चंडीगढ़ में रोज फेस्टिवल पर विवाद: समाजसेवी आर.के. गर्ग ने उठाए सवाल
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 20 जनवरी: शहर के समाजसेवी आर.के. गर्ग ने चंडीगढ़ प्रशासन और नगर निगम (MC) के बीच तालमेल की कमी पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि जब प्रशासन को रोज फेस्टिवल के लिए ग्रांट मिलती है, तो नगर निगम को अलग से ग्रांट क्यों नहीं दी जाती? या फिर प्रशासन को ही पूरा आयोजन करना चाहिए।
गर्ग ने प्रशासन और MC के अलग-अलग रोज फेस्टिवल मनाने को "बेवजह का खर्च" बताया। उन्होंने कहा, "हमने पहले सुझाव दिया था कि प्रशासन और MC मिलकर इस फेस्टिवल को आयोजित करें, लेकिन किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया। अब हालात यह हैं कि एक ही सड़क के दो किनारों पर दो अलग-अलग फेस्टिवल हो रहे हैं, और दोनों पक्ष एक-दूसरे की ऐडवरटाइजमेंट तक साझा नहीं कर रहे।"
MC को फंडिंग की दिक्कत, प्रशासन मस्ती में
गर्ग ने बताया कि MC को अपने रोज फेस्टिवल के लिए करीब 50 लाख रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं और इसके लिए वे स्पॉन्सरशिप के लिए संघर्ष कर रहे हैं। दूसरी ओर, प्रशासन का टूरिज्म डिपार्टमेंट अपने रोज फेस्टिवल के लिए झूलों से ही 30 लाख रुपये की कमाई कर चुका है और बड़ी रकम सिंगर्स और अन्य आयोजनों पर खर्च कर रहा है।
"एक तरफ प्रशासन फेस्टिवल में मौज-मस्ती कर रहा है, क्योंकि उनके पास ग्रांट है, वहीं दूसरी तरफ MC को हर खर्च के लिए जूझना पड़ रहा है। यह साफ दिखाता है कि दोनों के बीच सही समन्वय नहीं है।"
समाधान: एक साथ मनाएं या अलग-अलग तारीखें तय करें
गर्ग का कहना है कि प्रशासन और नगर निगम को चाहिए कि वे मिलकर एक ही फेस्टिवल मनाएं। अगर यह संभव नहीं है, तो दोनों को अपने-अपने रोज फेस्टिवल अलग-अलग तारीखों पर आयोजित करने चाहिए, ताकि जनता को इधर-उधर भटकना न पड़े।
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि रोज गार्डन और लेजर वैली के बीच एक अंडरपास बनाया जाए ताकि दोनों जगहों के आयोजन आपस में बेहतर तरीके से जुड़ सकें। "अगर प्रशासन जनता की आवाज नहीं सुनेगा, तो यह लोकतंत्र के खिलाफ होगा। पब्लिक के पैसों की बर्बादी बंद होनी चाहिए," गर्ग ने कहा।
अब देखना यह होगा कि प्रशासन और नगर निगम इस सुझाव पर अमल करते हैं या फिर आने वाले सालों में भी चंडीगढ़ के लोग इसी तरह दो अलग-अलग फेस्टिवल में बंटे रहेंगे।
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