सियासी दबाव में जत्थेदारों का अपमान कर रही एसजीपीसी: हरजीत सिंह गरेवाल
बाबूशाही ब्यूरो
चंडीगढ़: 23 फरवरी: शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) द्वारा तख्त साहिबान के जत्थेदारो को लगाने और हटाने का अधिकार के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य व वरिष्ठ नेता हरजीत सिंह गरेवाल ने इस दु:खद और मर्यादा के खिलाफ बताया है। उनका कहना है कि कमेटी ने जिस तरीके से यह कहा है कि जत्थेदारों को एक्ट 1925 के अधीन आम मुलाजिम की तरह से हटाया और लगाया जा सकता है। यह बेहद ही दु:खद और सियासत से प्रेरित है।
उल्लेखनीय है कि एसजीपीसी कार्यकारिणी की बैठक के दौरान एसजीपीसी उप प्रधान रघुजीत सिंह विर्क और मुख्य सचिव कुलवंत सिंह मनन ने श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह के सिवा मुक्ति पर स्पष्ट किया था कि जत्थेदार साहिबान कमेटी के ही लिए ही नहीं बल्कि समूची सिख कौम के लिए सर्वोच्च और सर्वोपरि तथा सम्माननीय हैं, लेकिन उनको लगाने और हटाने का अधिकार कमेटी उक्त एक्ट के तहत रखती है।
हरजीत सिंह गरेवाल ने कहा कि उल्लेखनीय है कि इससे पहले एसजीपीसी तथा श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार डेरा सरपरस्त की माफी को लेकर विवाद सबके सामने आया था और उस विवाद में श्री अकाल तख्त साहिब के तत्कालीन जत्थेदार जानी गुरबचन सिंह को भी बादल परिवार की सियासत का शिकार हुए और एसजीपीसी ने उन्हें उनके पद से हटा दिया था। अब बादल परिवार की सियासत का शिकार तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार जानी हरप्रीत सिंह हुए हैं। उन्होंने कहा कि जो भी बादल परिवार के खिलाफ जाता है उसे बादल परिवार के कोप का शिकार होना पड़ता है।
गरेवाल ने कहा कि हालांकि अभी तक दुनिया को पता था कि जत्थेदार साहिबान सिख कौम के सर्वोच्च व्यक्तित्व होते हैं। उनका कहना है कि पिछले लंबे समय से एसजीपीसी बादल परिवार के हत्थे चढ़कर कमेटी ही नहीं बल्कि श्री आकाल तख्त साहिब समेत अन्य तख्त साहिबान की मान मर्यादा को भी मिट्टी में मिला रही है।उनका कहना है कि इधर पिछले कुछ दिनों से अकाली दल में जारी विवाद के तहत भले ही सुखबीर सिंह बादल को हटा दिया गया है, लेकिन कमेटी आज भी अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए बादल परिवार की हिमायत कर रही है। उनका कहना है कि कमेटी अधिकारियों के उपरोक्त बयान से स्पष्ट हो गया है कि कमेटी आज भी बादल परिवार के दबाव में काम कर रही है।
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