आठवें पे कमीशन के गठन और पुरानी पेंशन बहाली न होने से करोड़ों कर्मियों में आक्रोश : सुभाष लांबा
कर्मचारी नववर्ष में एक बार पुनः शुरू करेंगे राष्ट्रव्यापी आंदोलन
28-29 दिसंबर को कानपुर होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में बनेगी ठोस योजना
रमेश गोयत
चंडीगढ़,23 दिसंबर। अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ ने केंद्र सरकार द्वारा आठवें पे कमीशन के गठन, पुरानी पेंशन बहाली और ठेका संविदा कर्मियों को नियमित करने से स्पष्ट इंकार करने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। महासंघ ने कर्मचारियों एवं शिक्षकों की लंबित मांगों को लेकर नववर्ष में नए सिरे से पुनः राष्ट्रव्यापी आंदोलन करने का फैसला किया है। अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने यह जानकारी देते हुए बताया कि 28-29 दिसंबर को कानपुर (उप्र) में महासंघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक आयोजित की जा रही है। जिसमें आंदोलन की ठोस योजना बनाई जाएगी। उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा हर साल करोड़ों का मुनाफा कमाने वाले चंडीगढ़ पावर डिपार्टमेंट और घाटे का बहाना बनाकर उप्र सरकार द्वारा पूर्वांचल व दक्षिणांचल डिस्कॉम को कौड़ियों के भाव निजी हाथों में सौंपने की भी घोर निन्दा की और निजीकरण के खिलाफ चल रहे आंदोलन का पुरजोर समर्थन किया।
अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने बताया कि केंद्र सरकार ने पुरानी पेंशन बहाली और आठवें पे कमीशन के गठन से बिल्कुल स्पष्ट इंकार कर दिया है। जिसके केन्द्र एवं राज्य तथा पीएसयू में कार्यरत करोड़ों कर्मचारियों को तगड़ा झटका लगा है। उन्होंने बताया कि सातवें पे कमीशन का गठन 13 फरवरी 2014 को किया गया था और पहली जनवरी 2016 से इसकी सिफारिशों को लागू किया था। लेकिन केन्द्र सरकार ने अभी तक आठवें पे कमीशन का गठन करने का भी फैसला नहीं लिया गया है। उन्होंने बिना देरी के आठवें पे कमीशन का गठन करने और दस की बजाय पांच साल में पे व पेंशन रिवीजन की मांग की। उन्होंने कहा कि केंद्र एवं राज्यों के करोड़ों कर्मचारी लंबे समय तक पीएफआरडीए एक्ट रद्द कर पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं। लेकिन सरकार ने ऐसा करने की बजाय एक नई पेंशन योजना (यूपीएस) की घोषणा कर जले पर नमक छिड़कने का काम किया है। क्योंकि कर्मचारियों की कभी भी इस तरीके की कोई मांग ही नहीं रही। उन्होंने बताया कि सरकार ठेका, संविदा और आउटसोर्स कर्मचारियों की रेगुलराइजेशन से पहले ही मना कर चुकी हैं। उन्होंने कहा कि एक तरफ भयंकर बेरोजगारी है और दूसरी तरफ केन्द्र एवं राज्य सरकार के विभागों और पीएसयू में एक करोड़ से ज्यादा पद रिक्त हैं। सरकार इन रिक्त पदों को स्थाई भर्ती से भर बेरोजगारों को पक्का रोजगार देने की बजाय बहुत कम रिक्त पदों के विरुद्ध ठेका संविदा पर नौजवानों को तैनात कर रही है। जहां उनका भारी आर्थिक शोषण हो रहा है, न्यूनतम वेतन तक नही मिल रहा है। सेना में भी चार साल के लिए अग्निवीर तैनात किए जा रहे हैं। उन्होंने सभी रिक्त पदों को स्थाई भर्ती से भरने और ठेक संविदा पर लगे कर्मचारियों एवं शिक्षकों को रेगुलर करने की मांग की।
श्री लांबा ने बताया कि सरकार सरकारी विभागों का विस्तार करने की बजाय सिकोड़ रही है और पीएसयू को निजी हाथों में सौंपने की गति को तेज कर रही है। चंडीगढ़ पावर डिपार्टमेंट और उप्र सरकार द्वारा पूर्वांचल व दक्षिणांचल डिस्कॉम को कौड़ियों के भाव में निजी हाथों में सौंपा जा रहा है। जिसके खिलाफ जनता एवं कर्मचारी सड़कों पर संधर्ष कर रहे हैं। उन्होंने इसकी निंदा की और निजीकरण पर रोक लगाने की मांग की। उन्होंने कहा कि कोविड 19 में फ्रिज किए 18 महीने के डीए / डीआर को सरकार ने अभी तक रिलीज नहीं किया है। सरकार जनतांत्रिक एवं ट्रेड यूनियन अधिकारों पर लगातार हमले कर रही हैं और एस्मा व संविधान के अनुच्छेद 311 (2) एबीसी का लगातार दुरुपयोग किया जा रहा है। तमाम विरोधों के बावजूद नेशनल एजुकेशन पालिसी (एनईपी) को लागू किया जा रहा है। जिसको लेकर शिक्षकों और कर्मचारियों में रोष में बढ़ता जा रहा है और वह नववर्ष में एक बार पुनः व्यापक एकता के साथ राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू करने का मन बना चुके हैं।
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