प्राचीन कला केंद्र की 301वीं मासिक बैठक में भरतनाट्यम नृत्य की धूम
रमेश गोयत
चंडीगढ़। प्राचीन कला केंद्र द्वारा आयोजित की जाने वाली मासिक बैठकों की श्रृंखला में केंद्र के 35 स्थित एम.एल. कौसर इंडोर ऑडिटोरियम के अवसर पर युवा एवं होनहार भरतनाट्यम नर्तक डॉ. वरुण खन्ना ने शहर के संगीत प्रेमियों को एक अद्भुत संगीतमय आनंद प्रदान किया। डांसिंग डेंटिस्ट के नाम से भी जाने जाने वाले डॉ. वरुण खन्ना ने "डांस विद अ मैसेज, फॉर अ चेंज" शीर्षक से भरतनाट्यम नृत्य का कार्यक्रम प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने अपने गुरुओं, दिवंगत पद्मभूषण डॉ. सरोजा वैद्यनाथन और राष्ट्रीय एसएनए पुरस्कार विजेता रमा वैद्यनाथन की 7 कृतियाँ प्रस्तुत कीं, तथा अपने नृत्य के माध्यम से दर्शकों को एक संदेश दिया। पहली प्रस्तुति में वरुण ने हिमालय पर्वत की भव्यता का आह्वान किया गया, जिसमें त्रिशूल, कैलाश, शिवलिंग, विविध वनस्पतियां और जीव-जंतु हैं, जो दो समुद्रों से घिरा हुआ है, यह एक ऐसा स्थान है जिसे अक्सर शांति से जोड़ा जाता है और यह एक तीर्थ स्थल है। इसके बाद अर्धनारीश्वर अष्टकम, संत आदिशंकराचार्य की एक प्राचीन कविता है जिसमें सदियों पहले भारत में लैंगिक समानता का सबसे पहला संदर्भ वर्णित किया गया था को नृत्य के माध्यम से पेश किया । तमिल में सीता द्वारा भगवान राम के उनके और उनकी सहमति के बिना 14 साल के लिए वन जाने के निर्णय पर सवाल उठाने की बात कही, यह संदेश दिया कि जो भी समाज अपनी महिलाओं का अनादर करता है, उसका नाश होना तय है। भरतनाट्यम ज्यादातर स्तुति और प्रार्थना या तकनीकी शुद्ध नृत्य कृतियों से जुड़ा हुआ है। इस धारणा को तोड़ने के लिए, एक हास्य कृति, एक ठुमरी "कन्हैया तोरा करा मैं कैसे ब्याहूँ राधे" प्रस्तुत की गई, जिसमें राधा की सखियाँ/सहेलियाँ कृष्ण का मज़ाक उड़ाती हैं और पूछती हैं कि चूँकि वह बहुत काला है, इसलिए वह राधा से विवाह करने के लिए अनुपयुक्त है, जिसके अंत में उन्हें यकीन हो जाता है कि दोनों एक दूसरे के लिए एकदम सही जोड़ी हैं। डॉ. खन्ना इसे नस्लवाद पर संदेश के रूप में देखते हैं और बताते हैं कि कैसे रंग नहीं बल्कि चरित्र किसी व्यक्ति को परिभाषित करता है। कार्यक्रम संत आदिशंकराचार्य द्वारा सदाबहार क्लासिक महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम सशक्त, बहु-कार्य करने वाली, स्वतंत्र, भावनात्मक और शारीरिक रूप से मजबूत भारतीय महिला के संदेश को दिखाने के एक ट्विस्ट के साथ के जो दिन-प्रतिदिन के जीवन और दिनचर्या में सभी प्रकार की बुराइयों का सामना करती है, फिर भी वह जो हासिल करना चाहती है उसे हासिल करती है साथ समापन की ओर बढ़ा। समापन प्रस्तुति जोकि पंजाबी में एक अभिनव प्रयोगात्मक कृति, दिलजीत दोसांझ द्वारा प्रस्तुत क्लासिक शब्द "आर नानक" पर आधारित थी करके वरुण ने भरतनाट्यम के प्राचीन दक्षिण भारतीय नृत्य रूप की बहुमुखी प्रतिभा को बखूबी दर्शा कर खूब तालियां बटोरी । केन्द्र सचिव सजल कौसर ने कलाकार को सम्मानित किया।
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