टोहाना महापंचायत: कृषि विपणन मसौदे पर मोदी सरकार को चेतावनी, डल्लेवाल की बिगड़ती सेहत पर चिंता
बाबूशाही ब्यूरो
टोहाना (फतेहाबाद), 4 जनवरी 2025:
संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर हरियाणा और पंजाब के किसानों ने टोहाना अनाज मंडी में एक विशाल महापंचायत का आयोजन किया। खराब मौसम के बावजूद हजारों की संख्या में किसानों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया, जिसमें महिलाओं की भी बड़ी भागीदारी रही। इस महापंचायत में किसानों ने केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए कृषि विपणन के राष्ट्रीय प्रारूप को तुरंत वापस लेने और किसान संगठनों से वार्ता शुरू करने की मांग की।
महापंचायत की मुख्य बातें
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जगजीत सिंह डल्लेवाल की सेहत पर चिंता:
वक्ताओं ने सरदार जगजीत सिंह डल्लेवाल की बिगड़ती स्वास्थ्य स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की, जो कई दिनों से आमरण अनशन पर हैं। उन्होंने कहा कि यदि डल्लेवाल को कुछ होता है, तो इसके लिए केंद्र और हरियाणा सरकार जिम्मेदार होगी।
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राष्ट्रीय नेताओं की भागीदारी:
महापंचायत में संयुक्त किसान मोर्चा के कई प्रमुख नेता शामिल हुए, जिनमें जोगेंद्र सिंह उगराहां, राकेश टिकैत, डॉ. दर्शन पाल, कृष्ण प्रसाद, रमिंदर पटियाला, मनजीत सिंह धनेर, सुखदेव जम्मू, सत्यवान, सुरेश कोथ, बलदेव निहालगढ़, किरणजीत शेखों, जोगेंद्र नैन, विकास सीसर, हरजिंदर ननुआना समेत कई अन्य नेता मौजूद रहे।
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कृषि विपणन मसौदे का विरोध:
जोगेंद्र सिंह उगराहां ने कहा कि 25 नवंबर को जारी मसौदा किसानों के अनाज व्यापार को पूरी तरह से कारपोरेट के हाथों में सौंप देगा। उन्होंने कहा कि इसके खिलाफ विश्व व्यापार संगठन और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के खिलाफ कड़ी लड़ाई लड़नी होगी।
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आंदोलन का अगला चरण:
राकेश टिकैत ने कहा कि एमएसपी की गारंटी और 24 फसलों को शामिल करने की मांग पर हरियाणा सरकार जनता को गुमराह कर रही है। उन्होंने घोषणा की कि अगला आंदोलन मध्य प्रदेश में आयोजित किया जाएगा।
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महत्वपूर्ण घोषणा:
संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया कि आगामी 24 जनवरी को दिल्ली में राष्ट्रीय जनरल बॉडी मीटिंग आयोजित की जाएगी, जिसमें आंदोलन के अगले चरण की घोषणा की जाएगी।
सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास
महापंचायत में कामरेड इंद्रजीत सिंह द्वारा पेश कृषि विपणन मसौदे को सर्वसम्मति से खारिज कर दिया गया। सभी ग्राम पंचायतों से आग्रह किया गया कि वे इस प्रस्ताव को नामंजूर करते हुए 10 जनवरी तक केंद्र सरकार को भेजें।
किसानों की चेतावनी:
महापंचायत में वक्ताओं ने कहा कि अगर सरकार ने किसानों की मांगों को अनदेखा किया, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
महापंचायत का संदेश स्पष्ट था: किसान एकजुट हैं और सरकार के किसी भी किसान-विरोधी कदम का डटकर विरोध करेंगे।
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