शर्मा ने सभी कलाकारों और दर्शकों का आभार प्रकट किया तथा कहा कि उनकी अकादमी चंडीगढ़ शहर में कला एवं संस्कृति की समृद्धि एवं विकास के क्षेत्र में निरंतर कार्य करती आ रही है तथा सभी कलाकारों को मंच भी प्रदान कर रही है। उन्होंने बताया कि चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादमी निरंतर तीन प्रकार की कार्यशालाओं का आयोजन करती रहती है जिसमें सभी इच्छुक शिक्षार्थियों को बिना किसी फीस के नृत्य, संगीत एवं अभिनय का प्रशिक्षण दिया जाता है तथा इस तीन दिवसीय त्रिवेणी कला उत्सव के दूसरे दिन इन्हीं कार्यशालाओं में प्रशिक्षित कलाकार नृत्य एवं संगीत का प्रदर्शन करेंगे तथा अंतिम एवं तीसरे दिन अभिनय के प्रशिक्षानार्थी अपना नाटक प्रस्तुत करेंगें।