किसान कालाबाजारी में खरीद रहा है डीएपी खाद, एक जनवरी सरकार बढ़ाने जा रही है दाम
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 19 दिसंबर। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों के सब्र की परीक्षा ले रही है, उनकी मांग मानने के बजाए कभी लाठी बरसवाती है तो कभी पानी की बौछार तो कभी आंसू गैस के गोले दागती है पर देश का अन्नदाता किसान न तो डरेगा और न ही झुकेगा, न हताश है और न ही बेबस है। आज भी किसान डीएपी खाद के संकट से जूझ रहा है, फसलों की बिजाई के लिए उसे यह खाद ब्लैक में खरीदनी पड़ रही है तो दूसरी ओर सरकार एक जनवरी-2025 से डीएपी खाद के दाम और बढ़ाने जा रही है। एक ओर जहां फसलों का लागत मूल्य बढ़ रहा है तो उस हिसाब से किसानों को उसकी फसल का उचित भाव नहीं मिल रहा है।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि किसानों का आंदोलन आज भी जारी है पर सरकार है कि किसानों की अनदेखी करने में लगी हुई है, वार्ता के नाम पर किसानों के साथ खेल किया जा रहा है। सरकार को किसानों से बातचीत के लिए समय निकालना ही होगा, साथ ही उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार किसानों के सब्र की परीक्षा न लें।
उन्होंने कहा कि सरकार डीएपी खाद का संकट आज तक दूर नहीं कर पाई है तो दूसरी ओर इस खाद पर कालाबाजारी जारी है, 1&50 वाला डीएपी खाद का बैग किसानों को 1800 रुपये में खरीदना पड़ रहा है। डीएपी की कमी से किसान सरकारी आपूर्ति पर निर्भर हैं, लेकिन इसकी सीमित उपलब्धता के कारण कुछ किसान प्राइवेट मार्केट का सहारा ले रहे हैं। यहां पर डीएपी के दाम आसमान छू रहे हैं। जहां सरकारी दरों पर खाद मिलना मुश्किल हो रहा है, वहीं प्राइवेट विक्रेता डीएपी के एक कट्टे के लिए 1800 से 1900 रुपये तक वसूल रहे हैं। इस काला बाजारी का सीधा असर किसानों की आर्थिक स्थिति पर पड़ रहा है, क्योंकि ऊंची कीमतों पर खाद खरीदना उनकी जेब पर भारी पड़ रहा है।
डीएपी की कमी से फसल उत्पादन पर संभावित असर
डीएपी की कमी का सीधा असर फसल की पैदावार पर पड़ सकता है। समय पर खाद नहीं मिलने से फसलों की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों पर बुरा असर पड़ता है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। डीएपी की अनुपलब्धता के कारण फसलों की बुवाई प्रक्रिया बाधित हो रही है, जो कि उनकी खेती की आय का प्रमुख स्रोत है। बुवाई में देरी से फसल का उत्पादन समय पर नहीं हो पाएगा, जिससे किसानों की आय में गिरावट की संभावना बढ़ जाती है। डीएपी खाद की किल्लत को देखते हुए, शासन और प्रशासन को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
एक जनवरी 25 से बढ़ाए जा रहे हैं डीएपी खाद के दाम
मौजूदा समय में डीएपी खाद के एक बैग की कीमत 1350 रुपये है पर एक जनवरी -25 से इस बैग का दाम 1590 रुपये किया जा रहा है। टीएसपी-46 प्रतिशत का दाम 1300 से बढाक़र 1350, 10:26:26 का दाम 1470 से 1725 और 12:31:16 का दाम 1470 से बढाक़र 1725 रुपपे किया जा रहा है। कुमारी सैलजा ने कहा कि डीएपी खाद के दाम बढाक़र सरकार किसानों के जख्मों पर नमक छिडक़ रही है। खाद के दाम बढऩे से फसलों का लागत मूल्य भी बढ़ेेगा पर विड़ंबना ये है कि फसलों के लागम मूल्य को देखते हुए भी सरकार फसलों का दाम नहीं बढ़ा रही है और न ही एमएसपी पर कानून ला रही है।
बीपीएल परिवारों पर ग्रामीण विकास मंत्रालय का गोलमोज जवाब
सांसद कुमारी सैलजा ने ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार को पत्र लिखकर पूछा था कि बीपीएल प्रणाली में विसंगतियों को दूर करने की दिशा में सरकार ने कोई कदम उठाया है, सरकार किस प्रकार सुनिश्चित करती है कि बीपीएली योजनाओं का लाभ जरूरतंद तक कैसे पहुंचेगा, और बीपीएल परिवारोंं की संख्या में बढ़ोत्तरी कैसे हो रही है। सांसद के इन जवाबों पर परिवार पहचान पत्र योजना हरियाणा सरकार की है, पर ग्रामीण विकास मंत्रालय ने नहीं बताया कि बीपीएल परिवारों की संख्या कैसे बढ़ रही है जबकि सरकार का दावा है कि देश में गरीबों की संख्या पहले से कम हुई है।
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