पंजाब के राज्यपाल ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने में निजी स्कूलों की भूमिका की सराहना की
पंजाब के राज्यपाल ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने में निजी स्कूलों की भूमिका की सराहना की, निजी स्कूलों में शिक्षा को ‘किफ़ायती’ बनाने का किया आह्वान
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एक दशक के साहसिक सुधारों से भारत के शिक्षा क्षेत्र में आया बदलाव : गुलाब चंद कटारिया, पंजाब के राज्यपाल
पंजाब के राज्यपाल ने चौथे FAP नेशनल अवार्ड्स 2024 में उत्कृष्टता के लिए निजी स्कूलों के 576 शिक्षकों को किया सम्मानित
पंजाब के राज्यपाल कटारिया ने वैश्विक नवाचार सूचकांक में भारत की उन्नति की प्रशंसा की, 2047 तक विकसित भारत के लिए सामूहिक प्रयास का किया आह्वान
राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने निजी स्कूलों और शिक्षकों को प्रतिष्ठित एफएपी नेशनल अवार्ड्स से किया सम्मानित, निजी स्कूल शिक्षकों के असाधारण योगदान की सराहना
चौथा एफएपी नेशनल अवार्ड्स 2024: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में असाधारण योगदान के लिए 576 निजी स्कूल शिक्षक को पंजाब के राज्यपाल द्वारा सम्मानित किया गया
मोहाली, 17 नवंबर - फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल्स एंड एसोसिएशन इन पंजाब द्वारा एफएपी नेशनल अवार्ड्स के चौथे संस्करण के दूसरे एवं अंतिम दिन पर पंजाब के राज्यपाल तथा चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने रविवार को देश भर के निजी स्कूलों के 576 शिक्षकों को नेशनल अवार्ड प्रदान कर सम्मानित किया।
पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने मुख्य अतिथि के रूप में पुरस्कार समारोह की अध्यक्षता की, जबकि चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल्स एंड एसोसिएशन ऑफ पंजाब (एफएपी) द्वारा आयोजित पुरस्कार समारोह में चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ निदेशक दीपिंदर सिंह संधू, प्रो-वाइस चांसलर प्रो (डॉ) देविंदर सिंह, एफएपी अध्यक्ष जगजीत सिंह धुरी सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
राज्यपाल द्वारा प्रदान किए गए 576 पुरस्कारों में प्रिंसिपलों के लिए शैक्षणिक उपलब्धि पुरस्कार (65), स्कूल के लिए एकेडमिक अचीवमेंट अवार्ड (65), सर्वश्रेष्ठ शिक्षक पुरस्कार (105), लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड (14), लाइफटाइम प्रिंसिपल अवार्ड (18), एमओसी चैंपियन अवार्ड (151), एमओसी चैंपियन और अधिकतम भागीदारी अवार्ड (50), एमओसी अधिकतम भागीदारी अवार्ड (6), प्रिंसिपल के लिए सोशल अचीवमेंट अवार्ड (51) और सोशल अचीवमेंट अवार्ड फॉर स्कूल (51) शामिल हैं।
इन पुरस्कारों का उद्देश्य देश के निजी स्कूलों के शीर्ष शिक्षकों के असाधारण योगदान को सम्मानित करना है, जिन्होंने स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार करते हुए शिक्षा, खेल और पाठ्येतर गतिविधियों में अपने छात्रों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाला है।
एफएपी नेशनल अवार्ड्स 2024 विजेताओं को संबोधित करते हुए पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने कहा, “निजी स्कूल भारत की शिक्षा प्रणाली का अभिन्न अंग हैं। वे विद्यार्थियों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान करके भविष्य के लिए तैयार करते हैं। भारत में स्कूली शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने में सरकारी क्षेत्र के साथ-साथ निजी स्कूलों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पंजाब में कुल 27701 सरकारी और निजी स्कूल हैं, जिनमें से 7978 निजी स्कूल हैं, जो 28 प्रतिशत है। वर्तमान में पंजाब के सरकारी और निजी स्कूलों में कुल 6147500 विद्यार्थी नामांकित हैं, जिनमें से 28,64,397 विद्यार्थी निजी स्कूलों में पढ़ते हैं। हालांकि, निजी स्कूलों की ऊंची फीस सभी वर्गों के लिए वहन करने योग्य नहीं है। लेकिन हमें यह सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिए कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हर बच्चे तक पहुंचे, फिर चाहे वह सरकारी स्कूल हो या निजी।”
2014 से भारत के शिक्षा क्षेत्र में आए बदलाव पर राज्यपाल कटारिया ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछला दशक भारत के लिए ऐतिहासिक रहा है। भारतीय संस्थानों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने, छात्रों को विश्व स्तरीय शिक्षा प्रदान करने के लिए कई साहसिक निर्णय लिए जा रहे हैं।” उन्होंने कहा ,“प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा लागू की गई नई शिक्षा नीति के तहत अनुसंधान और नवाचार पर जोर देने के साथ, भारत ने वैश्विक नवाचार सूचकांक में बड़ी प्रगति की है। 2014 में, भारत वैश्विक नवाचार सूचकांक में 81वें स्थान पर था, जो 2025 में बढ़कर 39वें स्थान पर पहुंच गया। इस अवधि के दौरान, दायर पेटेंट की संख्या में 31% की वृद्धि के साथ 2023 में 83,000 तक पहुंच गई। यह 10 वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि है, जहां 2014 में भारत ने केवल 42700 पेटेंट दायर किए थे।
उन्होंने कहा कि पिछले 5 वर्षों में 1.3 मिलियन अकादमिक शोध प्रकाशनों के साथ, भारत 2023 में वैश्विक रूप से चौथे स्थान पर है। वैश्विक नवाचार सूचकांक में भारत की रैंकिंग में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा लिए गए दूरदर्शी निर्णयों के कारण सुधार हुआ है, जैसे कि संस्थानों के लिए पेटेंट आवेदन शुल्क में 80 प्रतिशत की कमी। राज्यपाल ने कहा कि 2014 में शिक्षा क्षेत्र के लिए मात्र 79,451 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, लेकिन 2024-25 में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने शिक्षा के लिए 120638 करोड़ रुपये का अभूतपूर्व बजट आवंटित किया है, जो स्वतंत्र भारत के इतिहास में अब तक का सबसे अधिक है, जिसमें लगभग 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
“सबको शिक्षा और सबके लिए शिक्षा” के लिए एकजुट होने का आह्वान करते हुए राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि इस दिशा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने दो दिन पहले राष्ट्रीय जनजाति गौरव दिवस के अवसर पर देशभर के जनजाति क्षेत्रों में 700 से अधिक एकलव्य विद्यालय खोलने की घोषणा की, जिनमें से 10 विद्यालयों का उन्होंने इस अवसर पर उद्घाटन भी किया। आइए हम नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की भावना को ध्यान में रखते हुए सभी को साथ लेकर आगे बढ़ें, क्योंकि यह विकसित भारत के लिए ‘सबका प्रयास’ का समय है। सभी की मेहनत और लगन से ही हमारा समाज प्रगति की ओर अग्रसर होगा। राज्यपाल ने कहा, "यदि समाज सशक्त होगा तो राज्य सशक्त होगा और यदि राज्य सशक्त होगा तो देश सशक्त होगा और शिक्षा ही वह शक्ति है जो देश को सशक्त बनाती है। हम सभी को मिलकर इस दिशा में और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है ताकि 2047 तक विकसित भारत का सपना साकार हो सके।"
एफएपी के अध्यक्ष जगजीत सिंह धुरी ने एफएपी की तरफ से सभी का स्वागत करते हुए कहा कि ’’ एसोसिएशन में मौजूदा समय में 6 हजार से अधिक मैंबर्स जुड़े हुए हैं। उन्होंने बताया कि 2021 में जब इस एसोसिएशन की शुरुआत की गई थी तब उस समय केवल स्टेट अवार्ड ही अध्यापकों को प्रदान किए जाते थे। इसके बाद 2022 में इसका दायरा बढ़ाते हुए राष्ट्रीय स्तर पर इसकी शुरुआत की गई। उस समय 20 से अधिक राज्यों से अध्यापकों ने इसमें भाग लिया। एसोसिएशन द्वारा अध्यापको को सम्मानित करने के लिए शिक्षा में उनके योगदान, प्रोजैक्ट और उनके विषय के मापदंडों के आधार पर उनका चुनाव किया जाता है। आज 55 से 60 की उम्र तक के प्रिंसिपल और अध्यापकों को लाइफ टाइम अचीवमैंट अवार्ड प्रदान किए है क्योंकि उन्होंने अपने पूरे जीवन में स्टूडेंट्स को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की है जो आज विभिन्न क्षेत्रों में देश की तरक्की में अपना बहुमूल्य योगदान दे रहे हैं।
जगजीत सिंह धुरी ने कहा कि एफएपी राष्ट्रीय पुरस्कारों का प्राथमिक लक्ष्य निजी स्कूलों में शिक्षा, खेल और संस्कृति में उनकी उपलब्धियों के लिए गर्व की भावना को बढ़ावा देना है। पुरस्कारों का उद्देश्य प्रिंसिपलों, शिक्षकों और छात्रों के असाधारण प्रदर्शन सम्मानित करना तथा साथ ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने में देश भर के निजी स्कूलों के योगदान को मान्यता देना है। यह पहल न केवल सफलता के शिखर पर पहुंच चुके निजी स्कूलों को सम्मानित करती है, बल्कि अन्य स्कूलों को भी शिक्षा, खेल, सांस्कृतिक विरासत, इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाओं में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करती है