बैंक कर्मचारियों की 48 घंटे की हड़ताल का ऐलान, 23-25 मार्च तक बैंकिंग सेवाएं रहेंगी प्रभावित
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 17 मार्च :। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (UFBU) ने 23 मार्च की आधी रात से 25 मार्च की आधी रात तक 48 घंटे की राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। इस हड़ताल में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, निजी बैंकों, विदेशी बैंकों, सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के करीब 8 लाख से अधिक कर्मचारी और अधिकारी भाग लेंगे।
बैंक यूनियनों का कहना है कि सरकार और बैंक प्रबंधन कर्मचारियों की मांगों को अनसुना कर रहे हैं, जिससे यह हड़ताल करना अनिवार्य हो गया है। हड़ताल के चलते देशभर में बैंकिंग सेवाएं बुरी तरह प्रभावित होने की संभावना है।
कौन-कौन सी बैंक यूनियनें हड़ताल में शामिल होंगी?
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (UFBU) एक संयुक्त निकाय है जिसमें निम्नलिखित 9 प्रमुख बैंक यूनियनें शामिल हैं:
ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉइज एसोसिएशन (AIBEA)
ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन (AIBOC)
नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ बैंक यूनियंस (NCBE)
ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन (AIBOA)
बैंक एम्प्लॉइज फेडरेशन ऑफ इंडिया (BEFI)
इंडियन नेशनल बैंक एम्प्लॉइज फेडरेशन (INBEF)
इंडियन नेशनल बैंक ऑफिसर्स कांग्रेस (INBOC)
नेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स (NOBW)
नेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ बैंक ऑफिसर्स (NOBO)
क्यों बुलाई गई है यह हड़ताल?
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (UFBU) ने हड़ताल की कई प्रमुख मांगें रखी हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
1. बैंकिंग क्षेत्र में पर्याप्त भर्ती की जाए
पिछले एक दशक में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में कर्मचारियों की संख्या 1.39 लाख से अधिक घट चुकी है।
2013 में: सार्वजनिक बैंकों में कुल 8,86,490 कर्मचारी थे।
2024 में: यह संख्या घटकर 7,46,679 रह गई।
सबसे ज्यादा कमी क्लर्क और सब-स्टाफ के पदों पर आई है:
क्लर्क: 2013 में 3,98,801, अब 2,46,965 (-1,51,835)
सब-स्टाफ: 2013 में 1,53,628, अब 94,348 (-59,280)
स्टाफ की कमी से ग्राहक सेवा प्रभावित हो रही है और मौजूदा कर्मचारियों पर अत्यधिक कार्यभार बढ़ रहा है।
2. सप्ताह में 5 दिन कार्य प्रणाली लागू की जाए
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), बीमा कंपनियों और अन्य वित्तीय संस्थानों में पहले से ही सप्ताह में 5-दिन कार्य प्रणाली लागू है।
बैंकिंग सेक्टर में भी इस नियम को लागू करने की मांग की जा रही है।
बैंक कर्मचारी लंबे समय से इस सुविधा की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
3. बैंकिंग क्षेत्र में स्थायी नौकरियों का आउटसोर्सिंग रोका जाए
कई बैंकों में नियमित पदों पर ठेके पर कर्मचारियों को रखा जा रहा है, जिससे नौकरी की सुरक्षा खतरे में है।
बैंक यूनियनों की मांग है कि स्थायी नौकरियों को आउटसोर्स न किया जाए।
4. सरकार द्वारा जारी मासिक प्रदर्शन समीक्षा और पीएलआई (प्रोत्साहन योजना) को वापस लिया जाए
यूनियनों का कहना है कि यह योजना बैंक कर्मचारियों की नौकरी की सुरक्षा को खतरे में डाल सकती है और भेदभाव उत्पन्न कर सकती है।
5. बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए
हाल के दिनों में बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों पर हमले बढ़े हैं।
असामाजिक तत्वों द्वारा बैंक स्टाफ पर हमले रोकने के लिए कड़े नियम लागू करने की मांग की गई है।
6. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में श्रमिक/अधिकारी निदेशकों के रिक्त पद भरे जाएं
सार्वजनिक बैंकों में प्रबंधन स्तर पर कई महत्वपूर्ण पद लंबे समय से रिक्त पड़े हैं।
इन पदों को जल्द से जल्द भरने की मांग की जा रही है।
7. ग्रेच्युटी की सीमा ₹25 लाख की जाए और इसे आयकर से मुक्त किया जाए
वर्तमान में ग्रेच्युटी की सीमा कम है और इस पर आयकर लगता है।
यूनियनें इसे बढ़ाकर ₹25 लाख करने और इसे कर मुक्त करने की मांग कर रही हैं।
8. आईडीबीआई बैंक में सरकार की न्यूनतम 51% हिस्सेदारी बनाए रखी जाए
यूनियनों का कहना है कि सरकार IDBI बैंक में हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रही है।
इससे हजारों कर्मचारियों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है।
9. सार्वजनिक बैंकों में सरकार का अत्यधिक हस्तक्षेप रोका जाए
यूनियनों ने आरोप लगाया कि सरकार बैंकों की स्वतंत्र नीतियों में हस्तक्षेप कर रही है, जिससे बैंकिंग सेक्टर प्रभावित हो रहा है।
हड़ताल से बैंक ग्राहकों को होने वाली परेशानियां
चेक क्लियरेंस, नकद जमा-निकासी, ड्राफ्ट जारी करना और अन्य बैंकिंग सेवाएं बाधित रहेंगी।
एटीएम में कैश की किल्लत हो सकती है।
ऑनलाइन बैंकिंग सेवाओं पर अधिक दबाव पड़ने से ट्रांजैक्शन स्लो हो सकते हैं।
यूनियन नेताओं ने जनता से इस हड़ताल का समर्थन करने और होने वाली असुविधा के लिए क्षमा करने की अपील की है।
क्या कह रहे हैं बैंक अधिकारी?
AIBEA महासचिव सी.एच. वेंकटचलम ने कहा,
"हमारी यह हड़ताल सरकार और बैंक प्रबंधन को यह संदेश देने के लिए है कि बैंकिंग कर्मचारियों की जायज मांगों को अनदेखा नहीं किया जा सकता। अगर हमारी मांगे नहीं मानी गईं, तो हम आगे भी आंदोलन जारी रखेंगे।
सरकार और बैंक प्रबंधन ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दी है। संभावना है कि वित्त मंत्रालय और बैंक यूनियनों के बीच वार्ता होगी।
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