नौकरी से हटाए 160 एक्सटेंशन लेक्चररों ने पंचकूला में किया प्रदर्शन
• हरियाणा एक्सटेंशन लेक्चरर एसोसिएशन ने नौकरी लौटाने की मांग उठाई
-मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से की मुलाकात, मिला आश्वासन
-शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा से मिलकर सुनाया दुखड़ा
रमेश गोयत
पंचकूला, 19 मार्च। हरियाणा एक्सटेंशन लेक्चरर एसोसिएशन ने 160 एक्सटेंशन लेक्चरर को बिना सुनवाई नौकरी से बाहर करने पर सेक्टर 5 धरना स्थल पर प्रदर्शन किया और दोबारा नौकरी पर रखने की मांग की। बुधवार सुबह डा. सोनू भारद्वाज, डा. राम स्वामी, डा. प्रवीण कुमार, सुरेंद्र जागलान, दीपिका हुडा, रेनू सैनी, प्रियंका शर्मा, संदीप भारद्वाज, राकेश कुमार, राजेश कुमार, मनोज कुमार सहित अन्य हरियाणा के एक्सटेंशन लेक्चररों ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मुलाकात की और अपनी नौकरी वापिस देने की मांग की। मुख्यमंत्री ने कार्रवाई का आश्वासन दिया। डा. सोनू भारद्वाज, डा. राम स्वामी ने बताया कि उच्चतर शिक्षा विभाग ने यूजीसी के एक पत्र को गलत पेश करके उनकी नौकरी छीनी है, जबकि यूजीसी ने अपने पत्र में कहीं पर भी पहले से उत्तीर्ण पीएचडी होल्डर की डिग्री को अमान्य नहीं बताया है। यूजीसी की स्थायी समिति ने इन तीनों विश्वविद्यालयों के संबंध में निर्णय लिया है कि इनमें आगामी 5 वर्षों तक कोई भी प्रवेश नहीं लेगा। यूजीसी की स्थायी समिति ने अपने नोटिस में कहीं भी यह नहीं लिखा है कि पिछली डिग्री मान्य नहीं है, लेकिन उच्चतर शिक्षा विभाग यूजीसी के इस नोटिस को गलत तरीके से पेश कर रहा है तथा इन विश्वविद्यालयों से पीएचडी धारक एक्सटेंशन लेक्चरर को कारण बताओ नोटिस जारी कर रहा है जो न्यायोचित नहीं है। इसके अलावा उन्होंने बताया कि इन तीनों विश्वविद्यालयों से पीएचडी करने के बाद हजारों अभ्यर्थी एचपीएससी, सहायता प्राप्त महाविद्यालय तथा विश्वविद्यालयों में नियमित सहायक/एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। उनके अनुसार उच्चतर शिक्षा विभाग यूजीसी की स्थायी समिति के निर्णय को उच्च न्यायालय में भी गलत तरीके से पेश कर रहा है। साथ ही 200 एक्सटेंशन लेक्चरर को बिना सुनवाई और बिना पक्ष जाने ही बाहर कर दिया गया।
प्रधान ईश्वर सिंह ने कहा कि इस प्रकार यूजीसी के निर्णय हमेशा भविष्य के लिए लागू होते हैं न कि उन विद्वानों के लिए जो पहले से पीएचडी कर चुके हैं। पीएचडी धारक डा. तरुणा पंघाल व डॉ. रामा स्वामी ने कहा कि उच्चतर शिक्षा विभाग पिछले चार वर्षों से पीएचडी की जांच कर रहा है तथा सभी पीएचडी धारक एक्सटेंशन लेक्चरर्स की जांच विश्वविद्यालयों से प्राचार्य के माध्यम से करवा चुका है, जिसमें सभी एक्सटेंशन लेक्चरर्स की पीएचडी प्रमाणिक या वैध पाई गई है। विभाग बार-बार एक शब्द का प्रयोग करके सरकार व न्यायालय को गुमराह कर रहा है कि एक्सटेंशन लेक्चरर्स ने अपनी पीएचडी सेवाकाल के दौरान की है, जबकि सच्चाई यह है कि 2017 से पहले सभी बाहरी लेक्चरर्स प्रति पीरियड काम करते थे तथा केवल 6 महीने ही कालेज जाते थे तथा 6 महीने रिलीव होते थे। छुट्टियों का कोई वेतन नहीं मिलता था तथा इन छुट्टियों में एक्सटेंशन लेक्चरर्स ने अपना पीएचडी कोर्स वर्क किया है। उच्चतर शिक्षा पीएचडी धारक एक्सटेंशन लेक्चरर्स के साथ भेदभाव कर रही है। एसोसिएशन के सदस्यों ने बताया कि न्यायालय ने नियमित व एक्सटेंशन दोनों लेक्चरर्स की पीएचडी की जांच करने को कहा था, लेकिन विभाग ने केवल एक्सटेंशन लेक्चरर्स की पीएचडी का मामला ही एंटी करप्शन ब्यूरो को जांच के लिए भेजा तथा नियमित सहायक प्रोफेसरों की पीएचडी की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो को भेजने की बजाय विभाग की कमेटी को सौंप दी। 16 जनवरी 2025 को यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन यूजीसी ने एक पब्लिक नोटिस जारी किया, जिसमें उन्होंने राजस्थान की तीन यूनिवर्सिटी में वर्ष 2025-26 से लेकर 2029-30 तक के शैक्षणिक सत्र में दाखिला न लेने के लिए सलाह दी है, लेकिन डिपार्मेंट आफ हायर एजुकेशन हरियाणा पंचकूला ने इस पब्लिक नोटिस का गलत मतलब निकालते हुए राजस्थान की इन तीन यूनिवर्सिटिययों से पिछले 10 सालों से की हुई पीएचडी डिग्री वाले सभी एक्सटेंशन लेक्चरर जिनकी संख्या 292 है, उनको 28 जनवरी 2025 को एक शो का नोटिस जारी किया, जिनमें से 160 को बाहर कर दिया, जोकि सरासर अन्याय है।
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here →
Click to Follow हिन्दी बाबूशाही फेसबुक पेज →