अवैध खनन को रोकने के लिए हरियाणा सरकार को विजय बंसल ने भेजा कानूनी नोटिस
-माइनिंग विभाग एवं पर्यावरण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को भेजा नोटिस,कहा पंचकूला, अंबाला और यमुनानगर जिले में पड़ने वाली शिवालिक पहाड़ियों का भू-स्थानिक सर्वेक्षण करने के लिए अवैध खनन को रोकने और उक्त पहाड़ियों को अरावली पहाड़ियों जैसे विनाश से बचाने के लिए इनके तल से 5 किलोमीटर के भीतर कानूनी खनन पर प्रतिबंध लगाया जाए
रमेश गोयत
पंचकूला, 07 जनवरी। शिवालिक विकास मंच के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व चेयरमैन विजय बंसल एडवोकेट ने माइनिंग विभाग और पर्यावरण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को अपने वकील रवि शर्मा एडवोकेट के मार्फत पंचकूला, अंबाला और यमुनानगर जिले में पड़ने वाली शिवालिक पहाड़ियों का भू-स्थानिक सर्वेक्षण करने के लिए अवैध खनन को रोकने और उक्त पहाड़ियों को अरावली पहाड़ियों जैसे विनाश से बचाने के लिए इनके तल से 5 किलोमीटर के भीतर कानूनी खनन पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानूनी नोटिस भेजा है।
विजय बंसल द्वारा दायर जनहित याचिका नंबर 20134/2004 का अवैध खनन को रोकने में पूरे देश स्तर पर प्रभाव पड़ा है जोकि एक लैंडमार्क जजमेंट बनी है। पंचकूला, अंबाला, यमुनानगर जिलों में पहाड़ी क्षेत्रों का दौरा करने के दौरान विजय बंसल ने देखा है कि खनन माफिया द्वारा उपरोक्त जिलों में स्थित छोटी पहाड़ियों को नुकसान पहुंचाकर न केवल राज्य बल्कि उत्तरी भारत के पर्यावरण को अपूरणीय क्षति पहुंचाई जा रही है। यहां यह उल्लेख करना उचित है कि हरियाणा की ओर से माननीय पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय की इमारत के ठीक पीछे की छोटी पहाड़ियों को भी नहीं बख्शा गया अब खनन धन कमाने का जरिया बन गया है तथा खनन माफिया को राजनीतिक व प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त है, क्योंकि सत्ता में बैठे लोगों के करीबी, चाहे वे राजनीति में हों या प्रशासन में, इस कारोबार को अपने कब्जे में ले चुके हैं, जिसकी माननीय उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा जांच होनी चाहिए।
विजय बंसल ने बताया कि हरियाणा राज्य का यह क्षेत्र भूकंपीय क्षेत्र में आता है तथा कभी अपनी हरियाली, वन्य जीवन के लिए जाना जाता था, जहां पांडवों ने महाभारत जीतने से पहले एक वर्ष अज्ञातवास (छिपकर रहना) बिताया था, इसकी स्वास्थ्यवर्धक जलवायु के कारण यह क्षेत्र अब तक ट्राई-सिटी चंडीगढ़ सहित इस पूरे क्षेत्र के लिए फेफड़े की तरह रहा है तथा खनन ने इन सभी को विनाश के कगार पर पहुंचा दिया है।तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने वर्ष 1900 में तत्कालीन आयुक्त, जालंधर डिवीजन जालंधर की रिपोर्ट पर पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम 1900 बनाया था, जो पर्यावरण के प्रति विदेशी शासकों की चिंता की गहराई को दर्शाता है, लेकिन हमारे तथाकथित "स्वराज" और नागरिक इसके बिल्कुल विपरीत कर रहे हैं।इसके साथ ही बताया कि यहां चंडीकोटला और शेर गुजरा में अवैध माइनिंग के चलते पहाड़ों में दरार आ गई थी जिससे मकान टूटे और जमीन,सड़क आदि तक धस गई थी और इलाके की पहाड़िया हिलने लगी थी और जीव जंतु खत्म होगए।इसके तत्पश्चात विजय बंसल ने जनहित याचिका 18188/2011 डाली थी जिसके बाद माननीय हाईकोर्ट ने कार्यवाही के आदेश दिए थे।
प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने अरावली पहाड़ियों के साथ जो कुछ हुआ है, उसके बारे में विस्तार से रिपोर्ट की है, जैसे कि "पंचकूला, अंबाला और यमुनानगर जिले में पड़ने वाले शिवालिक पहाड़ियों का भू-स्थानिक सर्वेक्षण, ताकि अवैध खनन को रोका जा सके और पहाड़ियों को अरावली पहाड़ियों जैसे विनाश से बचाया जा सके" और पहाड़ियों के निचले हिस्से से 5 किलोमीटर के भीतर सभी कानूनी और अवैध खनन पर प्रतिबंध लगाने के लिए आगे कदम उठाए जाएं, खासकर पर्यावरण के हित में जलवायु परिवर्तन को देखते हुए, क्योंकि इन पहाड़ियों को कोई भी नुकसान इन पहाड़ियों के पीछे की पहाड़ी की अन्य श्रेणियों और अंततः उच्च ऊंचाई पर ग्लेशियरों को और अधिक नुकसान पहुंचाएगा, क्योंकि ये पहाड़ियां गर्म तरंगों को ठंडा करने में मदद करती हैं, जो ग्लेशियरों के लिए हानिकारक हैं।
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here →
Click to Follow हिन्दी बाबूशाही फेसबुक पेज →