हरियाणा में नॉन-एचसीएस. कोटे से सीधे आईएएस नियुक्त अधिकारी दो वर्षो में ही डीसी पद पर तैनात
यू.पी.एस.सी. आल-इंडिया सिविल सेवा परीक्षा उतीर्ण कर बने आई.ए.एस. को भी नियुक्ति के पांच से छ: वर्ष बाद मिलती है उपायुक्त पद पर पोस्टिंग – एडवोकेट हेमंत
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 04 जनवरी। हरियाणा सरकार द्वारा 1 जनवरी 2025 से प्रदेश कैडर के 2016 बैच के 6 आई.ए.एस. अधिकारियों को जूनियर एडमिनिस्ट्रेटिव ग्रेड (जैग) अर्थात पे -मैट्रिक्स के लेवल 12 में प्रमोट किया गया है, जो किसी अमुक वर्ष के आरम्भ में उसी वर्ष आई.ए.एस. में नौ वर्ष की सेवा पूरी करने वाले साफ़-स्वच्छ सेवा-रिकॉर्ड वाले अधिकारियों को प्रदान किया जाता है. अब इनमें से 2 आई.ए.एस. अधिकारी नामत: अभिषेक मीणा और राहुल नरवाल तो संघ लोक सेवा आयोग (यू.पी.एस.सी.) द्वारा वर्ष 2015-16 में ली गई अखिल भारतीय सिविल सेवा परीक्षा को उत्तीर्ण कर अगस्त,2016 में सीधे आई.ए.एस. की सेवा में नियुक्त हुए थे एवं उन्हें हरियाणा कैडर अलाट किया गया था. हालांकि इनके अतिरिक्त चार अधिकारी ऐसे हैं जिन्हें आई.ए.एस. सेवा में नियुक्त हुए केवल 2 वर्ष 2 महीने का ही समय हुआ है.
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट और प्रशासनिक मामलों के जानकार हेमंत कुमार ने बताया कि 25 अक्टूबर 2022 को भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा हरियाणा प्रदेश से गैर-राज्य सिविल सेवा अर्थात नॉन-एच.सी.एस. कोटे से प्रदेश सरकार के चार ग्रुप-ए अधिकारियों का चयन कर सीधे आईएएस में नियुक्त किया गया था जिनमें डॉ. विवेक भारती, डॉ. हरीश कुमार वशिष्ठ, डॉ. जैन्द्र सिंह छिल्लर और डॉ. ब्रह्मजीत सिंह रंगी शामिल थे जिन्हें अब आई.ए.एस. में नियुक्ति के 2 वर्ष 2 महीने बाद ही नौ वर्षो की आई.ए.एस. सेवा का लाभ प्रदान कर जूनियर एडमिनिस्ट्रेटिव ग्रेड में प्रमोट कर किया गया था. सनद रहे कि उपरोक्त चारो अधिकारियों को केंद्र सरकार द्वारा अक्टूबर,2022 में आईएएस नियुक्ति होने के कुछ माह बाद 2016 का बैच वर्ष अलोट कर दिया गया था.
हेमंत ने बताया कि उक्त चारों अधिकारियों की नियुक्ति आईएएस (चयन द्वारा नियुक्ति ) रेगुलेशंस, 1997 और आईएएस (प्रोबेशन ) नियमावली, 1954 के अंतर्गत की गई थी. आई.ए.एस. में सीधे नियुक्ति से पहले डॉ. हरीश कुमार वशिष्ठ और डॉ. ब्रह्मजीत सिंह रंगी हरियाणा सरकार के पशुपालन और डेयरी विभाग में अतिरिक्त निदेशक के पद पर प्रदेश सरकार के क्लास वन अधिकारी थे. वही विवेक भारती और जैन्द्र छिल्लर दोनों हरियाणा के उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत पड़ने वाले राजकीय महाविद्यालयों में बतौर वरिष्ठ असिस्टेंट प्रोफेसर कार्यरत थे.
बहरहाल आईएएस में जूनियर एडमिनिस्ट्रेटिव ग्रेड में प्रमोशन होने के बाद 2 वर्ष 2 महीने पूर्व आईएएस में सीधे नियुक्त हुए उपरोक्त चारों अधिकारी प्रदेश सरकार में स्पेशल सेक्रेटरी (विशेष सचिव ) रैंक में आ गए हैं. हालांकि वह जिले में उपायुक्त ( डी.सी.) तैनात होने के लिए भी योग्य हैं. वर्तमान में डा. हरीश वशिष्ठ पलवल जिले में जुलाई,2024 से और विवेक भारती महेंद्रगढ़ जिले में नवम्बर, 2024 से बतौर उपायुक्त तैनात हैं. भारती इससे पूर्व गत वर्ष अगस्त से नवम्बर माह तक कैथल जिले में भी डीसी तैनात रह चुके हैं. वहीं डॉ. ब्रह्मजीत रंगी वर्तमान में अंबाला जिले में अतिरिक्त उपायुक्त (ए.डी.सी.) एवं जिला नागरिक संसाधन सूचना अधिकारी (डी.सी.आर.आई.ओ.) पद पर तैनात हैं जबकि जैन्द्र छिल्लर हरियाणा के वित्त विभाग में अतिरिक्त सचिव और हरियाणा परिवार सुरक्षा न्यास के सी.ई.ओ. पद पर कार्यरत हैं.
रोचक बात यह है कि अक्टूबर, 2022 में आईएएस में सीधी नियक्ति के छ: महीने बाद ही अप्रैल, 2023 में हरियाणा सरकार द्वारा उपरोक्त चारों अधिकारियों को प्रदेश के चार विभिन्न जिलों में बतौर अतिरिक्त उपायुक्त (ए.डी.सी.) तैनात कर दिया गया था जिस पर आम तौर पर यूपीएससी ओपन परीक्षा से बने आईएएस को नियुक्ति के चार वर्ष पूरे करने के बाद ही तैनात किया जाता है.
हेमंत का कहना है कि जब भी कोई व्यक्ति देश की सबसे प्रतिष्ठित माने जाने वाली आई.ए.एस. सेवा में नियुक्त होता है, बेशक वह यूपीएससी द्वारा प्रति वर्ष आयोजित की जाने वाली आल इंडिया सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण कर अर्थात ओपन भर्ती में चयनित होकर बना हो अथवा प्रदेश सिविल सेवा कोटे से प्रमोट होकर बना हो या गैर-सिविल सेवा वर्ग से सीधे चयनित होना बना हो, उसके मन में यह चाह अवश्य होती है कि वह जल्द ही प्रदेश के किसी ज़िले के सबसे अहम और सर्वोच्च माने जाने वाले प्रशासनिक पद अर्थात डी.सी. (डिप्टी कमिश्नर -उपायुक्त ) तैनात हो.
अब यूपीएससी की परीक्षा पास पर आई.ए.एस. बने अधिकारी को नियुक्ति के कम से कम पांच से छ: वर्षो तक डी.सी. पद पर तैनाती के लिए इंतज़ार करना पड़ता है. वहीं प्रादेशिक सिविल सेवा जैसे हरियाणा में एच.सी.एस. अधिकारी को आई.ए.एस. में प्रमोशन के किये ही कम से कम 15 से 20 वर्ष का इंतज़ार करना पड़ता है, आईएएस में प्रमोशन के बाद ही वह जिले का डी.सी. तैनात हो सकता है. हालांकि नॉन-एच.सी.एस. कोटे से सीधे बने आईएएस को नियुक्ति के दो वर्ष में ही जिले के डीसी पद पर तैनाती निश्चित तौर पर एक बड़ी उपलब्धि है.
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