यूटी कैडर एजुकेशनल एम्प्लॉइज यूनियन ने चीफ सेक्रेटरी से की सेवानिवृत्ति के बाद सरकारी आवास के नियमों में सुधार की मांग
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 8 जनवरी। यूटी कैडर एजुकेशनल एम्प्लॉइज यूनियन, चंडीगढ़ यूटी ने चीफ सेक्रेटरी को पत्र लिखकर निवेदन किया है कि केंद्र सरकार के नियमों के तहत सेवानिवृत्त कर्मचारियों को सामान्य लाइसेंस शुल्क पर छह महीने तक सरकारी आवास रखने की अनुमति दी जाए। यूनियन ने इसे केंद्र सरकार के नियमों के अनुरूप बनाने की मांग की है और पंजाब सिविल सर्विसेज रूल्स के प्रावधानों पर आपत्ति जताई है।
क्या है मामला?
यूनियन ने अपने पत्र में स्पष्ट किया कि:
- केंद्र सरकार के नियम: सामान्य पूल आवासीय नियम (40(1)(ii)) के तहत सेवानिवृत्त कर्मचारी को सामान्य लाइसेंस शुल्क पर छह महीने तक सरकारी आवास रखने की अनुमति है।
- पंजाब सिविल सर्विसेज रूल्स: इन नियमों के अनुसार, सेवानिवृत्ति के बाद केवल चार महीने तक सामान्य लाइसेंस शुल्क पर सरकारी आवास रखा जा सकता है। इसके बाद, कर्मचारी को मार्केट रेट पर किराया देना होता है।
यूनियन का कहना है कि जब 1 अप्रैल 2022 से चंडीगढ़ में केंद्र सरकार के नियम लागू हो चुके हैं, तो बीच-बीच में पंजाब सिविल सर्विसेज रूल्स को क्यों लागू किया जा रहा है?
यूनियन की मांग
यूनियन ने निवेदन किया है कि:
- केंद्र सरकार के नियम लागू किए जाएं: सेवानिवृत्ति के बाद छ: महीने तक सामान्य लाइसेंस शुल्क पर सरकारी आवास रखने की अनुमति दी जाए।
- पंजाब के नियमों को समाप्त किया जाए: चंडीगढ़ में केंद्र शासित प्रदेश होने के नाते, केंद्र सरकार के नियमों का पालन होना चाहिए।
- कर्मचारियों को राहत दी जाए: नियमों में यह बदलाव सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से लाभकारी होगा।
यूनियन का रुख
यूनियन ने इस मुद्दे पर शीघ्रता से कार्रवाई की मांग की है और कहा है कि यह कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा और न्यायसंगत नियमों को लागू करने के लिए जरूरी है। यूनियन ने चीफ सेक्रेटरी से निवेदन किया कि मामले की गंभीरता को समझते हुए आवश्यक कदम उठाए जाएं।
प्रभावित कर्मचारी वर्ग
इस नियम से चंडीगढ़ में केंद्र सरकार के अधीन आने वाले सभी शैक्षिक और अन्य विभागों के कर्मचारी प्रभावित हो रहे हैं। यूनियन ने कहा कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे आगे आंदोलन की रणनीति पर विचार करेंगे।
यह मामला सरकारी कर्मचारियों के अधिकारों और नियमों के समुचित क्रियान्वयन को लेकर प्रशासन की गंभीरता को परखने वाला है।
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