गोल्डन एरोस ने दिग्गज एयर चीफ मार्शल एसके कौल (सेवानिवृत्त) के निधन पर किया शोक व्यक्त
रमेश गोयत
चंडीगढ़/अंबाला: 22 फरवरी।
भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के गोल्डन एरोस ने भारतीय वायु सेना में एक प्रतिष्ठित व अग्रणी अधिकारी एयर चीफ मार्शल (सेवानिवृत्त) एसके कौल, पीवीएसएम, एमवीसी, के निधन पर शोक व्यक्त किया है। एयर चीफ मार्शल कौल 17 स्क्वाड्रन, गोल्डन एरोस के दूसरे कमोडोर कमांडेंट थे, वे इस पद पर 1985 से 1995 तक सम्मानित रहे। गोल्डन एरोस अंबाला में स्थित भारतीय वायु सेना का एक प्रमुख लड़ाकू स्क्वाड्रन है।
20 दिसंबर, 1935 को लखनऊ में जन्मे एयर चीफ मार्शल कौल की उल्लेखनीय यात्रा बेसेंट कॉलेज, वाराणसी में उनकी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा और बाद में गवर्नमेंट कॉलेज, इलाहाबाद से स्नातक होने के साथ शुरू हुई। वह 1951 में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में प्रवेश हुए और दिसंबर 1954 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुए, जहाँ उन्होंने आदमपुर में नंबर 17 स्क्वाड्रन के साथ वैम्पायर उड़ाकर अपने शानदार करियर की शुरुआत की।
एयर चीफ मार्शल कौल का समारिक अनुभव कई युद्धों तक फैला हुआ था, जिसमें 1965 और 1971 के युद्ध शामिल हैं, जहाँ उन्होंने असाधारण बहादुरी और नेतृत्व का प्रदर्शन किया। 1971 के युद्ध के दौरान उनके निडर नेतृत्व ने उन्हें महावीर चक्र (एमवीसी) दिलाया, जो कर्तव्य के प्रति उनके अटूट समर्पण का प्रमाण है।
अपने 42 साल के करियर के दौरान, एयर चीफ मार्शल कौल ने विभिन्न प्रमुख ऑपरेशनल और रणनीतिक भूमिकाएँ निभाईं, जिससे भारतीय वायुसेना के आधुनिकीकरण को आकार मिला। उन्होंने 1993 से 1995 तक वायुसेना प्रमुख के रूप में कार्य किया, एक परिवर्तनकारी चरण के माध्यम से भारतीय वायुसेना का नेतृत्व किया, और बाद में चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष के रूप में उच्चतम स्तर पर तीनों सेवाओं की रणनीति के लिए समन्वय भी किया।
गोल्डन एरोस सदस्यों ने अपने शोक संदेश में कहा है, 'एयर चीफ मार्शल कौल की विरासत उनके प्रभावशाली करियर से कहीं आगे तक फैली हुई है। उन्होंने सेवा, साहस और नेतृत्व के मूल्यों को अपनाया और वायु योद्धाओं की पीढ़ियों को प्रेरित किया। उनके जाने से हमारे दिलों में खालीपन आया है, उनकी स्मृति सदैव हमें उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने के लिए प्रेरित करती रहेगी।'
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