पंजाब विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय विश्व पंजाबी सम्मेलन शुरू
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 11 फरवरी 2025 । सिख धर्म में सेवा की अवधारणा” विषय पर तीन दिवसीय विश्व पंजाबी सम्मेलन आज पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के लॉ ऑडिटोरियम में शुरू हुआ।
इस प्रतिष्ठित सम्मेलन का आयोजन गुरु नानक सिख अध्ययन विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय और विरासत पंजाब मंच द्वारा पीयू कुलपति प्रोफेसर रेणु विग के संरक्षण में किया जा रहा है। सिख धर्म में सेवा (निस्वार्थ सेवा) के सार की खोज के लिए समर्पित यह सम्मेलन 13 फरवरी 2025 तक जारी रहेगा।
अपने उद्घाटन भाषण में प्रोफेसर रेणु विग ने इस बात पर प्रकाश डाला कि किस तरह सिख गुरुओं ने सेवा का अभ्यास करके उदाहरण पेश किया और पीढ़ियों को निस्वार्थ सेवा को जीवन पद्धति के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने युवा पीढ़ी से आग्रह किया कि वे सेवा को अपने दैनिक जीवन में शामिल करें।
मुख्य अतिथि के रूप में सभा को संबोधित करते हुए भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे.एस. खेहर ने इस बात पर जोर दिया कि सेवा निस्वार्थ होनी चाहिए, उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब और गुरु नानक देव जी द्वारा करतारपुर साहिब (अब पाकिस्तान में) में शुरू की गई लंगर की अवधारणा का हवाला दिया। गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं का हवाला देते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि “साझा करना ही देखभाल करना है”, साथ ही उन्होंने गुरु अंगद देव जी, गुरु अमरदास जी और गुरु रामदास जी के योगदान का भी हवाला दिया, जिनमें से प्रत्येक ने सेवा के विभिन्न पहलुओं को अपनाया।
मेजर जनरल पीबीएस लांबा, जनरल ऑफिसर कमांडिंग, कश्मीर सब एरिया, श्रीनगर, मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए और उन्होंने सिख धर्म में सेवा और भारतीय सेना के सेवा चरित्र के बीच समानताओं पर प्रकाश डाला।
प्रसिद्ध सिख विद्वान सरदार रणजोध सिंह ने विभिन्न धर्मों में सेवा की अवधारणा पर बात की, जबकि सरदार गुरतेज सिंह (आईएएस) ने अपने मुख्य भाषण में सिख धर्म में निस्वार्थ सेवा पर एक ऐतिहासिक और दार्शनिक परिप्रेक्ष्य प्रदान किया।
इससे पहले, सम्मेलन की शुरुआत प्रोफेसर होरजोध सिंह के स्वागत भाषण से हुई। इसके बाद पद्मश्री बाबा सेवा सिंह (निशान-ए-सिखी, श्री खडूर साहिब) के संदेश से सेवा के महत्व पर जोर दिया गया।
सम्मेलन की अध्यक्षता बाबा बलजिंदर सिंह (रारा साहिब) ने की और इसमें सरदार गुरदेव सिंह (आईएएस), सरदार हरदयाल सिंह (आईएएस), प्रोफेसर बलकार सिंह, सरदार भूपिंदर सिंह बाजवा (कनाडा) और सरदार मोटा सिंह सराय (यूके) सहित कई प्रतिष्ठित हस्तियों की उपस्थिति देखी गई, जिन्हें उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
न्यायमूर्ति जे.एस. खेहर ने डॉ. हरजोध सिंह द्वारा संपादित पुस्तक “सिख धर्म में शहादत की अवधारणा” का भी विमोचन किया। उद्घाटन सत्र का समापन प्रोफेसर गुरपाल सिंह द्वारा दिए गए धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
सम्मेलन के शैक्षणिक सत्र गोल्डन जुबली हॉल में आयोजित किए जा रहे हैं, जहां विद्वान, शोधकर्ता और सामुदायिक नेता सिख धर्म में सेवा की प्रासंगिकता और समकालीन समाज में इसके अनुप्रयोग पर चर्चा कर रहे हैं।
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