हिसार एयरपोर्ट की सुरक्षा पर संकट: परिसर में मिलीं नीलगायें, जंगली सुअर और गीदड़, फॉरेस्ट विभाग पर उठे सवाल
पीएम मोदी की प्रस्तावित उड़ान से पहले खामियों का हुआ खुलासा, DFO को थमाया गया कारण बताओ नोटिस
बाबूशाही ब्यूरो
हिसार, 08 अप्रैल –
हरियाणा के हिसार एयरपोर्ट को लेकर सुरक्षा इंतजामों पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। वाइल्ड लाइफ विभाग द्वारा 6 मार्च को जारी किए गए उस सर्टिफिकेट की सच्चाई अब संदिग्ध हो गई है, जिसमें कहा गया था कि एयरपोर्ट परिसर में कोई भी वन्य प्राणी मौजूद नहीं है। लेकिन ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, बाउंड्री वॉल के भीतर 6 से 8 नीलगाय, जंगली सुअर, कुत्ते, लोमड़ी और गीदड़ देखे गए हैं।
खुली बाउंड्री से हो रहा प्रवेश
रिपोर्ट में बताया गया है कि एयरपोर्ट की बाउंड्री वॉल के नीचे करीब 200 मीटर तक खुले स्थान हैं, जिनसे ये जानवर आसानी से परिसर में घुस आते हैं। वन्य प्राणियों की मौजूदगी से न केवल उड़ानों की सुरक्षा खतरे में है, बल्कि यह एक गंभीर प्रशासनिक चूक को भी उजागर करता है।
प्रधानमंत्री के दौरे से पहले बढ़ी चिंता
यह मामला और भी संवेदनशील हो गया है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 अप्रैल को हिसार से अयोध्या के लिए पहली उड़ान को हरी झंडी दिखाने वाले हैं। इससे पहले सुरक्षा व्यवस्था में खामियां सामने आना चिंता का विषय बन गया है।
फॉरेस्ट विभाग पर गिरी गाज
गुरुग्राम के फॉरेस्ट ऑफिसर सुभाष यादव ने जानकारी दी कि हिसार के डिस्ट्रिक्ट फॉरेस्ट ऑफिसर (DFO) को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। उनसे पूछा गया है कि जब जानवर परिसर में मौजूद हैं, तो सर्टिफिकेट किस आधार पर जारी किया गया?
8 महीने से टीम तैनात, फिर भी लापरवाही
एयरपोर्ट पर पिछले 8 महीनों से एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की टीम तैनात है और हरियाणा सरकार करीब 5 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है, लेकिन सुरक्षा के लिहाज से कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई। सिविल एविएशन विभाग की टीम भी साइट पर है, मगर अधिकतर कर्मचारी कॉन्ट्रैक्ट पर हैं और जिम्मेदारी लेने से बचते नजर आ रहे हैं।
DGCA और सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका पर सवाल
हिसार एयरपोर्ट को DGCA से लाइसेंस मिला है, लेकिन अब यह सवाल उठ रहा है कि सेफ्टी ऑडिट सही ढंग से हुआ था या नहीं। एयरपोर्ट पर 10 गेट और वॉच टावर हैं, मगर उनके संचालन और निगरानी में गंभीर चूक पाई गई है।
विशेषज्ञों की राय
विमानन सुरक्षा से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि यदि पहले से सतर्कता बरती जाती और निरीक्षण सही तरीके से होते, तो यह स्थिति उत्पन्न नहीं होती। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में लापरवाही नहीं बल्कि आपराधिक उदासीनता मानी जानी चाहिए।
अब देखना यह होगा कि 14 अप्रैल से पहले इन खामियों को दूर कर पाना कितना संभव हो पाता है, और क्या पीएम की प्रस्तावित यात्रा सुचारु रूप से हो पाएगी या नहीं।
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