बिजली विभाग के निजीकरण के विरोध में कर्मचारियों का संघर्ष जारी, 24 और 31 जनवरी को होंगे बड़े प्रदर्शन
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 22 जनवरी: बिजली विभाग के निजीकरण और कर्मचारियों की सेवा शर्तों को लेकर जारी विवाद के बीच, विभाग के कर्मचारी लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। 6 दिसंबर 2024 से शुरू हुए इस आंदोलन के तहत कर्मचारियों ने आज भी विभिन्न कार्यालयों में रोष रैलियां की। अब 24 जनवरी को सभी डिवीजनों के सामने विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
मुख्य मांगें और आंदोलन की रूपरेखा
कर्मचारी निजीकरण के विरोध में अपने सरकारी स्टेटस को बरकरार रखने, डीम्ड डिपुटेशन का दर्जा देने और सेवा शर्तों को सुरक्षित रखने की मांग कर रहे हैं।
- 26 जनवरी: गणतंत्र दिवस पर प्रदर्शनकारी 1 लाख हस्ताक्षरों का ज्ञापन और मांगपत्र प्रशासक को सौंपेंगे।
- 31 जनवरी: बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं की राष्ट्रीय समन्वय समिति के आह्वान पर विशाल प्रदर्शन किया जाएगा।
कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि यदि विभाग को निजी कंपनी को सौंपा गया, तो कोई भी कर्मचारी निजी कंपनी के तहत काम नहीं करेगा।
प्रशासन पर गंभीर आरोप
रैलियों में कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि प्रशासन निजी कंपनी के दबाव में बार-बार शर्तें और नियम बदल रहा है।
- स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर (SLDC) का गठन नोटिफिकेशन के बिना क्यों किया गया?
- वरिष्ठ कर्मचारियों को किन आधारों पर छोड़ा गया?
- स्टेट ट्रांसमिशन यूनिट (STU) का गठन क्यों नहीं किया गया, जबकि देश के अन्य हिस्सों में यह सरकारी नियंत्रण में है?
- सरकारी वितरण कंपनी के 100% शेयर निजी कंपनी को क्यों बेचे गए?
कर्मचारियों की अपील
यूनियन के नेताओं ने प्रशासक से अपील की है कि:
- कर्मचारियों को SLDC और STU में समायोजित किया जाए।
- बिना सहमति के किसी कर्मचारी का इम्प्लायर न बदला जाए।
- नगर निगम और सरकारी प्रेस कर्मचारियों की तर्ज पर बिजली कर्मियों को भी न्याय मिले।
रैलियों को यूनियन के प्रधान अमरीक सिंह, महासचिव गोपाल दत्त जोशी, और अन्य पदाधिकारियों ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि प्रशासन की दोहरी नीति और भेदभावपूर्ण रवैया स्वीकार नहीं किया जाएगा।
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