हयूमन वेल्फेयर कंपनी का नया फर्जीवाड़ा: गरीबों को बनाया डायरेक्टर, पीड़ितों की अमित शाह से कार्रवाई की मांग
बाबूशाही ब्यूरो
समालखा, 15 मार्च
हजारों करोड़ रुपये की ठगी कर फरार हुई हयूमन वेल्फेयर क्रेडिट एंड थ्रिफ्ट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड का नया फर्जीवाड़ा सामने आया है। कंपनी ने समालखा में रेहड़ी लगाने वाले ईश्वर सिंह और पानीपत के युवकों विकास पवार व संजय वर्मा को जालसाजी कर अपने रिकॉर्ड में डायरेक्टर दिखा दिया। अब इन गरीब लोगों को डर सता रहा है कि पुलिस उन्हें ही परेशान करेगी, जबकि असली आरोपी फरार हैं।
आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर और पीड़ितों ने इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, आरबीआई गवर्नर, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और डीजीपी को शिकायत भेजकर ठगी का शिकार हुए जमाकर्ताओं का पैसा वापस दिलाने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?
ईश्वर सिंह, विकास पवार और संजय वर्मा ने बताया कि कई साल पहले कंपनी के हरियाणा प्रमुख विजेंद्र रूहिल ने उन्हें मामूली एजेंट बनाया था और इसके लिए उनके हस्ताक्षर और आईडी प्रूफ लिए थे। लेकिन अब जब कंपनी हजारों करोड़ रुपये लेकर फरार हो गई, तो उन्हें पता चला कि कंपनी ने उनके नाम डायरेक्टर के तौर पर दर्ज कर दिए हैं, जबकि वे कभी किसी बैठक में शामिल नहीं हुए, न ही उन्हें कोई वेतन-भत्ता मिला।
पुलिस असली गुनहगारों को क्यों नहीं पकड़ रही?
पीपी कपूर ने आरोप लगाया कि पुलिस असली गुनहगार समीर अग्रवाल, विजेंद्र रूहिल और अन्य बड़े अधिकारियों को गिरफ्तार करने की बजाय छोटे एजेंटों और क्लर्कों को पकड़कर दिखावा कर रही है।
25 मार्च को दिल्ली में विरोध प्रदर्शन
पीड़ितों ने घोषणा की है कि 25 मार्च को हजारों जमाकर्ता और एजेंट दिल्ली के जंतर-मंतर पर बड़ा विरोध प्रदर्शन करेंगे। वे सरकार से जमा धनराशि वापस दिलाने और कंपनी मालिकों को गिरफ्तार करने की मांग करेंगे।
रजिस्ट्रार को भेजे गए दस्तावेज भी संदेहास्पद
कपूर ने बताया कि 24 फरवरी 2021 को कंपनी की चेयरमैन दीप्ति गुप्ता ने केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधीन सेंट्रल रजिस्ट्रार को पत्र भेजा था, जिसमें बताया गया कि 23 फरवरी 2021 को हुए निदेशक मंडल चुनाव में ईश्वर सिंह, संजय वर्मा और विकास पवार को डायरेक्टर चुना गया है। पीड़ितों को शक है कि यह सब पहले से सोची-समझी साजिश का हिस्सा था ताकि ठगी के बाद गरीब लोगों को फंसाया जा सके।
अब क्या होगा?
इस मामले में सरकार और प्रशासन पर भारी दबाव बन रहा है। अब देखना होगा कि क्या पुलिस असली आरोपियों को पकड़ती है या फिर निर्दोष लोगों को परेशान करती है।
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