Price hike in medicine अस्थमा, टीबी की दवाएं 50 फीसदी तक महंगी
एनपीपीए ने आठ जरूरी दवाओं की बढ़ाई कीमत, उत्पादन की लागत बढ़ने पर लिया गया फैसला
16 अक्टूबर, 2024
बाबूशाही ब्यूरो
शिमला/बद्दी : टीबी, अस्थमा समेत अन्य दवाओं का उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं का झटका लगा है। ये दवाएं 50 फीसदी तक महंगी हो है हैं।
20 अन्य दवाओं की कीमतों में भी संशोधन औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने आठ शेड्यूल दवाओं की कीमतें बढ़ाने का फैसला किया है।
इन दवाओं का इस्तेमाल अस्थमा, टीबी, ग्लूकोमा के साथ कई अन्य बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जाता है। हेल्थ एंड फैमिली अफेयर मिनिस्ट्री ने बताया कि एनपीपीए ने आठ दवाओं के ग्यारह शेड्यूल्ड फॉर्मूलेशन की अधिकतम कीमतें 50 फीसदी तक बढ़ाने की मंजूरी दे दी है। इससे पहले एनपीपीए ने 2019 और 2020 में क्रमश: 21 और नौ फार्मुलेशन दवाओं की कीमतों को 50 फीसदी बढ़ाने का फैसला किया था। जिन दवाओं की कीमत बढ़ाई गई है उनमें स्लो-हर्ट रेट के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एट्रोपिन इंजेक्शन, टीबी के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला इंजेक्शन पाउडर स्ट्रेप्टोमाइसिन (750 एमजी और 1000 एमजी फॉर्मूलेशन), अस्थमा की दवा साल्बुटामॉल की दो एमजी और चार एमजी की गोलियों और 5एमजी/एमएल की रेस्पिरेटर, ग्लूकोमा के उपचार में इस्तेमाल होने वाला पिलोकार्पिन 2एमजी ड्रॉप, यूरिन ट्रैक्ट इन्फेक्शन के उपचार के लिए इस्तेमाल होने वाला सेफैड्रोक्सिल टैबलेट 500एमजी, थैलेसीमिया के उपचार के लिए डेफेरोक्सामाइन 500एमजी इंजेक्शन और 300एमजी की लिथियम टैबलेट शामिल है।
सरकार ने इन दवाओं की मैक्सिमम प्राइस में बढ़ोतरी पर कहा कि एनपीपीए को इन दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी के लिए मैन्यूफैक्चरर्स की ओर से लगातार आवेदन मिल रहे थे। दवा कंपनियों की ओर से एक्टिव फार्मास्यूटिकल्स इंग्रेडिएंट्स की कीमतों में बढ़ोतरी से दवाओं की लागत में बढ़ोतरी और एक्सचेंज रेट में बदलाव का हवाला दिया गया था। (S.B.P)
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