40000 विद्यार्थियों की मुफ्त बस सेवा रोकने पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने जताया विरोध
कहा- बीजेपी के घोटालों और निजीकरण से खस्ताहाल हुई हरियाणा रोडवेज सेवा
बाबूशाही ब्यूरो
चंडीगढ़, 11 फ़रवरी । पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने विद्यार्थियों की मुफ्त बस सेवा बंद करने के फैसले का विरोध किया है। हुड्डा ने कहा कि बीजेपी सरकार ने आईटीआई के करीब 40000 विद्यार्थियों को मिलने वाली यह सुविधा बंद करके अन्याय किया है। इन विद्यार्थियों में 20000 छात्राएं भी शामिल हैं। बड़ी तादाद में ये विद्यार्थी गरीब, ग्रामीण, एससी, ओबीसी और किसान समाज से आते हैं।
इससे पहले रोडवेज का निजीकरण करके बीजेपी बुजुर्गों, विकलांगों व अन्य लाभार्थी वर्गों को मिलने वाली रियायती बस सेवा भी सीमित कर चुकी है। प्रदेश के आम आदमी को लाभान्वित करने के लिए शुरू की गई रोडवेज सेवा को बीजेपी ने घोटाले करने व जनता को लूटने का जरिया बना लिया है।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि बीजेपी द्वारा किए जा रहे घोटालों और निजीकरण के चलते हरियाणा रोडवेज खस्ताहाल हो चुकी है। कांग्रेस सरकार ने जिस रोडवेज को देश में नंबर वन और सबसे सुरक्षित बस सेवा बनाया था, उसे बीजेपी ने बर्बादी की कगार पर ला दिया है। खस्ताहाल बसों को सड़कों पर दौड़ाया जा रहा है, जो जानलेवा हादसों को बुलावा दे रही हैं।
हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस कार्यकाल के दौरान रोडवेज के बेड़े में 4500 बसें थीं, जो आज घटकर लगभग 2000 ही रह गई हैं। जो बसें बची हैं, उनकी हालत ऐसी है कि सवारियों को उनमें सफर करने से डर लगता है। कांग्रेस कार्यकाल के दौरान पूरे उत्तर भारत में हरियाणा रोडवेज की तूती बोलती थी। हमारी बसें हरियाणा ही नहीं बल्कि दिल्ली, हिमाचल, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान तक प्रदेश की बसें अपनी सेवाएं देती थी। प्रत्येक राज्य के लोगों के लिए सफर की पहली पसंद हरियाणा रोडवेज होती थी।
लेकिन बीजेपी सरकार ने ना नई बसें खरीदी और ना ही खाली पदों के मुताबिक स्टाफ की भर्ती की। रोडवेज के बेड़े में बसों की संख्या लगातार घटती गई लेकिन किराए में बेतहाशा बढ़ोतरी होती रही। युवाओं के भविष्य पर कुठाराघात करते हुए भाजपा ने रोडवेज में हजारों सरकारी नौकरियों के पदों को भी खत्म कर दिया गया है।
हुड्डा ने कहा कि बीजेपी सरकार ने रोडवेज में किलोमीटर स्कीम जैसे सैकड़ों करोड़ के घोटाले को अंजाम दिया है। आज तक उस मामले में दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई है। बावजूद इसके निजी बसों को सड़कों पर उतार दिया गया और रोडवेज पूरी तरह निजी हाथों में सौंप दी गई। जबकि कांग्रेस सरकार ने बड़ी मुश्किल से निजी बसों के चंगुल से रोडवेज को आजाद करवाया था। क्योंकि निजी बस संचालक सिर्फ अपने मुनाफे के बारे में सोचते हैं। सवारियों की सुरक्षा की परवाह किए बिना अकुशल ड्राइवर और कंडक्टर बसों में छोड़ दिए जाते हैं। निजी बसों में सवारियों के साथ बदतमीजी और बदसलूकी की घटनाएं आम होती रहती हैं।
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