सड़क पर ड्यूटी के दौरान शहीद हुए "वी केयर" पुलिस कर्मियों के लिए मुआवजे की मांग
चंडीगढ़ पुलिस अलग से बनाए मदद के लिए फंड: आर के गर्ग
शहीद कर्मियों के परिवारों को चंडीगढ़ यूटी प्रशासन दे एक करोड़ रूपए मुआवजा
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 18 मार्च 2025। चंडीगढ़ में ड्यूटी के दौरान सड़क दुर्घटना में जान गंवाने वाले "वी केयर" पुलिस और होमगार्ड कर्मियों के परिवारों को पर्याप्त मुआवजा देने की मांग उठाई गई है। सेकंड इनिंग्स एसोसिएशन के अध्यक्ष आर.के. गर्ग ने चंडीगढ़ प्रशासन और पुलिस विभाग से अपील की है कि इन शहीद कर्मियों के परिवारों को कम से कम 1 करोड़ रुपये मुआवजा दिया जाए, ताकि उनके परिवारों को किसी तरह की आर्थिक तंगी न हो और पुलिसकर्मियों का मनोबल ऊंचा रहे।
14 मार्च 2025 को वाहनों की जांच के लिए लगाए गए नाके पर तैनात पुलिस और होमगार्ड कर्मियों को एक तेज रफ्तार कार ने टक्कर मार दी, जिससे मौके पर ही उनकी मृत्यु हो गई। यह हादसा चंडीगढ़ पुलिस बल के लिए एक बड़ी क्षति है, लेकिन अब तक मृतक कर्मियों के परिवारों के लिए कोई मुआवजा घोषित नहीं किया गया, जो सभी पुलिसकर्मियों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।
SIA की अपील: एक करोड़ रुपये का मुआवजा मिले
सेकंड इनिंग्स एसोसिएशन ने शहीद पुलिसकर्मियों के सम्मान में प्रशासन से यह मांग की है कि—
प्रत्येक शहीद पुलिसकर्मी और होमगार्ड कर्मी के परिवार को 1 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाए।
भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं के लिए चंडीगढ़ पुलिस द्वारा एक स्थायी मुआवजा नीति बनाई जाए।
चंडीगढ़ पुलिस के कल्याण कोष से भी इन परिवारों को सहायता दी जाए।
कल्याण कोष का इस्तेमाल करने की मांग
आरके गर्ग का कहना है कि चंडीगढ़ पुलिस के पास एक कल्याण कोष मौजूद है, जिसमें सभी पुलिसकर्मी हर महीने एक निश्चित धनराशि जमा करते हैं। इस कोष में वर्षों से जमा हुई बड़ी राशि है, लेकिन अधिकांश पुलिसकर्मियों को इसकी जानकारी नहीं है कि इसका उपयोग कैसे किया जाता है।
आरके गर्ग ने सुझाव दिया कि बिना किसी प्रशासनिक बाधा के इस कोष से मृतक कर्मियों के परिवारों को तुरंत आर्थिक सहायता दी जाए। कल्याण कोष का सही और पारदर्शी उपयोग सुनिश्चित किया जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं पर त्वरित सहायता मिल सके।
पुलिसकर्मी खुद जुटा रहे मदद की राशि
गर्ग ने कहा कि यह भी सामने आया है कि चंडीगढ़ पुलिस के सभी अधिकारी और जवान अपने शहीद साथियों के परिवारों की मदद के लिए एक दिन का वेतन दान कर रहे हैं। हालांकि, गर्ग का कहना है कि—सिर्फ सहयोग राशि पर्याप्त नहीं है।प्रशासन को औपचारिक रूप से बड़ा मुआवजा घोषित करना चाहिए।सहायता राशि किसी प्राकृतिक आपदा के समय इकट्ठी की जाती है, लेकिन ड्यूटी के दौरान शहीद हुए कर्मियों के लिए सरकार को ही जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
भविष्य के लिए मुआवजा नीति बनाने की मांग
गर्ग ने यह भी कहा कि पुलिसकर्मियों की सुरक्षा और उनके परिवारों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए चंडीगढ़ पुलिस को एक स्थायी मुआवजा नीति बनानी चाहिए।
इस नीति में ड्यूटी के दौरान शहीद होने वाले पुलिस और होमगार्ड कर्मियों को निश्चित मुआवजा दिया जाए। परिवारों को वित्तीय और सामाजिक सहायता दी जाए। ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई के लिए एक विशेष फंड बनाया जाए।
ड्यूटी के दौरान शहीद हुए पुलिस और होमगार्ड कर्मियों को सम्मान और उनके परिवारों को आर्थिक सुरक्षा मिलनी चाहिए। एसआईए और चंडीगढ़ के पुलिसकर्मी इस लड़ाई को मजबूती से आगे बढ़ा रहे हैं। अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस पर क्या फैसला लेता है और क्या भविष्य में पुलिस बल की सुरक्षा और उनके परिवारों के लिए कोई नई नीति बनती है।
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