चंडीगढ़ के स्कूल में अवैध कोचिंग का भंडाफोड़, बाल आयोग की टीम ने की छापेमारी
आयोग की टीम के साथ की गाली-गलौज व मारपीट,
रमेश गोयत
चंडीगढ़। सिटीब्यूटी में प्रशासन की बिना परमीशन के दर्जनो कोचिंग सैंटर चल रहे है। जिसकी शिकायत चंडीगढ़ प्रशासन व शिक्षा विभाग के पास रोजाना पहुंच रही है। शिकायत पर चंडीगढ़ बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम ने चंडीगढ़ के एक स्कूल में अवैध कोचिंग का भंडाफोड़ किया। निरिक्षण करने गई टीम के साथ स्कूल संचालकों पर मारपीट करने का भी आरोप है। जानकारी के अनुसार चंडीगढ़ के सेक्टर-37 स्थित निजी स्कूल में अवैध कोचिंग कक्षाओं के संचालन चल रहा था। शिकायत मिलने पर टीम ने मौके पर पहुंचकर पर निरिक्षण किया। निरिक्षण के द्वौरान टीम के अधिकारियों के साथ गाली-गलौज व मारपीट की गई। घटना के बाद आयोग ने हेल्पलाइन 112 पर मामले की सूचना दी। पुलिस स्टेशन-39 के एसएचओ इंस्पेक्टर चिरंजी लाल को भी मामले की जानकारी दी गई। सुचना मिलते ही मौके पर हेल्पलाइन 112 की टीम व स्थानीय पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को संभाला। आयोग ने इस मामले में सीबीएसई, शिक्षा सचिव, चंडीगढ़ प्रशासन और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को पत्र जारी कर स्कूल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। निरीक्षण के दौरान मिली अनियमितताओं और अधिकारियों से दुर्व्यवहार के कारण स्कूल प्रशासन पर कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार चंडीगढ़ बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने एक शिकायत पर स्वत: संज्ञान लेते हुए आज स्कूल का निरीक्षण किया, जिसमें कई गंभीर अनियमितताएं पाई गईं। शिकायत के मुताबिक, स्कूल परिसर में 11वीं और 12वीं कक्षा के नॉन-मेडिकल छात्रों के लिए एफआईआईटीजेईई की कोचिंग कक्षाएं संचालित की जा रही थीं। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि ये कक्षाएं बिना किसी वैध प्राधिकरण के चल रही थीं। निरीक्षण में स्कूल द्वारा केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के संबद्धता उपनियम, 2018 के उल्लंघन की पुष्टि हुई। स्कूल ने अध्याय 9 के तहत महत्वपूर्ण पदाधिकारियों की जिम्मेदारियों और अध्याय 14 के सामान्य नियमों का उल्लंघन किया है। निरीक्षण में यह भी सामने आया कि कुछ छात्र, जो स्कूल में आधिकारिक रूप से नामांकित नहीं हैं, वे भी एफआईआईटीजेईई के संकाय द्वारा संचालित कक्षाओं में शामिल हो रहे थे। निरीक्षण के दौरान स्कूल के निदेशक सुनील कुमार ने आयोग की टीम के साथ गाली-गलौज और दुर्व्यवहार किया। उन्होंने आयोग के एक अधिकारी का कॉलर पकड़ लिया और महिला सदस्य पर चिल्लाते हुए उन्हें मारने की कोशिश की। स्कूल प्रशासन का यह रवैया न केवल आयोग के कार्यों में बाधा डालने वाला था, बल्कि इसे बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005 का उल्लंघन भी माना गया है।