2.5 करोड़ खर्च, लेकिन वेंडिंग ज़ोन बना कबाड़ – नगर निगम पंचकूला की कार्यशैली पर उठे सवाल
रमेश गोयत
पंचकूला, 08 अप्रैल। नगर निगम पंचकूला की कार्यप्रणाली एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। सेक्टर-19 में करीब छह साल पहले बनाए गए वेंडिंग ज़ोन, जिस पर 2.5 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे, आज खंडहर और कबाड़ का रूप ले चुके हैं। हैरानी की बात यह है कि इतने समय में निगम एक भी वेंडर को यहां नहीं बिठा सका, जिससे पब्लिक मनी की खुली बर्बादी सामने आई है।
विकास मंच पंचकूला ने निगम आयुक्त और संयुक्त आयुक्त को एक विस्तृत पत्र लिखते हुए पूछा है कि आखिर इसकी जिम्मेदारी किसकी है? पत्र की कॉपी मुख्यमंत्री, मंत्री, चीफ़ सेक्रेटरी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को भी भेजी गई है।
वेंडिंग ज़ोन बना बर्बादी की मिसाल
स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट के तहत बनाए गए इस वेंडिंग ज़ोन में करीब 400 वेंडर्स को बैठाने की योजना थी, लेकिन मौके पर एक भी वेंडर मौजूद नहीं है। शेड और ढांचे जर्जर हो चुके हैं, और वेंडिंग ज़ोन पूरी तरह बेकार पड़ा है।
"मनमानी, मिलीभगत और भ्रष्टाचार की बू"
विकास मंच का आरोप है कि स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट को कभी ईमानदारी से लागू ही नहीं किया गया।
वेंडर्स सर्वे में गड़बड़ियां,
फर्जी नामों का उपयोग,
ड्रॉ में मनमानी,
साइटों की अवैध बिक्री और किराए पर देना,
पारदर्शिता की कमी,
और वेंडर्स से मनमाने ढंग से पैसे वसूलना,
इन सभी आरोपों के साथ मंच ने यह मामला उजागर किया है।
वेंडर्स का शोषण और कोर्ट के आदेशों की अवहेलना
मंच ने आरोप लगाया कि कोर्ट में दिए गए एफिडेविट के बावजूद वेंडर्स को बार-बार उठाया जा रहा है, जिससे उनकी रोज़ी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया है। हाल ही में सेक्टर-21 में पार्षद के कहने पर वेंडर्स को उठवा दिया गया, जबकि टीवीसी की कोई बैठक तक नहीं हुई।
10000 वेंडर्स को लोन, पर रोज़गार नहीं
सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब 4000 वेंडर्स का सर्वे हुआ था, तो 10000 वेंडर्स को बैंकों से लोन क्यों दिलवाया गया? और यदि उन्हें काम करने ही नहीं दिया जा रहा, तो यह लोन किस उद्देश्य से दिया गया?
विकास मंच की मांग
मंच ने नगर निगम से यह आग्रह किया है कि वह
सभी गड़बड़ियों की निष्पक्ष जांच कराए,
गलत तरीकों पर तुरंत रोक लगाए,
सभी फैसलों में पारदर्शिता लाए,
और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे।
मंच ने स्पष्ट किया है कि वह इस विषय में पूरी जानकारी देने को तैयार है, लेकिन अब जनता के पैसों की बर्बादी पर जवाबदेही तय की जानी चाहिए।
यह मुद्दा सिर्फ वेंडर्स से नहीं, बल्कि शहर के प्रशासनिक ढांचे की नीयत और नीति दोनों पर सवाल खड़ा करता है। अब देखना होगा कि नगर निगम और सरकार इस पर क्या कदम उठाते हैं।
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here →
Click to Follow हिन्दी बाबूशाही फेसबुक पेज →