CHD सीपीडब्ल्यूडी घोटाले की आग पहुंची चंडीगढ़ से दिल्ली तक: 90 दिन का कार्य एक साल में अधूरा,
करोड़ों की बर्बादी", "कर्मचारियों की पीड़ा", या "घोटाले की बू"!
ठेकेदार-अधिकारियों की मिलीभगत उजागर, रद्द किया गया मीटिंग हॉल, जांच की मांग तेज;
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 8 अप्रैल।
केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) की चंडीगढ़ सेंट्रल डिवीजन-1 में गहराता भ्रष्टाचार अब दिल्ली दरबार तक पहुँच चुका है। केंद्रीय सदन, सेक्टर-9 की छठी मंजिल पर चल रहा मरम्मत कार्य एक साल बीतने के बाद भी अधूरा पड़ा है, जबकि टेंडर शर्तों के अनुसार यह काम 90 दिन में पूरा होना था। ठेकेदारों और अधिकारियों की मिलीभगत ने इस परियोजना को विवादों के घेरे में ला खड़ा किया है। लापरवाही व्यवस्था का मामला उजागर होते ही भ्रष्ट अधिकारियों में हड़कंप मच गया है। अधिकारी एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप कर रहे हैं।
हिंदी बाबूशाही. कॉम द्वारा किए गए खुलासे के बाद यह मामला केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल, विभाग के निदेशक और विजिलेंस की नजर में आ चुका है। अब दोषियों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है।
मीटिंग हॉल का निर्माण किया रद्द, योजना में किया गया फेरबदल
मार्च 2024 में शुरू हुए इस रिनोवेशन प्रोजेक्ट में एक आधुनिक मीटिंग हॉल भी प्रस्तावित था, जो विभागीय बैठकों और प्रस्तुति कार्यों के लिए अहम था। मगर आश्चर्यजनक रूप से बिना कारण बताए इस हिस्से को योजना से हटा दिया गया, जिससे न सिर्फ सरकारी पैसा बर्बाद हुआ बल्कि विभागीय कार्यप्रणाली भी बाधित हो गई।
टेंडर की शर्तों में गड़बड़ी, नियमों की उड़ाई धज्जियां
करीब 43 लाख रुपये की इस परियोजना में 36.42 लाख सिविल और 6.70 लाख इलेक्ट्रिकल कार्य के लिए निर्धारित थे। टेंडर के अनुसार, कार्य स्थल मिलने के 90 दिनों के भीतर काम पूरा होना था। मगर विभाग के सूत्रों के अनुसार, शर्तों में गोपनीय रूप से बदलाव कर दिया गया और कोई संशोधित आदेश जारी नहीं किए गए।
"सत्यमेव जयते" के नीचे पनपता भ्रष्टाचार
सीपीडब्ल्यूडी के कार्यालयों में 'सत्यमेव जयते' लिखा तो जरूर है, लेकिन हकीकत में सच्चाई की जगह साठगांठ का बोलबाला है। विभाग के अधिकारियों की चुप्पी, ठेकेदारों की मनमानी और एक-दूसरे पर दोषारोपण ने सरकारी कार्य संस्कृति को मज़ाक बना दिया है।
कर्मचारी बोले—“धूल-मिट्टी में बैठ रहे हैं, बीमार हो रहे हैं”
कार्यलय के अधिकारी और कर्मचारी पिछले एक साल से बिना उचित बैठने की व्यवस्था, धूल और गंदगी के बीच काम करने को मजबूर हैं। एक कर्मचारी ने कहा, “हमारे लिए तो मानो यह सजा बन गई है। अब तक कई लोग बीमार पड़ चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं।”
रेजिडेंशियल कॉलोनियों में भी चल रहा गोरखधंधा
सिर्फ केंद्रीय कार्यालय ही नहीं, सेक्टर-7 स्थित सीपीडब्ल्यूडी की रेजिडेंशियल कॉलोनी में भी रिनोवेशन के नाम पर बंदरबांट का खेल जारी है। बिना गुणवत्ता नियंत्रण और निगरानी के काम किए जा रहे हैं। सरकारी मकानों की छतें बरसात के टाइम टपकती है। अधिकारी केवल अपने कार्यालय को सजाने पर ही लगे हुए हैं जिसका जीता जागता हूं उदाहरण सेक्टर 9 केंद्रीय निर्माण सदन ग्राउंड फ्लोर पर एक एसडीओ के कार्यालय से अंदाजा लगाया जा सकता है।
विजिलेंस जांच या सीबीआई की मांग
सूत्रों के अनुसार, यह मामला अब विजिलेंस जांच या सीबीआई इनक्वायरी तक पहुंच सकता है। ठेकेदारों और इंजीनियरों की साठगांठ से सरकारी धन के दुरुपयोग की आशंका गहराती जा रही है।
क्या कहते हैं नियम?
सीपीडब्ल्यूडी टेंडर शर्तों के अनुसार, समय पर कार्य पूरा न होने पर दंडात्मक कार्रवाई, ब्लैकलिस्टिंग और ठेका निरस्त किया जा सकता है। लेकिन अब तक कोई भी स्पष्ट कदम नहीं उठाया गया है।
अब सवाल ये हैं:
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90 दिन का कार्य एक साल तक क्यों लटका?
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टेंडर शर्तों में बदलाव किसके आदेश से हुआ?
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मीटिंग हॉल निर्माण को रद्द क्यों किया गया?
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और सबसे बड़ा सवाल: क्या दोषी बचेंगे या होगी सख्त कार्रवाई?
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