चंडीगढ में जनहित की लगातार अनदेखी: आरके गर्ग
हाय चंडीगढ़वासियों! हमें आपकी परवाह नहीं है" — क्या यह प्रशासन की नई नीति है?
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 19 अप्रैल:। कभी मॉडल सिटी कहे जाने वाले चंडीगढ़ की तस्वीर अब धुंधली होती जा रही है। प्रशासनिक सुशासन के अभाव, जनहित की अनदेखी और भ्रष्टाचार की आहटों ने इस शहर को एक कल्याणकारी राज्य से एक मुनाफाखोर प्रतिष्ठान में बदल दिया है। वर्षों से संचित कुशासन अब खुलकर जनता को झेलना पड़ रहा है। आरटीआई कार्यकर्ता आर.के. गर्ग ने प्रशासन की इन नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा, “जनता के विरोध के बावजूद लगातार ऐसे निर्णय लिए जा रहे हैं जो सीधे तौर पर नागरिकों पर बोझ डालते हैं। यह जन सहभागिता के बगैर लिया गया शासन है।” अब सवाल यह है कि "हाय चंडीगढ़वासियों! हमें आपकी परवाह नहीं है" — क्या यही चंडीगढ़ प्रशासन की नई नीति बन चुकी है?
भ्रष्टाचार और बढ़ते शुल्क का बोझ
जन सुविधाओं के नाम पर लगातार नागरिकों पर शुल्कों का बोझ डाला जा रहा है, लेकिन इन सेवाओं की गुणवत्ता जस की तस है। जल, कचरा और सीवरेज शुल्कों की बढ़ी दरों को जनता की टिप्पणियों के बावजूद लागू कर दिया गया। यही नहीं, कॉमन सर्विस सेंटरों के शुल्कों में भी 10% की वार्षिक बढ़ोतरी का प्रावधान लागू कर दिया गया है।
अत्यधिक दरों से त्रस्त नागरिक
16 जनवरी 2017 को आवासीय संपत्तियों को लीज होल्ड से फ्री होल्ड में बदलने के लिए भारी-भरकम शुल्क लागू किए गए। इसके बाद 2022 में बिल्डिंग उल्लंघन शुल्कों में भारी बढ़ोतरी का प्रस्ताव आया जिसे विरोध के बावजूद केंद्र को भेजा गया।
प्रशासन की मनमानी और चुप्पी
नगर निगम की सहमति के बिना तीन गुना संपत्ति कर बढ़ाया गया, कलेक्टर दरों में असंगत वृद्धि की गई और जनता की राय को नजरअंदाज कर दिया गया। सीएचबी और सीआईटीसीओ जैसे संस्थानों के नेतृत्व पद खाली हैं, जिससे प्रशासनिक जड़ता और जनता की परेशानी लगातार बढ़ रही है।
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here →
Click to Follow हिन्दी बाबूशाही फेसबुक पेज →