RTI से खुलासा: चंडीगढ़ नगर निगम को 36.75 करोड़ का नुकसान, मोबाइल टावर किराए में भी अनियमितता
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 19 मार्च 2025: चंडीगढ़ के जाने-माने आरटीआई एक्टिविस्ट आर.के. गर्ग द्वारा दायर एक सूचना के अधिकार (RTI) आवेदन के माध्यम से नगर निगम (MC) चंडीगढ़ में भारी वित्तीय अनियमितताओं और राजस्व हानि का खुलासा हुआ है। आरटीआई के तहत प्राप्त दस्तावेजों से पता चला है कि खाली व्यावसायिक संपत्तियों के कारण 36.75 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, वहीं मोबाइल टावर किराए की गलत नीतियों से भी निगम को करोड़ों रुपये की हानि उठानी पड़ी।
आर.के. गर्ग ने RTI से उजागर किए मुख्य बिंदु
1. खाली पड़ी संपत्तियों से 36.75 करोड़ रुपये का नुकसान
आरटीआई से प्राप्त दस्तावेजों में यह सामने आया कि नगर निगम की 195 व्यावसायिक संपत्तियां वर्षों से खाली पड़ी हैं। इनमें बूथ, हॉल, कियोस्क, नर्सरी साइट्स और सबवे बूथ शामिल हैं, जिनका आवंटन न होने के कारण निगम को 36.75 करोड़ रुपये का सीधा नुकसान हुआ।
इनमें से कुछ संपत्तियां 130 महीने (लगभग 11 साल) से खाली हैं।
इन संपत्तियों का मासिक किराया 3,067 रुपये से 2,93,170 रुपये तक था, जबकि एकमुश्त लीज राशि 25 लाख से 1.40 करोड़ रुपये के बीच थी।
यदि इनका सही समय पर आवंटन कर दिया जाता तो निगम को इस अवधि में करोड़ों की कमाई होती।
2. मोबाइल टावर किराए में अनियमितता: 14.20 करोड़ रुपये की हानि
2015 में चंडीगढ़ प्रशासन ने सरकारी भूमि पर मोबाइल टावर लगाने के लिए 5 लाख रुपये प्रति वर्ष किराया तय किया था, जिसे हर 7 साल में दोगुना किया जाना था।
लेकिन 2021 और 2023 में नीति बदलकर किराया 5 लाख रुपये ही बनाए रखा, जिससे नगर निगम को 14.20 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
यदि 2022 में ही यह किराया बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दिया जाता तो 142 टावरों से निगम को 17 करोड़ रुपये की आमदनी होती, जबकि उसे सिर्फ 3.78 करोड़ रुपये ही मिले।
3. 68.11 लाख रुपये के जीएसटी की वसूली नहीं
आर.के. गर्ग के अनुसार, मोबाइल टावर किराए पर 18% जीएसटी लागू होता है, लेकिन नगर निगम ने 2022-24 के दौरान 3.78 करोड़ रुपये का किराया वसूलने के बावजूद 68.11 लाख रुपये का जीएसटी नहीं लिया।
नगर निगम की इस लापरवाही के चलते सरकार को भी राजस्व हानि हुई। ऑडिट रिपोर्ट में यह सवाल उठाया गया है कि क्या नगर निगम ने जीएसटी छूट के लिए कोई विशेष आदेश लिया था, या फिर यह प्रशासनिक लापरवाही है?
आर.के. गर्ग ने निगम प्रशासन को घेरा
आरटीआई से खुलासे के बाद आर.के. गर्ग ने नगर निगम प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। उनका कहना है:
"नगर निगम की लापरवाही से करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है, जो कि चंडीगढ़ की जनता का पैसा है। अगर नगर निगम ने अपनी व्यावसायिक संपत्तियों का सही तरीके से उपयोग किया होता और मोबाइल टावर किराए की नीति को सही रखा जाता, तो यह पैसा शहर के विकास कार्यों में इस्तेमाल हो सकता था।"
गर्ग ने यह भी मांग की कि:
खाली व्यावसायिक संपत्तियों का तुरंत आवंटन किया जाए ताकि राजस्व घाटा कम किया जा सके।
मोबाइल टावर किराए की नीति की समीक्षा हो और बकाया राशि की वसूली की जाए।
निगम के अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए और लापरवाही करने वालों पर कार्रवाई हो।
नगर निगम की सफाई और अगला कदम
आरटीआई खुलासे के बाद नगर निगम के अधिकारियों ने कहा कि इस मामले की समीक्षा की जा रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बकाया जीएसटी वसूलने और मोबाइल टावर किराए की नीति में सुधार के लिए प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।
अब देखना यह होगा कि क्या प्रशासन इन वित्तीय अनियमितताओं को ठीक करने के लिए ठोस कदम उठाता है, या यह मामला फाइलों में ही दबकर रह जाएगा।
आर.के. गर्ग द्वारा दायर आरटीआई से नगर निगम की लापरवाह वित्तीय नीतियों की पोल खुल गई है। अब प्रशासन पर दबाव है कि वह व्यावसायिक संपत्तियों का सही उपयोग करे, मोबाइल टावर किराए की गड़बड़ियों को ठीक करे और बकाया करों की वसूली करे।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या नगर निगम सुधार की दिशा में कोई ठोस कदम उठाएगा या यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा।
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