पंचनद शोध संस्थान के 31वें वार्षिक व्याख्यान में राज्यपाल ने संस्थान के प्रयासों को सराहा
भविष्य के भारत को दिशा देने में पंचनद शोध संस्थान की भूमिका-राज्यपाल
युवा पीढ़ी को इतिहास और मूल्यों से जोड़ने का प्रयास - राज्यपाल
पंचनद शोध संस्थान की वार्षिक व्याख्यानमाला में शोध पत्रिका सहित दो पुस्तकों का विमोचन
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 5 जनवरी। पंचनद शोध संस्थान द्वारा आयोजित 31वें वार्षिक व्याख्यान में पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। उन्होंने "भारत विभाजन के सच" जैसे गहन विषय को चुनने के लिए संस्थान की सराहना की और इसके प्रयासों की जमकर प्रशंसा की।
अपने संबोधन में राज्यपाल ने कहा कि पंचनद शोध संस्थान ने एक ऐसा विषय चुना है, जो न केवल इतिहास के अतीत को समझने में मदद करता है, बल्कि वर्तमान और भविष्य के लिए भी दृष्टिकोण प्रदान करता है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि युवाओं को अपने इतिहास और संस्कृति से परिचित कराना अत्यंत आवश्यक है, ताकि वे अपने जीवन में सही दिशा और प्रेरणा प्राप्त कर सकें।
कटारिया ने संस्थान के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा, "यह संस्थान भविष्य के भारत को दिशा देने का कार्य कर रहा है। 'भारत विभाजन के सच' जैसे विषय से युवा पीढ़ी को उन तथ्यों और घटनाओं को समझने का अवसर मिलता है, जो हमारे राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण रहे हैं।" उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि ऐसे व्याख्यान युवाओं को अपने समाज, संस्कृति और मूल्यों से जोड़ने का माध्यम बनते हैं।
इस अवसर पर सुप्रसिद्ध लेखक और चिंतक प्रशांत पॉल ने “भारत विभाजन के सच” विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने विभाजन के दौरान की घटनाओं, नेताओं की भूमिका और स्वतंत्रता संग्राम के अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डाला। राज्यपाल ने उनके योगदान की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह व्याख्यान देश के इतिहास को समझने का अनूठा अवसर प्रदान करता है।
कार्यक्रम के अंत में राज्यपाल ने पंचनद शोध संस्थान के प्रयासों को सराहा और भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यह संस्थान न केवल ऐतिहासिक तथ्यों को उजागर कर रहा है, बल्कि राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक चेतना के संवर्धन में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि पंचनद शोध संस्थान भविष्य के भारत को एक नई दिशा देने का काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि संस्थान द्वारा चुने गए विषय न केवल अतीत को समझने का मार्ग प्रशस्त करते हैं, बल्कि युवाओं को उनके भविष्य निर्माण के लिए प्रेरित भी करते हैं।
राज्यपाल ने जोर देकर कहा कि आज की युवा पीढ़ी को अपने इतिहास, संस्कृति और मूल्यों की जानकारी होना आवश्यक है। उन्होंने कहा, "इस व्याख्यान जैसे प्रयास हमारे युवाओं को इतिहास के महत्वपूर्ण पहलुओं और स्वतंत्रता संग्राम के संघर्षों से अवगत कराते हैं।"
राज्यपाल ने इस बात पर बल दिया कि संस्थान के कार्यक्रम समाज में राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक चेतना के संवर्धन में योगदान देते हैं। उन्होंने विभाजन से जुड़े तथ्यों को जानने और उनसे सीख लेने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
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