आरसीएफसी एनआर-1, आयुष मंत्रालय और निटर द्वारा आयोजित रीजनल बायर-सेलर मीट संपन्न
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 19 मार्च 2025 – "बूटी से कमाएं रोटी" की थीम पर आयोजित रीजनल बायर-सेलर मीट का सफल समापन हुआ। इस दो दिवसीय आयोजन का उद्देश्य औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देना और किसानों को बाजार से जोड़ना था।
औषधीय खेती से किसानों की आय बढ़ाने पर जोर
डॉ. अरुण चंदन ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि परंपरागत खेती के अलावा औषधीय फसलों की खेती किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प है। उन्होंने बताया कि कोविड के बाद से औषधीय पौधों की मांग में तेजी से वृद्धि हुई है, और किसानों को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए।
बढ़ रही है औषधीय पौधों की मांग
विशेषज्ञों ने बताया कि सर्पगंधा, तुलसी, गिलोय, शतावरी, ब्राह्मी, कालमेघ, लेमन ग्रास, सहजन, कौंच आदि औषधीय पौधों की मांग लगातार बढ़ रही है। ये न केवल रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक हैं, बल्कि औद्योगिक और घरेलू उपयोग में भी आते हैं।
किसानों को मिलेंगी सरकारी योजनाओं का सहायता
एक्सपर्ट्स ने किसानों को सरकारी योजनाओं और अनुदानों की जानकारी दी, जिससे वे औषधीय फसलों की खेती कर अपनी आय बढ़ा सकते हैं। हर्ब एक्सपर्ट आशीष सिंगला ने किसानों गोविंद, महेश किलनोत, अरुण बिष्ट, प्रेम और कृपाल के सवालों के जवाब दिए।
एक्सपर्ट्स ने रखे महत्वपूर्ण सुझाव
- डॉ. अरुण चंदन – किसानों को औषधीय खेती के नवीनतम वैज्ञानिक तरीकों से प्रशिक्षित किया जाए।
- डॉ. जी.पी. किमोठी और डॉ. एस.एस. कोरंगा – हिमालयी जड़ी-बूटियों की मांग और निर्यात की संभावनाओं पर चर्चा की।
- हॉलिस्टिक हिमालय के सीईओ मोहम्मद रियाज – चक्र हीलिंग और गट-ब्रेन एक्सिस पर विस्तार से जानकारी दी।
- शिवकुमार मौर्य – हिमालयी फूलों के सतत संग्रहण और पर्यावरण-संरक्षण के उपाय सुझाए।
- साहिल सोढ़ी – अपने ऑनलाइन पोर्टल "जड़ी-बूटी बाजार" की जानकारी दी, जहां किसान और विक्रेता एक ही प्लेटफॉर्म पर जुड़ सकते हैं।
कृषकों और विशेषज्ञों के बीच सार्थक संवाद
इस मीट में किसानों और वैज्ञानिकों के बीच संवाद स्थापित हुआ, जिससे उन्हें औषधीय फसलों की वैज्ञानिक खेती, मार्केटिंग और निर्यात के बारे में विस्तृत जानकारी मिली।
रीजनल बायर-सेलर मीट ने औषधीय खेती की संभावनाओं को मजबूत किया और किसानों को इससे जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया। आयोजकों ने आश्वासन दिया कि भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन कर किसानों को प्रशिक्षित किया जाएगा।
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