चंडीगढ़ प्रशासन की एक्साइज पॉलिसी से हर साल हो रहा भारी नुकसान, पड़ोसी राज्यों से राजस्व में पिछड़ रहा
चंडीगढ़ प्रशासन की नीति से मिल रही चुनौती
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 15 मार्च। चंडीगढ़ प्रशासन की आबकारी कराधान नीति न केवल शहर के राजस्व में गिरावट का कारण बन रही है, बल्कि शराब ठेकेदारों को भी पंजाब और हरियाणा की ओर आकर्षित कर रही है। आरटीआई और सरकारी आंकड़ों से खुलासा हुआ है कि पिछले कई वर्षों से चंडीगढ़ को जीएसटी और राजस्व में करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
चंडीगढ़ प्रशासन की आबकारी नीति को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं, क्योंकि यह पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा की तुलना में कम आकर्षक मानी जाती है। इसका नतीजा यह है कि शराब कारोबारियों की रुचि हरियाणा और पंजाब में बढ़ती जा रही है, जिससे चंडीगढ़ को साल दर साल राजस्व का नुकसान हो रहा है। इस वर्ष भी चंडीगढ़ प्रशासन ने नई आबकारी नीति (2025-26) लागू की है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह नीति भी राजस्व बढ़ाने में प्रभावी साबित नहीं होगी।चंडीगढ़ प्रशासन के रिकॉर्ड के अनुसार, 2019 में 77.24 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था, जो 2020 में बढ़कर 173.88 करोड़ रुपये हो गया। 2021 में 81.40 करोड़ रुपये, 2022 में 36 करोड़ रुपये और 2023 में 60 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। 2024 में प्रशासन ने 1000 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा था, लेकिन 25 जनवरी 2025 तक केवल 698 करोड़ रुपये ही जुटाए जा सके। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर चंडीगढ़ प्रशासन की नीति से लगातार घाटा हो रहा है, तो इसे सुधारने के बजाय उसी ढर्रे पर क्यों रखा जा रहा है?
पड़ोसी राज्यों की एक्साइज पॉलिसी से चंडीगढ़ को नुकसान
चंडीगढ़ की तुलना में पंजाब, हरियाणा और हिमाचल की एक्साइज पॉलिसी ज्यादा आकर्षक और व्यावहारिक मानी जाती है। इस वजह से शराब के ठेकेदारों को चंडीगढ़ की बजाय पड़ोसी राज्यों में रुचि अधिक है।
हरियाणा की नीति: लाइसेंस फीस कम और कम लागत पर ज्यादा मुनाफा।
पंजाब की नीति: ठेकेदारों को ज्यादा छूट और व्यवसायिक माहौल।
हिमाचल की नीति: पर्यटकों को ध्यान में रखते हुए ज्यादा लचीली शराब नीति।
चंडीगढ़ में शराब ठेकों के लिए कड़े नियम और भारी लाइसेंस फीस के कारण बड़ी कंपनियां और ठेकेदार शहर में निवेश करने से बच रहे हैं।
स्थाई एक्साइज अधिकारी नहीं, स्टाफ की भारी कमी
शहर में कोई स्थाई आबकारी अधिकारी नहीं है, जिससे नीति निर्माण और उसके कार्यान्वयन में लगातार अनियमितता बनी रहती है।
शिक्षा विभाग के अधिकारी को शराब ठेके आवंटन की जिम्मेदारी सौंप दी गई है, जिससे एक्साइज डिपार्टमेंट का कामकाज प्रभावित हो रहा है।
स्टाफ की कमी: नीलामी प्रक्रिया, निरीक्षण और पॉलिसी लागू करने में देरी हो रही है।
पिछले वर्षों में लगातार गिरा राजस्व, 2024 में भी निराशाजनक प्रदर्शन
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में चंडीगढ़ के एक्साइज राजस्व में भारी गिरावट आई है:
वर्ष घाटा (करोड़ रुपये में)
2019 ₹77.24 करोड़
2020 ₹173.88 करोड़
2021 ₹81.40 करोड़
2022 ₹36 करोड़
2023 ₹60 करोड़
2024 लक्ष्य - ₹1000 करोड़ (अब तक सिर्फ ₹698 करोड़ हासिल)
जनवरी 2025 तक 302 करोड़ रुपये का घाटा हो चुका है, लेकिन फिर भी अगले वित्तीय वर्ष की एक्साइज पॉलिसी में कोई ठोस सुधार नहीं किया गया।
प्रशासन को उठाने होंगे ये कदम
आरके गर्ग समाज सेवी एवम आरटीआई एक्टिविस्ट ने चंडीगढ़ प्रशासक से मां करते हुए अपील। की है कि चंडीगढ़ में स्थाई आबकारी अधिकारी नियुक्त किया जाए।
शराब नीति को हरियाणा और पंजाब की तर्ज पर बनाया जाए।
ठेकेदारों को आकर्षित करने के लिए लाइसेंस फीस और कर दरों में संशोधन किया जाए।
नीलामी प्रक्रिया को पारदर्शी और सरल बनाया जाए।
जीएसटी और एक्साइज विभाग के बीच बेहतर समन्वय स्थापित किया जाए।
अगर प्रशासन ने जल्द ठोस कदम नहीं उठाए, तो चंडीगढ़ को आने वाले वर्षों में और भी बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।
पंजाब की आबकारी नीति (2025-26): राजस्व बढ़ाने पर जोर
पंजाब सरकार ने अपनी नई आबकारी नीति को इस तरह से डिजाइन किया है कि इससे राज्य के राजस्व में वृद्धि हो सके। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए पंजाब सरकार ने 11,020 करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य रखा है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 874 करोड़ रुपये अधिक है।
मुख्य विशेषताएँ:
शराब ठेकों का आवंटन
सभी ठेकों को ई-निविदा के माध्यम से आवंटित किया जाएगा ताकि पारदर्शिता बनी रहे।
ठेकों की संख्या 236 से घटाकर 207 कर दी गई है, लेकिन शराब की दुकानों की संख्या 6,374 रखी गई है।
उद्योग को बढ़ावा
देशी शराब का कोटा 3% बढ़ा दिया गया है ताकि स्थानीय उत्पादकों को अधिक अवसर मिलें।
शराब निर्माण और बिक्री पर प्रतिबंधों को सीमित करके नए निवेशकों को आकर्षित किया गया है।
अवैध शराब पर नियंत्रण
नए आबकारी पुलिस थानों की स्थापना की जाएगी।
ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम लागू किया गया है ताकि अवैध शराब की बिक्री पर नजर रखी जा सके।
गौ कल्याण उपकर
शराब पर गौ कल्याण उपकर को 1 रुपये से बढ़ाकर 1.50 रुपये प्रति प्रूफ लीटर कर दिया गया है, जिससे अतिरिक्त 16-24 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने की संभावना है।
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here →
Click to Follow हिन्दी बाबूशाही फेसबुक पेज →