अरबों की संपत्ति के मालिक हैं कुल्लू के देवी देवता, देवताओं के नाम सोना–चांदी और जमीन
15 अक्टूबर, 2024
शशिभूषण पुरोहित
कुल्लू। अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा में आए देवी देवताओं के देवरथों में करोड़ों का सोना-चांदी और जेवरात जड़े हुए हैं। उत्सव में आए लगभग 150 देवी देवता के पास अपनी जमीन भी है। करीब सौ से अधिक देवी देवताओं के रथों में लगाए देव छत्र और मुख मोहरों की कीमत करोड़ों में है। जमीन और बाग बगीचों को मिलाया जाए तो यह संपत्ति अरबों रुपए तक पहुंचती है।
हालांकि सुरक्षा कारणों के चलते देवी देवताओं की कुल संपत्ति का खुलासा नहीं किया जा सकता है। जिला और प्रदेश में हो रही देव देवताओं की चोरी की घटना से सहमे अधिकतर कारकूनों और देवलुओं ने देवरथों की सुरक्षा के चलते कारकूनों ने अपने देवताओं की पूरी संपत्ति को खुलासा करने से मना कर दिया है।
छत्र में जड़ा होता है सबसे अधिक सोना
देवलुओं का कहना है कि देवी देवता स्वयं अपनी रक्षा करने में सक्षम हैं। बावजूद इसके देवताओं की संपत्ति को उजागर करना उचित नहीं है। प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन देवी देवताओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं है।
देवी देवताओं में जिला के बाह्य सराज के अधिष्ठाता खुडीजल, देवता बिजली महादेव और देवी हिडिंबा, लक्ष्मी नारायण, बुंगडू महादेव, ब्यास ऋषि, कोट पझारी, टकरासी नाग समेत दर्जनों देवरथ अमीर हैं, जिनके नाम अकूत दौलत है।
देवी देवताओं के महाकुंभ अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में इस साल भगवान रघुनाथ की चाकरी में रिकॉर्ड 323 देवी देवता भाग ले रहे हैं। दशहरा में दर्जनों देवी देवताओं के देवरथ सोना और चांदी के सजाए गए हैं।
छत्र, मुख-मोहरे, माला और चंद्रहार सहित पूरा सोने के सुशोभित किए गए हैं। देवालयों में घट रही चोरी की वारदातों को रोकने के लिए सरकार और प्रशासन को उचित कदम उठाने की जरूरत है।
देवरथ के छत्र में सबसे अधिक सोना जड़ा हुआ था। जबकि कई देवरथों में मोहरों पर भी अधिक सोना जड़ा होता है। देवी-देवताओं के मोहरों की संख्या अलग-अलग रहती है। अधिक मोहरे होने पर देवरथ कीमत बढ़ जाती है। कई देवी-देवताओं के देवरथों पर सोने के बजाय चांदी अधिक रहती है।
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