चंडीगढ़: प्रशासनिक ढांचे में बड़ा बदलाव, 40 साल बाद मुख्य सचिव का पद सृजित
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 08 जनवरी। केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ में प्रशासनिक संरचना को मजबूत बनाने के लिए बड़ा कदम उठाते हुए प्रशासक के सलाहकार का पद समाप्त कर मुख्य सचिव का पद सृजित किया है। यह परिवर्तन चंडीगढ़ के इतिहास में 40 साल बाद हुआ है। इसके साथ ही चंडीगढ़ में आईएएस अधिकारियों की संख्या भी बढ़ाकर 11 कर दी गई है।
40 साल बाद हुआ बड़ा परिवर्तन
चंडीगढ़ के गठन के बाद पहले मुख्य आयुक्त का पद हुआ करता था। लेकिन 3 जून 1984 को केंद्र सरकार ने मुख्य आयुक्त का पद समाप्त कर प्रशासक के सलाहकार का पद बनाया था। अब, चार दशक बाद, इसे मुख्य सचिव के पद में परिवर्तित कर दिया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बदलाव से चंडीगढ़ की प्रशासनिक व्यवस्था अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनेगी।
मुख्य सचिव का पद क्यों है महत्वपूर्ण?
मुख्य सचिव का पद सृजित होने से चंडीगढ़ के प्रशासनिक कार्यों में अधिक उत्तरदायित्व और पारदर्शिता लाई जा सकेगी। सलाहकार का पद मुख्य सचिव के स्तर से छोटा माना जाता था, और इस पद पर नियुक्त अधिकारियों को पूर्ण अधिकार नहीं मिलते थे। अब, मुख्य सचिव का पद चंडीगढ़ को पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों के मुख्य सचिवों के बराबर ला खड़ा करेगा।
आईएएस अधिकारियों की संख्या बढ़ी
केंद्र सरकार ने इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस रेगुलेशन-1955 में संशोधन कर चंडीगढ़ में आईएएस अधिकारियों की संख्या 9 से बढ़ाकर 11 कर दी है। नई संरचना में मुख्य सचिव, गृह सचिव, वित्त सचिव, अर्बन प्लानिंग सचिव, स्मार्ट सिटी सचिव, डीसी, आबकारी आयुक्त सहित अन्य पद शामिल किए गए हैं। इससे प्रशासनिक कामकाज में तेजी और कुशलता आने की उम्मीद है।
राजनीतिक विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
राजनीतिक विश्लेषकों ने इस फैसले को ऐतिहासिक करार दिया है। उनका कहना है कि मुख्य सचिव का पद सृजित होने से चंडीगढ़ की प्रशासनिक संरचना को मजबूती मिलेगी और विभागों में उत्तरदायित्व बढ़ेगा। पहले सलाहकार को मुख्य सचिव के बराबर समझा जाता था, लेकिन उनके अधिकार सीमित थे।
जनता और प्रशासनिक वर्ग का स्वागत
चंडीगढ़ में लंबे समय से मुख्य सचिव के पद की मांग की जा रही थी। केंद्र सरकार के इस फैसले का नागरिक और प्रशासनिक वर्ग दोनों स्वागत कर रहे हैं। उनका मानना है कि यह बदलाव चंडीगढ़ के प्रशासनिक ढांचे को नए आयाम देगा।
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